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पिछले महीने आरबीआई द्वारा चालू वित्त वर्ष द्वारा 10.5 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान के बावजूद एनालिस्ट्स ने अपना अनुमान 8.5 फीसदी से लेकर 10 फीसदी से थोड़ा ही ऊपर रखा था.
कोरोना की दूसरी लहर का असर इकोनॉमी पर भी दिखने लगा है. ब्रिटिश ब्रोकरेज फर्म Barclays ने वित्त वर्ष 2021-22 की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान में 0.80 फीसदी की कटौती की है. बार्कलेज के अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में भारतीय जीडीपी 9.2 फीसदी की दर से बढ़ेगी. ब्रिटिश ब्रोकरेज फर्म ने भारतीय जीडीपी ग्रोथ के अनुमान में यह कटौती कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते किया है. बार्कलेज का कहना है कि दूसरी लहर अनुमान से अधिक खतरनाक निकली. Barclays ने इस महीने में दूसरी बार GDP ग्रोथ का अनुमान घटाया है. इससे पहले बार्कलेज ने इसे 3 मई को 11 फीसदी से घटाकर 10 किया था.
बार्कलेज के प्रमुख (भारत) इकोनॉमिस्ट राहुल बजोरिया के मुताबिक वैक्सीनेशन की धीमी गति और देश के कई हिस्सों में लगाए गए लॉकडाउन के चलते भी इकोनॉमी पर नकारात्मक असर पड़ेगा. देश में तीसरी लहर को लेकर भी आशंका जताई जा रही है. इसे लेकर बार्कलेज का अनुमान है कि अगर तीसरी लहर आती है और इसके चलते आठ हफ्ते का भी लॉकडाउन लगाया गया तो जीडीपी ग्रोथ महज 7.7 फीसदी रह सकती है.
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दूसरी लहर अब धीमी लेकिन लॉकडाउन के चलते इकोनॉमी परअसर
पिछले महीने आरबीआई द्वारा चालू वित्त वर्ष द्वारा 10.5 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान के बावजूद एनालिस्ट्स ने अपना अनुमान 8.5 फीसदी से लेकर 10 फीसदी से थोड़ा ही ऊपर रखा था. यहां यह भी ध्यान देना जरूरी है कि ग्रोथ नंबर इसलिए अधिक होगा क्योंकि पिछले वित्त वर्ष में इकोनॉमी में 7.5 फीसदी की सिकुड़न रही थी. बजोरिया के मुताबिक देश में कोरोना की दूसरी लहर अब धीमी पड़ रही है लेकिन सख्त लॉकडाउन के चलते इसकी आर्थिक कीमत अधिक चुकानी पड़ेगी. इसके चलते ही बार्कलेज ने जीडीपी ग्रोथ के अनुमान में कटौती की है.
बजोरिया के मुताबिक ओवरऑल स्थिति की बात करें तो देश के कई हिस्सों में कोरोना केसेज की संख्या बढ़ने के बावजूद यह लगभग नियंत्रण में है और इसके चलते धीरे-धीरे इकोनॉमी खुलेगी. बार्कलेज के मुताबिक मई में आर्थिक गतिविधियों में तेज गिरावट रही और जून के अंत तक लॉकडाउन की स्थिति बनी रह सकती है जिसके चलते अप्रैल-जून में 7400 करोड़ डॉलर (5.34 लाख करोड़ रुपये) का आर्थिक नुकसान हो सकता है.
तीसरी लहर आई तो जीडीपी ग्रोथ में आएगी गिरावट
भारत में वैक्सीनेशन प्रोग्राम धीमा हुआ है और बार्कलेज के मुताबिक सितंबर तिमाही में ही स्थिति बेहतर होने की उम्मीद है. ब्रिटिश ब्रोकरेज के मुताबिक धीमी वैक्सीनेशन ड्राइव के चलते ग्रोथ पर मीडियम-टर्म रिस्क दिख सकता है. इसके अलावा अगर देश को तीसरी लहर का सामना करना पड़ा तो इसका भी असर पड़ सकता है. बार्कलेज के आकलन के मुताबिक अगर तीसरी लहर आती है और इसके चलते अगर आठ हफ्ते का भी लॉकडाउन लगाया जाता है, तो ऐसी स्थिति में आर्थिक कीमत बढ़ जाएगी और जीडीपी ग्रोथ घटकर 7.7 फीसदी रह सकती है.
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