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पहले बार्कलेज ने अनुमान लगाया था कि भारतीय जीडीपी चालू वित्त वर्ष में 10 फीसदी की दर से बढ़ेगी लेकिन अब तीसरी लहर के चलते जीडीपी ग्रोथ 10 फीसदी से कम रहने का अनुमान है.
GDP Growth Rate Estimate for Q3: कोरोना महामारी की तीसरी लहर के चलते भारत की इकनॉमिक ग्रोथ प्रभावित हो सकती है. विदेशी ब्रोकरेज फर्म बार्कलेज (Barclays) ने चालू वित्त वर्ष 2022 के ग्रोथ अनुमान में कटौती की है. पहले बार्कलेज ने अनुमान लगाया था कि भारतीय जीडीपी चालू वित्त वर्ष में 10 फीसदी की दर से बढ़ेगी लेकिन अब तीसरी लहर के चलते जीडीपी ग्रोथ 10 फीसदी से कम रहने का अनुमान है. इसके अलावा चालू वित्त वर्ष के तीसरी तिमाही की बात करें तो दिसंबर 2021 तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.6 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है. नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े इस महीने के आखिरी दिन 28 फरवरी को जारी करेगी.
हाई बेस इफेक्ट के चलते तीसरी तिमाही में ग्रोथ सुस्त
जुलाई-सितंबर 2021 में भारतीय इकोनॉमी 8.4 फीसदी की दर से मजबूत हुई थी लेकिन हाई बेस इफेक्ट्स के चलते दिसंबर 2021 तिमाही में ग्रोथ रेट 8.4 फीसदी से सुस्त होकर 6.6 फीसदी तक फिसलने की आशंका है. हालांकि बार्कलेज की रिपोर्ट के मुताबिक गांवों में खपत कमजोर होने के बावजूद कृषि सेक्टर की ग्रोथ स्थाई रहने के आसार हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इकोनॉमिक ग्रोथ को मैन्यूफैक्चरिंग की बजाय सर्विस सेक्टर ने संभाला. सप्लाई चेन की दिक्कतों को चलते माइनिंग, कंस्ट्रक्शन व मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर प्रभावित हुए और सबसे अधिक ऑटो सेक्टर सप्लाई प्रॉब्लम के चलते प्रभावित हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर तिमाही में क्रेडिट ग्रोथ मजबूत रहा और कॉरपोरेट का मुनाफा भी मजबूत रहा.
10% से कम ग्रोथ का अनुमान
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियां दूसरी तिमाही के मुकाबले स्थिर रही थी और कुछ सेक्टर्स की गतिविधियां कोरोना महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच गई थी जिसमें सर्विस सेक्टर की भूमिका बड़ी रही. बार्कलेज की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2022 में ओमिक्रॉन की लहर के चलते ग्रोथ पर असर दिखा जिसके चलते चालू वित्त वर्ष की ग्रोथ पर असर पड़ा. इसके चलते विदेशी ब्रोकरेज फर्म ने वित्त वर्ष 2022 में भारतीय इकोनॉमी के 10 फीसदी (पूर्व अनुमान) से कम दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है. ब्रोकरेज फर्म की रिपोर्ट के मुताबिक चौथी तिमाही जनवरी-मार्च 2022 में केसेज बढ़ने के चलते आवाजाही में गिरावट से इकोनॉमिक रिकवरी पर असर दिख सकता है.