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कोरोना महामारी के बीच दुनिया भर में फाइनेंसियल मार्केट के लिए वर्ष 2020 कोस्टर राइड की तरह था.
Base Metals Outlook 2021: कोरोना महामारी के कारण पिछले साल अधिकतर समय तक दुनिया भर के अधिकतर बाजार बंद रहे. लॉकडाउन के कारण उद्योग धंधे बंद रहे, जिसकी वजह से बेस मेटल्स की मांग पर बड़ा प्रभाव पड़ा. दुनिया भर में आवाजाही को रोक दिया गया था और सिर्फ राशन या दवाईयों जैसी आवश्क वस्तुओं की आपूर्ति जारी थी जिसके कारण से बेस मेटल्स की मांग बुरी तरह प्रभावित हुई और बेस मेटल्स के भाव रिकॉर्ड स्तर तक लुढ़क गए. हालांकि, कुछ समय बाद लॉकडाउन हटा और धीरे-धीरे इकोनॉमिक रिकवरी शुरू हुई और बेस मेटल्स ने गेन्स हासिल किया. इस साल भी औद्योगिक मांग बढ़ने से बेस मेटल्स में निवेश से निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिल सकता है.
बेस मेटल्स में पिछले साल 2020 में कॉपर ने सबसे बेहतर रिटर्न दिया था और उसमें 34.78 फीसदी का गेन्स हुआ था. मौद्रिक और राजकोषीय राहत पैकेज और अमेरिकी डॉलर में गिरावट के कारण कॉपर में तेजी आई थी. इसके अलावा कॉपर की सप्लाई कम होने के कारण भी इसके भाव में तेजी आई थी. इस साल भी कॉपर के भाव में तेजी बनी रहने का अनुमान है.
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बेस मेटल्स के भाव इस साल बढ़ने की उम्मीद
कोरोना महामारी के बीच दुनिया भर में फाइनेंसियल मार्केट के लिए वर्ष 2020 कोस्टर राइड की तरह था. कोरोना महामारी के कारण ग्रोथ में गिरावट, राहत पैकेजों की घोषणा और अत्यंत ढीले मौद्रिक नीतियों के कारण 2020 में साल भर उतार-चढ़ाव बना रहा. हालांकि वैक्सीन के आने और राहत पैकेजों ने जल्द इकोनॉमिक रिकवरी की उम्मीद जताई है. इससे निवेश में बढ़ोतरी होगी और खर्च बढ़ेगा जिससे कमोडिटी प्राइसेज बढ़ सकते हैं.
पिछले साल 2020 में अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए कोरोना महामारी के कारण मंदी की आशंका के चलते अमेरिका ने 2 लाख करोड़ डॉलर (146.73 लाख करोड़ रुपये) के राहत पैकेज को मंजूरी दी थी. इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2.3 लाख करोड़ डॉलर (168.74 लाख करोड़ रुपये) के अतिरिक्त पैकेज को मंजूरी दी थी. अमेरिकी फेड रिजर्व ने पिछले साल ब्याज दरें मार्च 2020 में बहुत कम कर दिया था, शून्य के एकदम करीब तक. उम्मीद लगाई जा रही है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अमेरिकी फेड रिजर्व इसमें अगले साल 2022 तक अधिक बदलाव नहीं करेगा.
कॉपर
- कॉपर प्राइसेज को इकोनॉमिक बैरोमीटर माना जाता है और यह इकोनॉमिक एक्टिविटी को लेकर संकेत देता है. कोरोना महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के कारण दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई. इस वजह से कॉपर के भाव 2016 के बाद के सबसे निचले स्तर पर चले गए. एमसीएक्स पर मार्च 2020 में इसके भाव 335 रुपये प्रति किग्रा तक लुढ़क गए थे. हालांकि 2020 की दूसरी तिमाही में इसने रूख बदला और साल के अंत तक इसमें 34.78 फीसदी की तेजी आई और 594.70 रुपये प्रति किग्रा के भाव पर पहुंच गए.
- 2020 की पहली तिमाही में दुनिया भर में लॉकडाउन लगाए जाने से पहले ही इसके भाव गिरना शुरू हो गए थे क्योंकि इसके प्रमुख उपभोक्ता चीन और अन्य देशों से इसकी मांग में 15 फीसदीकी गिरावट आई थी. हालांकि जुलाई 2020 में चीन ने खरीदारी शुरू की और सालाना आधार पर कॉपर के आयात में 38 फीसदी अधिक आयात किया.
- कोरोना महामारी के कारण चिली और पेरू में 2020 के शुरुआती नौ महीने कॉपर के उत्पादन में 1 फीसदी की गिरावट आई. कॉपर के भाव को कमजोर डॉलर और प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा लिक्विडिटी पुश व कम ब्याज दरों से सपोर्ट मिला.
- इस साल 2021 की बात करें तो बिल्डिंग, कंस्ट्रक्शन और इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की तरफ से मांग बढ़ने के कारण इसके भाव में मजबूती देखने को मिल सकती है.
- दुनिया भर की सरकारों की तरफ से ग्रीन एनर्जी इनिशिएटिव्स के कारण भी इसकी मांग बनी रहेगी.
चीन से मांग लगातार बनी रहेगी, इस वजह से कॉपर के भाव में आगे भी मजबूती बनी रहेगी.
- अमेरिका इकोनॉमिक और राजकोषीय पैकेज जारी कर सकता है. इसे देखते हुए डॉलर कमजोर रह सकता है. ऐसे में कॉपर के भाव को सपोर्ट मिलेगा.
- इंटरनेशनल कॉपर स्टडी ग्रुप के मुताबिक 2021 में कॉपर माइन प्रोडक्शन में 4.5 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है लेकिन मांग के मुताबिक आपूर्ति में कमी से कॉपर के भाव में गिरावट की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
इस साल 2021 में कॉपर 690 रुपये प्रति किग्रा का स्तर छू सकता है.
निकिल
- कोरोना महामारी के कारण निकिल जैसी औद्योगिक धातुओं की मांग को बुरी तरह प्रभावित किया. निकिल के भाव पिछले साल मार्च 2020 में 805.80 रुपये प्रति किलो के निचले स्तर पर चले गए थे.
- इलेक्ट्रिक वेहिकल बैट्री सेक्टर और चीन की तरफ से निकिल की मांग बढ़ने ते कारण इसके भाव में तेजी आई.
निकिल के भाव दिसंबर में 1335 रुपये प्रति किग्रा तक पहुंच गए. साल के अंत तक घरेलू बाजार में इसने 17.78 फीसदी गेन किया.
- निकिल के सबसे बड़े निर्यातक इंडोनेशिया ने जनवरी 2020 में ही इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था क्योंकि वहां के घरेलू उद्योगों की मांग बढ़ गई थी. इंडोनेशिया का लक्ष्य इलेक्ट्रॉनिक वेहिकल प्रोडक्शन हब बनने का है. अपनी आपूर्ति के लिए चीन ने इंडोनेशिया की बजाय फिर फिलीपींस की तरफ रूख किया और अक्टूबर 2020 में उसने फिलीपींस से 36 फीसदी अधिक निकिल आयात किया.
- इलेक्ट्रॉनिक वेहिकल सेग्मेंट से निकिल की डिमांड लगातार बनी हुई है. पिछले साल की पहली छमाही में कोरोना महामारी के कारण इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों की मांग प्रभावित रही. हालांकि धीरे-धाीरे इसकी मांग बढ़ रही है. तीसरी तिमाही में टेस्ला ने 2019 की तीसरी तिमाही की तुलना में 51 फीसदी अधिक इलेक्ट्रिक गाड़ियों का उत्पादन किया. इस कारण लीथियम वाली बैट्री के लिए निकिल की मांग बढ़ रही है.
- इंटरनेशनल निकिल स्टडी ग्रुप के मुताबिक 2020 में निकिल का ग्लोबल आउटपुट 24.36 लाख टन रहने का अनुमान है. इस साल 2021 में इसका उत्पादन 6.2 फीसदी तक बढ़ सकता है.
- इस साल 2021 में निकिल की खपत बढ़ेगी क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों पर जोर बढ़ रहा है.
- 2021 में निकिल के भाव 1420-1630 रुपये प्रति किग्रा का लेवल दिखा सकते हैं.
लेड
- पिछले साल 2020 में आवागमन रिस्ट्रिक्शंस की वजह से लेड की मांग बुरी तरह प्रभावित हुई. इसकी सबसे अधिक मांग ऑटोमोबाइल सेक्टर की तरफ से आती है तो इसका इस्तेमाल लेड-एसिड बैट्री बनाने में करते हैं. पिछले साल कार की बिक्री में बड़ी गिरावट रही. हालांकि इसके बावजूद पिछले साल लेड के भाव में एमसीएक्स पर साल के अंत तक 2.06 फीसदी और एलएमई पर 3.41 फीसदी की तेजी आई. मई 2020 तक लेड के भाव पर दबाव बना रहा.
- दुनिया के सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल प्रोड्यूसर चीन ने हालांकि पिछले साल जनवरी से लेकर अक्टूबर के बीच तक 2019 की समान अवधि के मुकाबले 77 फीसदी कम यानी महज 20,318 टन रिफाइंड लेड आयात किया.
मई 2020 के बाद इसके भाव में रिकवरी शुरू हुई और रिस्ट्रिक्शंस हटने के बाद इसके भाव में मजबूती आई.
नए बैट्री की मांग बढ़ने के कारण लेड को सहारा मिला.
- इस साल 2021 की बात करें तो इसके भाव 200 रुपये प्रति किग्रा के स्तर तक पहुंच सकते हैं.
जिंक
- पिछले साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान माइनिंग एक्टिविटीज प्रभावित होने के बावजूद जिंक के भाव एलएमई पर 20.84 फीसदी और एमसीएक्स पर 18.62 फीसदी तक बढ़ गए. कोरोना महामारी के कारण आर्थिक अनिश्चितता की स्थिति में इसके भाव चढ़ना शुरू हुए. दुनिया भर में राजकोषीय और मौद्रिक पैकेजों ने इसकी मांग बढ़ाई.
- जिंक के भाव बढ़ने का सबसे बड़ा कारण दक्षिण अमेरिका के कई हिस्सों में इसके खनन में गिरावट रही. इंटरनेशनल लेड एंड जिंक स्टडी ग्रुप के मुताबिक पिछले साल दुनिया भर में जिंक की सप्लाई में 4.4 फीसदी की गिरावट रहने का अनुमान है. लॉकडाउन के कारण पेरू, मैक्सिको और बोलिविया में इसके उत्पादन पर प्रभाव पड़ा.
- 2021 की बात करें तो जिंक की मांग बनी रह सकती है. इसका उपयोग मुख्य रूप से गैल्वेनाइज स्टील और चाइनीज स्टील बनाने के लिए किया जाता है.
- 2021 में जिंक 265 रुपये प्रति किग्रा का स्तर दिखा सकता है.
एलुनिनियम
- पिछले साल 2020 की दूसरी छमाही में एलुमिनियम के भाव में तेजी आई और एमसीएक्स पर उसके भाव कोरोना महामारी शुरू होने के पहले के भाव पर पहुंच गए. इसके बाद एलुमिनियम के भाव अप्रैल 2018 के बाद से अपने रिकॉर्ड भाव पर पहुंच गए. 2020 में एमसीएक्स पर एलुमिनियम के भाव में 19.80 फीसदी और एलएमई पर 9.84 फीसदी की तेजी रही.
- राहत पैकेज के कारण डॉलर में आई कमजोरी और मौद्रिक नीतियों में ढील के अलावा चीन में स्ट्रांग रिकवरी ने एलुमिनियम के भाव में तेजी लाई. पिछले कुछ वर्षों में चीन ने एलुमिनियम को आयात नहीं किया था लेकिन पिछले साल चीन ने भारी मात्रा में एलुमिनियम की खरीदारी शुरू की और उसने पिछले साल शुरुआती दस महीनों में 1 मीट्रिक टन एलुमिनियम खरीदा था. इस वजह से दुनिया भर में एलुमिनियम का जो सरप्लस था, वह कम हुआ.
- 2021 की बात करें तो इसके भाव पर दबाव देखने को मिल सकता है क्योंकि चीन की एलुमिनियम स्मेल्टिंग कैपेसिटी इस साल भी जारी रहेगी. चाइनीज प्राइमरी एलुमिनियम प्रोडक्शन 2020 में 3.8 फीसदी यानी 37.3 मीट्रिक टन रहने का अनुमान है. इस साल उसके उत्पादन में 5.4 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है. हालांकि चीन को छोड़ दुनिया भर में इसके उत्पादन में 2020 में 1 फीसदी की गिरावट का अनुमान है और 2021में 3 फीसदी की बढ़ोतरी का.
- 2020 में एलुमिनियम की मांग में 11 फीसदी गिरावट का अनुमान है और 2021 में 9 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है. कोरोना से पहले की स्थिति में इसकी मांग पहुंचने में इसे 2022 तक का समय लग सकता है यानी अगले साल ही एलुमिनियम को लेकर कोरोना पूर्व की स्थिति बन सकती है.
- 2021 में एलुमिनियम के भाव 168-180 रुपये प्रति किग्रा तक का स्तर दिखा सकते हैं.
(यह रिपोर्ट रेलिगेयर के कमोडिटी वार्षिकी आउटलुक 2021 पर आधारित है.)