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BFSI फंड: म्यूचुअल फंड की इस कैटेगरी में निवेश का सही समय, समझें आपको क्यों लगाना चाहिए पैसा

BFSI Fund: भारतीय अर्थव्यवस्था में BFSI सेक्टर न सिर्फ सबसे बड़ा, बल्कि सबसे ज्यादा डाइवर्सिफाईड सेक्टर है.

BFSI Fund: भारतीय अर्थव्यवस्था में BFSI सेक्टर न सिर्फ सबसे बड़ा, बल्कि सबसे ज्यादा डाइवर्सिफाईड सेक्टर है.

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BFSI Fund, mutual fund

BFSI Fund: भारतीय अर्थव्यवस्था में BFSI सेक्टर न सिर्फ सबसे बड़ा, बल्कि सबसे ज्यादा डाइवर्सिफाईड सेक्टर है.

BFSI Fund: भारतीय अर्थव्यवस्था में बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर न सिर्फ सबसे बड़ा, बल्कि सबसे ज्यादा डाइवर्सिफाईड सेक्टर है. पिछले 2-3 दशकों में, इस सेक्टर ने अपने को सिर्फ बैंक से निकालकर अन्य संबधित बिजनेस मसलन NBFC, इंश्योरेंस, AMC और कैपिटल मार्केट प्लेयर्स में विस्तार किया है. BFSI इंडेक्स के भीतर नॉन-बैंकिंग की हिस्सेदारी अब 45 फीसदी है. BFSI सेक्टर की ग्रोथ रेट अन्य कई सेक्टर के मुकाबले बेहतर है. अन्य क्षेत्रों के विपरीत, BFSI देश की लगभग सभी वयस्क आबादी की लाइफ को टच करता है. सेक्टर द्वारा पेश किए जाने वाले प्रोडक्ट में सेविंग्स अकाउंट, करंट अकाउंट, लोन, पेमेंट सॉल्यूशंस, क्रेडिट कार्ड, ऑनलाइन पेमेंट, जनरल इंश्योरेंस, लाइफ इंश्योरेंस और म्यूचुअल फंड शामिल हैं.

कुछ उदाहरण

1. जब किसी की इनकम होती है और वह अपना पैसा म्यूचुअल फंड में लगाना चाहता है तो SIP एक फाइनेंशियल सर्विसेज प्रोडक्ट है.

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2. एक टर्म प्लान के जरिए जीवन बीमा का विकल्प चुन सकते हैं. यह दूसरा फाइनेंशियल सर्विसेज प्रोडक्ट है.

3. एक घर खरीदना चाहते हैं तो बैंक से लोन ले सकते हैं. यह भी फाइनेंशियल सर्विसेज प्रोडक्ट है.

4. आनलाइन प्रोडक्ट खरीदने के लिए कार्ड स्वाइप करें या नो-कॉस्ट ईएमआई लें, ये भी फाइनेंशियल सर्विसेज प्रोडक्ट हैं.

इकोनॉमी पर सीधा असर

बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं कई रूपों में आपके लाइफ पर असर डालती हैं. सरकार को उम्मीद है कि आने वाले कुछ साल में भारतीय अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ जाएगी. ऐसा होता है तो BFSI सेक्टर का इसमें बड़ा योगदान होगा, क्योंकि इसे अर्थव्यवस्था का बैक बोन माना जाता है. यह इंडस्ट्री के लिए बड़े क्रेडिट के रूप में हो सकता है कि वे कैपेक्स को रीवाइव करें.

प्राइवेट प्लेयर्स का बढ़ रहा है मार्केट शेयर

इस सेक्टर में प्राइवेट प्लेयर्स का मार्केट शेयर बढ़ रहा है. बैंकिंग में, प्राइवेट बैंक लोन के साथ साथ डिपॉजिट के मामले में भी पीएसयू बैंकों से बाजार हिस्सेदारी हासिल कर रहे हैं. लाइफ इंश्योरेंस के साथ साथ नॉन लाइफ इंश्योरेंस में, निजी खिलाड़ी बेहतर बैंक डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की वजह से प्रीमियम बाजार में ज्यादा हिस्सेदारी हासिल कर रहे हैं. उम्मीद करते हैं कि यह आगे भी जारी रहेगा क्योंकि पीएसयू इकाइयां कैपिटल के मामले में कमजोर बनी हुई हैं.

बेहतर हो रही है एसेट क्वालिटी

बैंकों के बढ़ रहे बैड लोन यानी एनपीए के मसले पर आरबीआई की सख्ती के बाद से एसेट क्वालिटी को लेकर चिंता अब धीरे धीरे घट रही है. अधिकांश बड़े अकाउंट अब एनसीएलटी में हैं. बेड लोन की पहचान हो रही है या रिकवरी हो रही है. कॉरपोरेट बुक में सुधार हो रहा है.

फ्रेश एनपीए फॉर्मेशन (स्लिपेज) पर बात करें तो स्लिपेज पिछले कुछ सालों में मॉडरेट हो रहे हैं.

रिटेल मोर्चे पर, ज्यादातर लेंडर्स अंडरराइटिंग से पहले एक CIBIL जांच चलाते हैं और उन्हीं ग्राहकों को लोन देते हैं, जिनसे उम्मीद है कि रिकवरी समय से हो सकेगी. कहने का मतलब है कि लोन देने में अब सावधानी बरती जा रही है. इसके अलावा, जीएसटी के बाद एमएसएमई पुनर्गठन ने कैशफ्लो के सामान्य होने तक स्ट्रेच बॉरोअर्स को कुछ समय दिया है.

मजबूत बैलेंस शीट

हाल की बात करें तो कई लेंडर्स ने कैपिटल, लिक्विडिटी और प्रोविजंस बफर्स के संबंध में बैलेंस शीट को मजबूत किया है. एनबीएफसी ने भी एडिशनल लिक्विडिटी बफर्स बनाए रखी है. उनमें से कई तो ऐसे हैं जो भविष्य में किसी एनपीए को देखते हुए अतिरिक्त प्रोविजन बफर का प्रावधान कर रहे हैं. अतिरिक्त प्रावधान सामान्य परिदृश्य में लगभग 2-4 फीसदी स्लिपेजेज वाले लोन का 1-2 फीसदी है.

अभी BFSI क्यों?

हाल ही में आई तेजी के बाद भी यह सेक्टर लांग टर्म एवरेज मल्टीपल से 1 स्टैंडर्ड डेविएशन (एसडी) के नीचे ट्रेड कर रहा है. इन वैल्यूएशन पर, मजबूत विकास के साथ रिस्क रिवॉर्ड काफी अनुकूल है. वहीं लांग टर्म में इस सेक्टर में अचछा मुनाफा दिख रहा है. आर्थिक सुधार और मैनेजमेंट कमेंट्री के आधार पर, कहा जा सकता है कि इस सेक्टर का आउटलुक पॉजिटिव है. मजबूत बैलेंस शीट और पर्याप्त प्रोविजन बफर को देखते हुए सेक्टर की अन्रिंग में FY22-23E के लिए 5-15 फीसदी ग्रोथ रह सकती है.

(लेखक: हर्षद बोरोवाके, हेड-इक्विटी रिसर्च एंड फंड मैनेजर, मिरे एसेट एवं गौरव कोचर, फंड मैनेजर-मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड)

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