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Representational Image: Reuters
सार्वजनिक क्षेत्र की इंजीनियरिंग कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) ने मैगलेव रेलगाड़ियों को भारत लाने के लिए स्विसरैपिडे AG के साथ गठजोड़ किया है. कंपनी ने एक बयान में कहा कि अपने कारोबार का विविधीकरण करते हुए शहरी परिवहन में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए भेल ने स्विसरैपिडे के साथ सहमति ज्ञापन समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके तहत कंपनी मैगलेव (चुंबकीय उत्तोलन पर चलने वाली रेलगाड़ी) ट्रेन को भारत में लाएगी.
मैगलेव रेलगाड़ी प्रणाली में रेलगाड़ी पटरी पर दौड़ने की बजाय हवा में रहती है. इसकी वजह ट्रेन को चुंबकीय क्षेत्र प्रभाव से नियंत्रित किया जाना होता है, इसलिए उसका पटरी से कोई सीधा संपर्क नहीं होता. यह प्रणाली बेहद ऊर्जा दक्ष है और रेलगाड़ी को 500 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार तक से चलाने में सक्षम होती है. इस तरह यह धीरे-धीरे रेलगाड़ी प्रणाली की कुल लागत को कम करती है.
वर्ल्ड क्लास टेक्नोलॉजी आएगी भारत
भेल ने कहा कि यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को ध्यान में रखकर किया गया है. यह समझौता भेल को इस विश्वस्तरीय प्रौद्योगिकी को भारत में लाने, उसका स्वदेशी विनिर्माण करने में सक्षम बनाएगा.
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दो दिग्गज आए हैं साथ
SwissRapide AG को अंतरराष्ट्रीय Maglev Rail प्रॉजेक्ट्स व संबंधित टेक्नोलॉजीज के प्रमोशन, प्रॉजेक्ट मैनेजमेंट, प्लानिंग, स्पेसिफिकेशन, डिजाइन, इंप्लीमेंटेशन और कमीशनिंग में विशेषज्ञता हासिल है. यह दुनिया के एकमात्र स्थापित और कमर्शियली प्रूवन अल्ट्रा हाई स्पीड मैगलेव रेल सिस्टम 'ट्रान्सरैपिड मैगलेव' टेक्नोलॉजी की पेशकश में यूनीक पोजिशन रखती है. वहीं भेल नई टेक्नोलॉजी में अग्रणी है और पिछले पांच दशकों से भारतीय रेलवे के विकास में भरोसेमंद साझेदार है. भेल, रेलवे को इलेक्ट्रिक और डीजल लोकोमोटिव्स, इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट और प्रपल्शन सिस्टम सेट्स की आपूर्ति करती है.