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किसानों को कपास के लिए बेहतर दाम मिल रहे हैं.
कम वैश्विक उत्पादन और बढ़ती मांग के चलते कॉटन (Cotton) में इस साल 2021 में अब तक 10 फीसदी से अधिक उछाल आ चुका है. इसके बाद भी अभी कॉटन में तेजी की रुख बना हुआ है. कॉटन के भाव कमोडिटी एक्सचेंज MCX पर 22210 प्रति बेल (एक बेल= 170 किग्रा) के करीब चल रहे हैं. बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक जिस तरह के कॉटन की वैश्विक मांग कोरोना महामारी के चलते बंद हुई इकोनॉमी खुलने के बाद बढ़ी है, उससे अगले दो से तीन महीने में यह 24500-25000 तक का लेवल दिखा सकता है. ऐसे में कमोडिटी निवेशकों के लिए इसमें मुनाफे का अवसर बन रहा है. इसके अलावा किसानों के लिए कॉटन बेहतरीन फसल बन रहा है और इस समय इसके भाव एमएसपी से 15 फीसदी अधिक पहुंच चुके हैं. कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अनुमान के मुताबिक चालू कॉटन सत्र में भारत से 54 लाख बेल्स कॉटन का निर्यात होने का अनुमान है. हालांकि आम लोगों की बात करें तो उनके ऊपर कपड़ों की महंगाई के रूप में इसका असर दिख सकता है. इसके अलावा कॉटन की मेडिकल इंडस्ट्री में भी मांग बनी रहती है.
इसके चलते कॉटन प्राइस को मिल रही मजबूती
- कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने कॉटन वर्तमान फसल के 25 फीसदी हिस्से की मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) प्रोग्राम के तहत खरीदारी की है और अभी भी यह खरीदारी कर रही है जिसके चलते कॉटन के भाव को मजबूती मिली हुई है.
- एक्सपोर्ट डिमांड लगातार मजबूत बनी हुई है जिससे भारतीय फाइबर और यार्न प्राइसेज के भाव एमएसपी लेवल से ऊपर बने रहेंगे.
- कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर में लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई थी लेकिन अब धीरे-धीरे स्थिति पटरी पर आ रही है. टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री की तरफ से मांग बढ़ी है.
- सीसीआई ने 2021-21 क्रॉप से 69 लाख बेल्स की खरीदारी की है जो किसानों द्वारा बेचे गए कॉटन का 40 फीसदी हिस्सा है और यूएसडीए (यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर) के अनुमानों का 25 फीसदी हिस्सा है. एमएसपी पर खरीदारी बढ़ने से कॉटन के भाव नीचे नहीं आ रहे हैं. 2020-21 के लिए मीडियम स्टेपल कॉटन की एमएसपी 5515 रुपये प्रति कुंतल और लांग स्टेपल के लिए 5825 रुपये प्रति कुंतल है.
- अगले वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉटन पर 5 फीसदी और कॉटन वेस्ट पर 10 फीसदी कस्टम ड्यूटी का एलान किया है. इसके अलावा वित्त मंत्री ने कॉटन पर 5 फीसदी एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस लगाने का एलान किया है जिससे कॉटन पर 10 फीसदी की कस्टम ड्यूटी हो गई. रॉ सिल्क और सिल्क यार्न या सिल्क वेस्ट से निकला यार्न स्पुन पर कस्टम ड्यूटी 10 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दी गई है. कस्टम ड्यूटी बढ़ने से इसके भाव में मजबूती बनी हुई है.
- चीन कॉटन की एग्रेसिव खरीदारी कर रहा है जिससे इसकी वैश्विक मांग लगातार मजबूत बनी हुई है. चीन और पाकिस्तान दोनों ही कॉटन की खरीदारी कर रहे हैं. पाकिस्तान में कॉटन का उत्पादन कम हुआ है.
उत्पादन में मामूली बढ़ोतरी का अनुमान
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के पिछले वर्ष की तुलना में इस बार कॉटन के उत्पादन में बढ़ोतरी नहीं होगी. इस बार 2021-21 के लिए सीएआई ने 360 लाख बेल्स के उत्पादन का अनुमान लगाया है. वहीं दूसरी तरफ मिनी रत्न कंपनी कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) लिमिटेड की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक केंद्रीय टेक्सटाइल मिनिस्ट्री की कॉटन प्रोडक्शन एंड कंजम्प्शन पर एक कमेटी ने 2020-21 में 371 लाख बेल्स (एक बेल में 170 किग्रा) के उत्पादन का अनुमान लगाया है. पिछले साल 2019-20 में 365 लाख बेल्स का उत्पादन प्रोजेक्ट किया गया था. हालिया अनुमान के मुताबिक 2020-21 में सबसे अधिक कॉटन गुजरात में 90.5 लाख बेल्स प्रोजेक्ट किया गया है. गुजरात में प्रति हेक्टेअर उत्पादन भी अधिक है. प्रोजेक्शन के मुताबिक गुजरात में प्रति हेक्टेअर 676.86 किग्रा कॉटन उत्पादित होगा जबकि भारत की औसतन कॉटन यील्ड का अनुमान 486.76 किग्रा प्रति हेक्टेअर है. देश में प्रति हेक्टेअर कॉटन राजस्थान में 683.04 किग्रा होने का अनुमान है. पिछले साल प्रति हेक्टेअर 486.76 किग्रा कॉटन की क्रॉप हुई थी.
(इनपुट-केडिया कमोडिटी रिपोर्ट, संबंधित मंत्रालय और वेबसाइट)