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केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2022 में 1.75 लाख करोड़ रुपये विनिवेश का लक्ष्य रखा है.
मोदी सरकार विनिवेश (Disinvestment) की रफ्तार को तेज करने के लिए एक बड़ा बदलाव करने पर विचार कर रही है. इसके तहत, प्राइवेटाइजेशन यानी निजीकरण की जिम्मेदारी के लिए अलग से एक्सपर्ट्स का स्वतंत्र पैनल बनाने पर विचार किया जा रहा है. इस मामले से जुड़ों लोगों के अनुसार, इस बात पर गंभीरता से विचार हो रहा है कि सरकार की तरफ से जिस सरकारी कंपनी में विनिवेश का फैसला किया गया, उसकी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी एक पैनल को दी जाए, न कि मौजूदा व्यवस्था के अंतर्गत नौकरशाह यह दायित्व संभाले.
पहचान जाहिर न करने की शर्त पर मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि यह पैनल उन नौकरशाहों की जगह लेगा, जो अभी निजीकरण का काम देखते हैं. यह व्यवस्था में माइनारिटी स्टेक सेल्स यानी कम आईपीओ या एफपीओ के जरिए हिस्सेदारी घटाए जाने की स्थिति में भी कम करेगी. उनका कहना है कि यह प्रस्ताव अभी बहुत ही शुरुआती दौर में है. अभी तक इस पर कोई भी अंतिम फैसला नहीं किया गया है.
बता दें, मोदी सरकार ने 1 अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को पेश किए बजट में यह एलान किया था.
एसेट सेल की प्रकिया में आएगी तेजी
उनका कहना है कि एक्सटर्नल पैनल 'लालफीताशाही' को दरकिनार कर एसेट सेल की प्रकिया में तेजी लाने में मदद करेगा. केंद्र सरकार को अभी तक कर्ज में फंसी एअर इंडिया का खरीददार नहीं मिला है. जबकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इसकी बिक्री को 2017 में ही मंजूदी दे दी थी. वित्त मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.
डिपार्टमेंट आफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट की वेबसाइट पर एक नोटिस के अनुसार, मोदी सरकार ने इस माह की शुरुआत में कहा थाकि एटामिक एनर्जी, स्पेस एंड डिफेंस, ट्रांसपोर्ट एंड टेलिकम्युनिकेशंस, पावर, आयल एंड कोल, बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज के क्षेत्र में संचालिम कंपनियों में जितना कम हो सकेगा, उतनी कम हिस्सेदारी रखेगी.