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The 16 rebels, who the Congress alleged are being held captive by the BJP in Bengaluru, also offered to present themselves in the judges' chamber but the court rejected the proposal.
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) के मामले पर सरकार और टेलिकॉम कंपनियों की जमकर खिंचाई की है. शीर्ष अदालत ने कहा कि AGR की बकाया राशि का सेल्फ असेसमेंट या रिअसेसमेंट करना कोर्ट की अवमानना होगी. इसकी इजाजत नहीं होगी. साथ ही SC ने कहा कि AGR बकाया मामले पर कोर्ट के आदेश के खिलाफ अखबारों में फर्जी खबरें प्रसारित होती हैं तो टेलिकॉम कंपनियों के एमडी के खिलाफ भी अवमानना का केस चलाया जाएगा. बता दें, पिछले साल 24 अक्टूबर को शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में एजीआर बकाया तय किया था.
...तो कंपनियों के MD को हो जाएगी जेल
AGR के मामले पर समाचार पत्रों में प्रकाशित आर्टिकल पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़े लहजे में कहा कि यदि उन्होंने एजीआर बकाया के मामले पर भविष्य में खबरें प्रसारित हुईं तो उसके लिए टेलिकॉम कंपनियों के एमडी को व्यक्तिगत रूप से दोषी माना जाएगा और उनके खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज किया जाएगा. शीर्ष अदालत ने कहा कि जरूरत पड़ी तो हम सभी टेलीकॉम कंपनियों के एमडी को कोर्ट बुलाकर यहीं से जेल भेज देंगे. वहीं, सरकार ने एजीआर के रीएसेसमेंट की इजाजत दी तो यह कोर्ट से धोखा होगा. ऐसा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ एक्शन होगा.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन हो
सुप्रीम कोर्ट ने साफ लहजे में कहा कि AGR बकाया पर सेल्फ असेसमेंट या रीअसेसमेंट की कोई इजाजत नहीं होगी. कंपनियों ने एजीआर बकाये पर सेल्फ असेसमेंट के नाम पर गंभीर धोखा किया है. एजीआर बकाया पर हमारा फैसला अंतिम है, इसका पूरी तरह से पालन किया जाए. जस्टिस अरुण मिश्रा, एसए नजीर और एमआर शाह की पीठ ने केंद्र सरकार की उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें टेलिकॉम कंपनियों को बकाया चुकाने के लिए 20 साल का समय देने की बात कही गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर दो हफ्ते के बाद सुनवाई होगी. बता दें, एजीआर मामले में टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि 24 अक्टूबर 2019 के फैसले के मुताबिक ही टेलीकॉम कंपनियों को ब्याज और पेनल्टी चुकानी होगी.
Airtel, Voda-Idea की बढ़ेगी दिक्कत!
AGR बकाया मामले पर सबसे तगड़ा झटका एयरटेल (Airtel) और वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) को लग सकता है. पहले के आदेश के अनुसार, भारती एयरटेल पर 35,586 करोड़ और वोडाफोन आइडिया पर 53,000 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है. वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल ने बकाया एजीआर का आंशिक भुगतान किया है. अबतक भारती एयरटेल ने दो किस्त में 13,000 करोड़ और वोडाफोन आइडिया ने 6,854 करोड़ चुकाए हैं. बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों से 1.47 लाख करोड़ रुपये का सांविधिक एजीआर बकाया 17 मार्च तक जमा करने को कहा था.
कैसे तय होती है AGR की राशि?
दूरसंचार ट्रिब्यूनल के 2015 में दिए गए फैसले के आाधर पर टेलिकॉम कंपनियों एजीआर की गणना करती है. इसमें कंपनियों को एजीआर का तीन फीसदी स्पेक्ट्रम फीस और आठ फीसदी लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना होता है. उस समय ट्रिब्यूनल ने कहा था कि किराये, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ, डिविडेंड और ब्याज जैसे गैर प्रमुख स्रोतों से होने वाली आमदनी को छोड़कर बाकी प्राप्तियां एजीआर में शामिल की जाएंगी. जबकि दूरसंचार विभाग किराये, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ और कबाड़ की बिक्री से प्राप्त रकम को भी एजीआर में मानता है. इसी आधार पर वह कंपनियों से बकाया शुल्क की मांग कर रहा है.
(Input: PTI)