/financial-express-hindi/media/post_banners/CGRM2F6cd4U0aG9ckqYj.jpg)
IPO लाने जा रही देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) आने वाले समय में निजी बीमा कंपनियों को तगड़ी चुनौती दे सकती है.
IPO लाने जा रही देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का बीमा बाजार पर दबदबा आने वाले समय में और बढ़ सकता है. स्विस ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) ने आईपीओ की मंजूरी के लिए बाजार नियामक सेबी के पास दायर आवेदन ब्योरे का विश्लेषण करने के बाद तैयार एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई है. स्विस ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि सरप्लस फंड या मुनाफे के डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े नियमों में बदलाव की वजह से LIC का मार्जिन 9.9% से बढ़कर 20% तक हो सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, एलआईसी का मार्जिन पहले ही सात प्रतिशत अंक बेहतर होते हुए 9.9 प्रतिशत पर पहुंचा चुका है.
ब्रोकरेज फर्म के विश्लेषण के अनुसार, नियमों में इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर एसबीआई लाइफ (SBI Life), ICICI प्रूडेंशियल, HDFC लाइफ और मैक्स लाइफ (Max Life) जैसी जीवन बीमा कंपनियों पर होगा.
EPFO ला रहा है नई पेंशन स्कीम, संगठित क्षेत्र के इन कर्मचारियों को मिलेगा इसका फायदा
20 फीसदी तक जा सकता है एलआईसी का मार्जिन
सरकार ने एलआईसी के सरप्लस फंड या मुनाफे के डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े नियमों में बदलाव कर इसके मार्जिन में बढ़ोतरी का रास्ता आसान बनाया है. इसकी वजह से एलआईसी अपने कारोबार में पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी के साथ नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी को भी 10 प्रतिशत जगह दे सकेगी जो फिलहाल महज चार प्रतिशत है. इससे एलआईसी अपने मार्जिन को 20 प्रतिशत तक भी लेकर जा सकती है. क्रेडिट सुइस का यह अनुमान इस धारणा पर आधारित है कि एलआईसी का बीमा कारोबार पूरी तरह नए सरप्लस डिस्ट्रीब्यूशन की तरफ स्थानांतरित हो जाएगा. वर्तमान में नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी सौ फीसदी और पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी 10 प्रतिशत है.
New IPO: फेडरल बैंक की सहायक कंपनी आईपीओ लाने को तैयार, FedFina ने सेबी में दाखिल किए दस्तावेज
पार्टिसिपेटिंग इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत पॉलिसीधारकों को बोनस या डिविडेंड के रूप में गारंटीड व नॉन-गारंटीड वाले दोनों बेनिफिट दिए जाते हैं. वहीं, नॉन- पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी में पॉलिसीधारक को अमूमन गारंटीड बेनिफिट मिलते हैं लेकिन उन्हें प्रॉफिट या डिविडेंड नहीं दिया जाता है. फिलहाल एलआईसी का अपने नए कारोबार प्रीमियम का सिर्फ चार प्रतिशत ही नॉन- पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी से आता है. इसके उलट निजी क्षेत्र की शीर्ष बीमा कंपनियों का यह अनुपात 20 से 45 प्रतिशत तक है.
रिपोर्ट कहती है कि एलआईसी का नॉन- पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी का मार्जिन अपने ही पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी कारोबार से अधिक है और निजी कंपनियां भी इस मामले में उससे पीछे हैं. देश में उदारीकरण की नीतियों की शुरुआत के 21 साल बाद भी एलआईसी का नई बीमा पॉलिसी कारोबार में बाजार हिस्सेदारी 66 प्रतिशत है. इसकी बड़ी हैसियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि LIC के बाद दूसरे स्थान पर मौजूद कंपनी से उसकी प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां 16 गुना अधिक है.
(इनपुट-पीटीआई)