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विश्लेषकों ने निवेशकों को मुनाफावसूली की सलाह दी है.
Market Outlook: ग्लोबल ब्रोकरेज और रिसर्च फर्म CLSA के एनालिस्ट्स का मानना है कि 20 महीने की शानदार तेजी के बाद भारतीय शेयर अब ‘Borrowed Time’ पर है. एनालिस्ट्स ने इसके चलते निवेशकों को मुनाफावसूली की सलाह दी है. अप्रैल 2020 की शुरुआत के बाद से सेंसेक्स 120% और निफ्टी 124% मजबूत हो चुका है. इसके साथ ही कई बार ये रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर पहुंच चुके हैं. हालांकि महंगे वैल्यूएशन, ऊंचे इनपुट प्राइस और अनुमान के मुताबिक कमाई न होने के आसार को देखते हुए इसमें और तेजी की संभावना कम दिख रही है.
बाहर निकलने का समय
इस साल अब तक एशिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन भारतीय शेयर बाजार का रहा. CLSA द्वारा डाउनग्रेड किए जाने के प्रमुख कारणों में ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी, मार्जिन का दबाव और आरबीआई के प्रोत्साहन को वापस लेना शामिल हैं. ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि आमतौर पर ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी, जैसा कि वर्तमान में हो रहा है, के चलते भारतीय इक्विटी की तेजी थम सकती है. ब्रोकरेज फर्म को यह भी उम्मीद है कि आरबीआई अप्रैल 2022 में पहली बार दरों में बढ़ोतरी की घोषणा करेगा. CLSA ने अपनी रिपोर्ट में विदेशी निवेशकों की ताजा खरीदारी में कमी को भी उजागर किया है. रिपोर्ट में कहा गया है, "इस साल अप्रैल की शुरुआत के बाद से शुद्ध विदेशी इक्विटी खरीद की गति काफी धीमी हो गई है.” हालांकि घरेलू मांग मौजूद है, लेकिन हाल ही में यह भी घटने लगी है.
अपने पियर्स की तरह CLSA ने भी महंगे वैल्यूएशन पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा, "31.6x चक्रीय रूप से एडजस्टेड P/E पर ट्रेडिंग के साथ भारत वर्तमान में जून 2008 के बाद से सबसे महंगे अर्निंग-बेस्ड वैल्यूएशन पर है, जो इसके 18 साल के औसत 22.6x से वन स्टैंडर्ड डेविएशन ज्यादा है." इससे पहले, पिछले महीने UBS ने कहा था कि भारतीय बाजार "बेहद महंगे" थे, जबकि नोमुरा ने महंगे इक्विटी वैल्यूएशन का हवाला देते हुए भारत को ‘Overweight’ से घटाकर ‘Neutral’ कर दिया था.
मॉर्गन स्टेनली भी सुस्ती का लगा चुकी है अनुमान
मॉर्गन स्टेनली के विश्लेषकों ने अक्टूबर में अनुमान लगाया था कि भारतीय शेयर बाजार अगले तीन से छह महीनों के लिए सुस्त हो सकते हैं क्योंकि महंगे वैल्यूएशन से रिटर्न सीमित हो जाता है. मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि भारत के फंडामेंटल अभी भी सकारात्मक हैं, लेकिन आरबीआई की दर में अपेक्षित बढ़ोतरी और ग्लोबल इन्फ्लेशन के साथ फेड टेपरिंग के कारण, रिटर्न सीमित लगता है.
(Article: Kshitij Bhargava)