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BPCL Privatisation: भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) के निजीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ी है. इसके लिए सरकार को कई बोलियां मिली हैं.
BPCL Privatisation: भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) के निजीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ी है. इसके लिए सरकार को कई बोलियां मिली हैं. हालांकि देश की इस दूसरी सबसे बड़ी ईंधन कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज, सऊदी अरामको, बीपी और टोटल जैसी बड़ी तेल कंपनियों ने बोलियां नहीं लगायीं हैं. निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने ट्वीट कर कहा कि बीपीसीएल में सरकार की 52.98 फीसदी हिस्सेदारी की खरीद में कई कंपनियों ने रुचि दिखायी है.
तुहिन कांत पांडे ने कहा कि अब दूसरे चरण में लेनदेन परामर्शक द्वारा इन बोलियों का आकलन किया जाएगा. पांडे इस बिक्री का प्रबंधन देख रहे हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी ट्वीट कर कहा कि बीपीसीएल का रणनीतिक निवेश जारी है. कई कंपनियों के रुचि दिखाने के बाद अब यह दूसरे दौर की प्रक्रिया में हैं. दोनों में किसी ने भी ना तो बोलियों की संख्या बतायी और ना ही बोली लगाने वालों के नाम बताए हैं. अलग से उद्योग जगत से जुड़े चार अधिकारियों ने बताया 3 से 4 बोलियां मिली हैं.
आरआईएल ने नहीं दिखया इंटरेस्ट
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपने प्रस्ताव जमा नहीं कराए, जबकि कंपनी को बीपीसीएल की खरीद का प्रमुख दावेदार माना जा रहा था. बीपीसीएल कंपनी के खुदरा ईंधन कारोबार में 22 फीसदी बाजार हिस्सेदारी जोड़ती और इसे देश की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी बनाती. इसी तरह दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी सऊदी अरामको ने भी इसके लिए रुचि पत्र जमा नहीं कराया है. वहीं ब्रिटेन की बीपी और फ्रांस की टोटल की भारतीय ईंधन बाजार में प्रवेश करने की योजना थी लेकिन उन्होंने ने भी बीपीसीएल की हिस्सेदारी खरीदने में कोई रुचि नहीं दिखायी. दोनों कंपनियों का कहना है कि दुनिया अब तरल ईंधन से दूर जा रही है और ऐसे में वह रिफाइनरी परिसंपत्तियों को अपने कारोबार में नहीं जोड़ना चाहतीं.
रूस की रोजनेफ्ट भी पीछे हटी
रूस की प्रमुख ईंधन कंपनी रोजनेफ्ट के नेतृत्व वाली नायरा एनर्जी के भी पिछले महीने तक बीपीसीएल खरीदने के इच्छुक होने की रपट थी, लेकिन इस कंपनी ने भी बाद में इसमें रुचि छोड़ने के संकेत दिए. भारतीय बाजार को लेकर महत्वकांक्षी अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडनॉक) ने भी तत्काल जानकारी नहीं दी है कि उसने इसके लिए बोली लगायी है या नहीं.
बीपीसीएल की खरीद के लिए कुछ निजी इक्विटी फंड और पेंशन फंड ने रूचि पत्र दाखिल करने की जानकारी है. वहीं, अनिल अग्रवाल के वेदांता समूह को भी इसके लिए संभावित बोली लगाने वाला माना जा रहा है.
अब आगे क्या होगा
सूत्रों ने कहा कि अब लेनदेन परामर्शक बोलियों का आकलन करेंगे और देखेंगे कि बोली लगाने वाली कंपनी अधिग्रहण की योग्यता पूरी करती है या नहीं. इसे वित्तीय रूप से कारगर करने में सक्षम है या नहीं. इस प्रक्रिया में दो से तीन हफ्ते लग सकते हैं और उसके बाद वित्तीय बोलियां मंगाने के लिए आवेदन प्रस्ताव जारी किया जाएगा. बीएसई पर शुक्रवार को बीपीसीएल का शेयर 412.70 रुपये पर बंद हुआ था. इसके हिसाब से इसमें सरकार की 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी 47,430 करोड़ रुपये की बैठती है. इसके अलावा बोली लगाने वाले को सार्वजनिक स्तर पर 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए खुली पेशकश करनी होगी.