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निवेशकों और शेयर बाजार की भी नजरें अब 1 फरवरी को पेश होने जा रहे बजट पर टिक गई हैं.
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Budget 2020 Stock Market Expectations: मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट 1 फरवरी को पेश होने जा रहा है. फिलहाल बजट के पहले बाजार में उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है. गुरूवार 30 जनवरी को सेंसेक्स में 250 अंकों की गिरावट देखी जा रही है. माना जा रहा है कि इस बार बजट में कंजम्पशन बूस्ट करने के लिए आम निवेशकों और टैक्स पेयर्स के लिए बड़ी राहत मिल सकती है. इसके अलावा रूरल सेक्टर, एसएमई, इंफ्रा और रियल एस्टेट को लेकर भी कुछ बड़े एलान संभव हैं. फिस्कल डेफिसिट का टारगेट क्या रहता है, यह बाजार के लिए बहुत बड़ा फैक्टर होगा. ऐसे में निवेशकों और शेयर बाजार की भी नजरें बजट पर टिक गई हैं. एक्सपर्ट भी मान रहे हैं बाजार की चाल अब बहुत कुछ बजट एलान पर टिकी है. बाजार को जो उम्मीदें हैं, अगर उन बातों का एलान होता है तो बाजार में नया जोश दिख सकता है. वहीं, ऐसा न होने पर निवेशकों को बड़ी निराशा हाथ लगेगी.
कंजम्पशन को बूस्ट
ट्रेडिंग बेल्स के सीईओ और को फाउंडर अमित गुप्ता के मुताबिक सरकार की प्रमुख चिंता देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर को वापस पटरी पर लाना है, जो अभी 6 साल के निचले स्तर 4.5 फीसदी पर है. ऐसे में सरकार कंजम्पशन को बूस्ट देने के लिए टैक्स पेयर्स को कुछ राहत दे सकती है. बजट में सरकार अगर टैक्स पेयर्स को कुछ और छूट देती है तो इसका फायदा मिलेगा. टैक्स पेयर्स की बचत बढ़ेगी तो वे अपनी बचत बाजार में लगा सकते हैं, जिससे लिक्विडिटी बढ़ेगी. हालांकि सिर्फ टैक्स पेयर्स को राहत देना ही पर्याप्त उपाय नहीं होगा.
निवेशक लंबे समय से एलटीसीजी, एसटीटी और डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स पर राहत चाह रहे हैं. उम्मीद है कि सरकार इस बार टैक्स पर राहत देकर निवेश को बढ़ावा देने के उपाय करेगी. इसके अलावा जरूरी यह भी देखना होगा कि रूरल इकोनॉमी के लिए सरकार क्या करती है. रूरल इनकम बढ़ने से अर्थव्यवस्था को बड़ा बूस्ट मिल सकता है.
फाइनेंस सेक्टर को मिले मजबूती
फॉर्च्यून फिस्कल के डायरेक्टर जगदीश ठक्कर का कहना है कि फाइनेंस सेक्टर में लिक्विडिटी बढ़ाने पर सरकार को फोकस दिख सकता है, जो बड़ी चुनौती है. इसके अलावा इंफ्रा सेक्टर को लेकर सरकार गंभीर है, ऐसे में बजट में इस सेक्टर को लेकर बड़ा एलान संभव है. दबाव में चल रहे रियल्टी सेक्टर के लिए भी पैकेज दिया जा सकता है. सरकार की योजना 2022 तक सबको घर देने की है, उम्मीद है कि हाउसिंग सेक्टर के लिए कुछ अलग से एलान हो. लीकेज रोककर जीएसटी कलेक्शन के नंबर कैसे बेहतर किए जाएं, इसके उपाय भी जरूरी है.
फिस्कल डेफिसिट पर नजर
अमित गुप्ता का कहना है कि भारत सरकार ने फिस्कल डेफिसिट का टारगेट पहले 3.3 फीसदी रखा था जो इस बार बढ़ाकर GDP का 3.7 फीसदी कर सकती है. इकोनॉमी में सुस्ती की वजह से टैक्स कलेक्शन में कमी रही है. इस बार अगर इसमें बढ़ोत्तरी होती है तो यह बाजार के लिए निगेटिव सेंटीमेंट होगा. यह सीधे तौर पर करंसी और सरकारी बांड पर असर डालेगा. फिलहाल इसे बैलेंस करने के लिए सरकार इंफ्रा और एग्री सेक्टर पर खर्च बढ़ाने का एलान कर सकती है.