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कॉटन के भाव में तेजी का असर आम लोगों पर कपड़ों की महंगाई को लेकर दिख सकता है.
बजट में कॉटन पर कस्टम ड्यूटी को बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया गया है.. इससे पहले इस पर कोई कस्टम ड्यूटी नहीं थी. वित्त मंत्री की इस घोषणा का असर दिखा है और कॉटन के भाव में मजबूती दिख रही है. कॉटन के भाव इस समय 21,100 प्रति बेल के करीब चल रहे हैं. एक बेल में 170 किग्रा होते हैं. बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक अगले दो-तीन महीने में कॉटन 23 हजार का लेवल छू सकता है जिसे 19700 के निचले लेवल पर सपोर्ट मिलेगा. कमोडिटी निवेशकों की बात करें तो उनके लिए निवेश का मौका है और अगले दो-तीन महीने में तेजी की उम्मीद कर सकते हैं. कस्टम ड्यूटी बढ़ाए जाने और कोरोना महामारी के बाद पटरी पर आई इकोनॉमिक गतिविधियों के चलते कॉटन के भाव में तेजी देखने को मिल सकती है. कॉटन के भाव में तेजी का असर आम लोगों पर कपड़ों की महंगाई को लेकर दिख सकता है. इसके अलावा इसका मेडिकल इंडस्ट्री में भी इसकी मांग रहती है.
कोरोना के कारण पिछले साल स्थिर थी मांग
एंजेल ब्रोकिंग के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड रिसर्च) अनुज गुप्ता के मुताबिक पिछले साल 2020 में दुनिया भर में कोरोना महामारी का प्रकोप छाया हुआ था. इसके चलते दुनिया भर में कॉटन की मांग सुस्त रही. हालांकि अब धीरे-धीरे इकोनॉमिक रफ्तार तेज हो रही है और टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री की तरफ से मांग बढ़ी है. इसके अलावा अमेरिका और चीन के बीच कारोबारी तनाव के चलते चीन पर सैंक्शंस का खतरा लगातार बना हुआ है जिसके चलते चीन एग्रेसिव खरीदारी कर रहा है. इस वजह से वैश्विक स्तर पर कॉटन के भाव में तेजी का आउटलुक बन रहा है.
भारत बन सकता है टॉप एक्सपोर्टर
दुनिया में सबसे अधिक कॉटन अमेरिका में उत्पादित होता है. हालांकि इस बार वहां फसल प्रभावित हुई जिसके कारण भारत के पास टॉप एक्सपोर्टर बनने का मौका है. केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक ब्राजील में इस बार फसल अच्छी नहीं हुई जबकि भारत में कॉटन की क्रॉप पिछले साल के मुकाबले बेहतर हुई है. केडिया का कहना है कि वैश्विक स्तर पर कॉटन की शॉर्टेज है जिसके चलते भारत इस गैप को पूरा कर सकता है और वह टॉप एक्सपोर्टर बन सकता है.
2020-21 में अधिक उत्पादन का अनुमान
केंद्रीय टेक्सटाइल मिनिस्ट्री की कॉटन प्रोडक्शन एंड कंजम्प्शन पर एक कमेटी ने कॉटन क्रॉप के डेटा को संशोधित किया है. कमेटी के मुताबिक 2020-21 में 371 लाख बेल्स (एक बेल में 170 किग्रा) के उत्पादन का अनुमान है. इससे पहले 358.50 लाख बेल्स के उत्पादन का अनुमान था. पिछले साल 2019-20 में 365 लाख बेल्स का उत्पादन प्रोजेक्ट किया गया था. हालिया अनुमान के मुताबिक 2020-21 में सबसे अधिक कॉटन गुजरात में 90.5 लाख बेल्स प्रोजेक्ट किया गया है. गुजरात में प्रति हेक्टेअर उत्पादन भी अधिक है. प्रोजेक्शन के मुताबिक गुजरात में प्रति हेक्टेअर 676.86 किग्रा कॉटन उत्पादित होगा जबकि भारत की औसतन कॉटन यील्ड का अनुमान 486.76 किग्रा प्रति हेक्टेअर है. देश में प्रति हेक्टेअर कॉटन राजस्थान में 683.04 किग्रा होने का अनुमान है. पिछले साल प्रति हेक्टेअर 486.76 किग्रा कॉटन की क्रॉप हुई थी.