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Union Budget 2021 For Agriculture Sector: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज 1 फरवरी को इस दशक का पहला बजट पेश किया. पहली बार बजट को डिजिटली तरीके से पेश किया गया. वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए दुहराया कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. वित्त मंत्री ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया गया है ताकि किसानों को उनकी उपज लागत का डेढ़ गुना मूल्य मिल सके. बजट में कुछ वस्तुओं पर एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस लगाने का प्रस्ताव रखा गया है जिसका इस्तेमाल एग्रीकल्चर सेक्टर के विकास में किया जाएगा. इसके अलावा कृषि कर्ज के लक्ष्य को बढ़ाया गया है.
बजट में उन्होंने कृषि और एलाइड सेक्टर्स के लिए कई घोषणाएं की. यह बजट ऐसे समय में पेश हुआ जब केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसान राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर जुटे हुए हैं. ऐसे में बजट से उम्मीद लगाई जा रही थी कि सरकार किसानों के लिए घोषणाएं कर सकती हैं.
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सात साल में किसानों को बढ़ा भुगतान
वित्त मंत्री ने कहा कि 2013-14 में किसानों को गेहू्ं के लिए 33874 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था जो 2020-21 में बढ़कर 75060 करोड़ रुपये हो गया. 2020-21 में 43.36 किसानों को इसका फायदा मिला है. धान के लिए किसान को 2013-14 में 63298 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था जो 2020-21 में 172752 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. 2020-21 में धान के लिए 1.54 करोड़ फायदा पाएंगे. वित्त मंत्री ने दाल का उदाहरण देते हुए कहा कि 2013-14 में किसानों को महज 236 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया जबकि 2020-21 में यह 40 गुना बढ़कर 10530 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. कपास की बात करें तो 2013-14 में किसानों को सिर्फ 90 करोड़ का भुगतान हुआ था जो 27 जनवरी 2021 तक 25974 करोड़ रुपये हो गया.
बजट में एग्रीकल्चर सेक्टर को लेकर घोषणाएं
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले वित्त वर्ष 2021-22 से स्वामित्व स्कीम से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों लागू करने का प्रस्ताव रखा है. इस योजना के अंतर्गत गांवों में संपत्तियों के मालिकों को अधिकार के दस्तावेज दिए जाते हैं. योजना के तहत अब तक 1241 गांवों के लगभग 1.80 लाख संपत्ति मालिकों को कार्ड दिए जा चुके हैं.
- किसानों को जरूरत के मुताबिक कर्ज उपलब्ध कराने के लिए अगले वित्त वर्ष में कृषि कर्ज के लक्ष्य को बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये तक कर दिया गया है. इसके जरिए सरकार की योजना पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन के क्षेत्र में अधिक कर्ज उपलब्ध कराने की है.
- बजट में ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के लिए आवंटन 30 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 40 हजार करोड़ रुपये किया जा रहा है.
- वित्त मंत्री ने माइक्रो इरिगेशन फंड में अतिरिक्त 5 हजार करोड़ रुपये डालने का प्रस्ताव रखा है. नाबार्ड के तहत 5 हजार करोड़ में एक माइक्रो इरिगेशन फंड स्थापित किया गया है.
- ऑपरेशन ग्रीन स्कीम के दायरे को बढ़ाकर इसमें 22 अतिरिक्त जल्द खराब होने वाले उत्पादों को शामिल किया जाएगा. अभी इसमें टमाटर, आलू और प्याज शामिल हैं. यह योजना कृषि और उससे जुड़े उत्पादों के लिए बेहतर दाम उपलब्ध कराने और उसके निर्यात को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है.
- ई-एनएएम के तहत 1 हजार अतिरिक्त मंडियों के अंतर्गत लिया जाएगा.
- एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का इस्तेमाल एपीएमएसी की बुनियादी सुविधाओं के लिए भी किया जा सकेगा.
- मत्स्यपालन के लिए वित्त मंत्री ने बजट में घोषणा की कि 5 मत्स्य बंदरगाहों विकसित किए जाएंगे. ये बंदरगाह कोच्चि, चेन्नई, विशाखापत्तन, पादीप और पेटुआघाट में विकसित किए जाएंगे.
- सीवीड उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए तमिलनाडु में एक मल्टीपर्पज सीवीड पार्क की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया है.
- किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए कॉटन पर कस्टम ड्यूटी शून्य से बढ़ाकर 10 फीसदी और कच्चा रेशम व रेशम सूत पर 10 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी किया गया.
- कुछ वस्तुओं पर एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस लगाने का प्रस्ताव रखा जाएगा. इसका इस्तेमाल एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में किया जाएगा.
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पिछले बजट में हुए थे बड़े ऐलान
बजट 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों के लिए बड़ा एलान किया था. सूखाग्रस्त इलाकों को ध्यान में रखते हुए पीएम कुसुम स्कीम का ऐलान किया गया था. इस स्कीम के तहत देश के सूखा ग्रस्त इलाकों में 20 लाख किसानों को सोलर पंप दिए जाने का प्रावधान रखा गया था. इसके अलावा बजट में पीपीपी मॉडल पर किसान रेल चलाने का एलान किया गया था. इसके अलावा किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लिए बजट में 16 बिंदुओं का एक्शन प्लान रखा गया था जिसमें पीएम कुसुम, किसान रेल के अलावा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रूटों पर किसान उड़ान को शुरू करने और मत्स्य उत्पादन को 2022-23 तक बढ़ाकर 200 लाख टन करने और दूध की प्रोसेसिंग की क्षमता को 2025 तक दोगुना करने का प्रस्ताव रखा गया था.