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बजट को हमेशा इकोनॉमिक बूस्टर के रूप में देखा जाता है.
Budget 2022 Expectations: अब वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट पेश होने में महज कुछ घंटे ही बाकी रह गए हैं. बजट को हमेशा इकोनॉमिक बूस्टर के रूप में देखा जाता है. बजट के बाद आमतौर पर शेयर बाजार में भी तेजी देखने को मिलती है. इस बार भी इक्विटी मार्केट की नजरें बजट पर टिकी हैं. बजट के पहले बाजार पर दबाव रहा है. वहीं यह बजट ऐसे समय पेश हो रहा है, जब कोविड 19 के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को शॉर्ट टर्म के लिए अर्थव्यवस्था पर असर डालने वाला माना जा रहा है. ऐसे में वित्त मंत्री के एलान न सिर्फ निवेशकों का सेंटीमेंट बेहतर कर सकते हैं, बल्कि बाजार में रिटेल निवेशकों की भागीदारी और बढ़ सकती है. बजट की उम्मीदों और बजट के बाद कहां बनेंगे कमाई के मौके, इन सब बातों पर ब्रोकरेज हाउस आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने रिपोर्ट दी है.
स्टॉक बॉय रेंज(Rs) टारगेट(Rs) अपसाइड
Larsen & Toubro 1840-1915 2168 14%
Axis Bank 738-785 870 14%
Tata Motors 475-503 555 14%
United Spirits 805-845 970 16%
Bank of Baroda 98-105 116 14%
CONCOR 600-630 698 13%
KPR Mills 625-655 765 19%
National Aluminium 102-108 125 19%
Bharat Dynamics 458-480 548 17%
KNR Construction 288-302 358 20%
ग्रोथ को सपोर्ट देने वाला हो सकता है बजट
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का कहना है कि पिछली बार की तरह इस बार भी बजट ग्रोथ सपोर्टिव हो सकता है. बजट से ग्रोथ को नई दिशा मिल सकती है. हायर कैपेक्स अलोकेशन के जरिए सरकार ग्रोथ एजेंडा जारी रख सकती है. इससे इन्वेस्टमेंट साइकिल में जहां तेजी आएगी, ज्यादा से ज्यादा नौकरियां क्रिएट करने में भी मदद मिलेगी. ब्रोकरेज का मानना है कि फिस्कल कंजर्वेटिव अप्रोच जारी रह सकती है.
सरकार जीडीपी को बूस्ट देने के लिए स्पेंडिंग बढ़ा सकती है. ब्रोकरेज का अनुमान है कि FY22E के लिए फिस्कल डेफिसिटी GDP का 6.3 फीसदी रह सकता है. सरकार अगर कैपिटल एक्सपेंडिचर अलोकेशन हाई रहता है तो आगे हेल्दी टैक्स रेवेन्यू और विनिवेश में तेजी आने से फिस्कल डेफिसिटी में कमी आएगी.
ओपनिंग-अप इकोनॉमी होगा ट्रिगर
ब्रोकरेज का अनुमान है कि ग्रोथ में तेजी की उम्मीद है. ओपनिंग अप इकोनॉमी और पब्लिक व प्राइवेट कैपेक्स इसके लिए की ट्रिगर हो सकते हैं. FY23E के लिए टैक्स रेवेन्यू ग्रोथ 14.1 फीसदी रह सकता है. हायर डिसइन्वेस्टमेंट और मोनेटाइजेशन प्लान से सरकार ज्यादा से ज्यादा फंड जुटाने पर फोकस कर सकती है. ऐसे में विनिवेश और निजीकरण पर क्लीयर रोडमैप दिख सकता है. इसकी गति में तेजी आ सकती है.
MSME/रूरल इकोनॉमी को मिले सपोर्ट
ब्रोकरेज का कहना है कि बजट में MSME सेक्टर के लिए बेहतर योजनाएं इकोनॉमी को बूस्ट दे सकती हैं. वहीं उम्मीद है कि रूरल इकोनॉमी के लिए सरकार बड़े एलान करेगी. ईज आफ डूइंग बिजनेस को आसान करने के उपाय होने चाहिए. वहीं टैक्स कम्प्लाएंस पर भी फोकस होना चाहिए. MSMEs में सिंगल विंडो इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरेंस सिस्टम की उम्मीद है. MSMEs और माइक्रो के लिए ECLGS और अन्य लोन गारंटी स्कीम को बढ़ाया जाना चाहिए. PLI के लिए हायर अलोकेशन की उम्मीद है.