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ऐसे कई उपाय हैं, जिन पर अमल करके वित्त मंत्री नए बजट में बुजुर्गों को राहत दे सकती हैं.
Budget 2023 : बुजुर्ग टैक्सपेयर्स के लिए नया बजट कैसा होने वाला है? क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बार सीनियर सिटिजन्स के लिए कोई खास एलान कर सकती हैं? बजट से चंद रोज पहले ये सवाल सिर्फ बुजुर्ग करदाताओं के मन में ही नहीं, बल्कि उनके परिवार के लोगों के मन में भी उठ रहे होंगे. आइए जानते हैं कि ऐसे कौन से उपाय हैं, जिन पर अमल करके वित्त मंत्री बुजुर्गों को राहत दे सकती हैं.
बेसिक एक्जम्पशन लिमिट में इजाफा
60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों के लिए फिलहाल इनकम टैक्स की बेसिक एक्जम्पशन लिमिट 3 लाख रुपये सालाना है. यानी इतनी आमदनी पर उन्हें कोई टैक्स नहीं देना पड़ता. 80 साल से ज्यादा के सुपर सीनियर सिटिजन्स के लिए यही लिमिट 5 लाख रुपये है. बहुत से लोगों का मानना है कि सरकार को 5 लाख रुपये की बेसिक एक्जम्पशन लिमिट सभी बुजुर्गों के लिए लागू कर देनी चाहिए, क्योंकि 60 साल के बाद आमदनी और सेहत से जुड़ी तमाम समस्याओं का सामना सभी बुजुर्गों को समान रूप से करना पड़ता है.
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन बढ़े
बुजुर्गों को अभी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए साल में 50 हजार रुपये तक प्रीमियम भुगतान करने पर टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है. यह लाभ उनके हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम अदा करने वाले उनके बच्चों को भी मिलता है. बुजुर्गों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम आम तौर पर काफी अधिक होता है. इसे ध्यान में रखते हुए यह लिमिट बढ़ाकर कम से कम 1 लाख रुपये की जानी चाहिए. बुजुर्ग माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने वाले बच्चों को भी इस डिडक्शन का लाभ मिलना चाहिए.
इलाज के खर्च पर टैक्स छूट
ज्यादातर हेल्थ इंश्योंरेस पॉलिसी में ओपीडी में होने वाले इलाज का खर्च, डॉक्टर की फीस, दवाओं का बिल और जांच के खर्च जैसी चीजों को कवर नहीं किया जाता. जबकि आम तौर पर बुजुर्गों के इलाज में ऐसे खर्चों का हिस्सा काफी अधिक होता है. रिटायर्ड लाइफ जी रहे लोगों के लिए ये खर्च उठाना आसान नहीं होता. ऐसे में अगर उन्हें खर्च हुई रकम पर टैक्स भी भरना पड़े तो ये ऐसी दोहरी मार है, जिससे उन्हें बचाया जाना चाहिए. आदर्श स्थिति तो यह होनी चाहिए कि सभी बुजुर्गों के मुफ्त इलाज का इंतजाम सरकार करे. लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं है, तो कम से कम उनके इलाज पर होने वाले वास्तविक खर्च को बिना किसी सीमा के पूरी तरह टैक्स मुक्त किया जाना चाहिए.
ब्याज से होने वाली आय पर टैक्स छूट की सीमा बढ़े
बुजुर्गों को फिलहाल बैंक या पोस्ट ऑफिस से मिलने वाले 50 हजार रुपये तक के सालाना ब्याज पर टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है.लेकिन महंगाई की ऊंची दर को देखते हुए इसमें बढ़ोतरी करने की जरूरत है. इसके अलावा बहुत से बुजुर्गों की आमदनी का बड़ा जरिया उनकी बचत पर मिलने वाला ब्याज ही होता है. ऐसे में ब्याज पर कर छूट का दायरा बढ़ाकर कम से कम 1 लाख रुपये किया जाना चाहिए. इक्विटी निवेश में इस तरह का लाभ पहले से मिल रहा है, लेकिन अधिकांश बुजुर्गों के लिए इक्विटी में निवेश करना संभव नहीं होता और जोखिम लेने की कम क्षमता के कारण उनके लिए ऐसा करना आम तौर पर सही भी नहीं होता. ऐसे में उन्हें 1 लाख रुपये तक के सालाना ब्याज पर टैक्स छूट देना बेहद वाजिब कदम होगा.
पेंशन को टैक्स फ्री किया जाए
सीनियर सिटिजन्स की यह मांग काफी पुरानी है. लंबे समय तक काम करने के बाद जब वे रिटायर होते हैं, तो उनकी जिंदगी भर की जमापूंजी ही उनके काम आती है. आम तौर पर उसमें कोई इजाफा नहीं होता या बेहद कम होता है. जबकि महंगाई साल दर साल बढ़ती ही जाती है. ऐसे में रिटायरमेंट के समय अगर पेंशन की रकम पर्याप्त लगती हो, तो भी कुछ बरस बाद कम पड़ने लगती है. ऊपर से उनकी सारी पेंशन या एन्युइटी से होने वाली आय पर इनकम टैक्स भरना पड़ता है. जिससे उनकी जमापूंजी और भी घटती चली जाती है. लिहाजा, असर सरकार बुजुर्गों की पेंशन से होने वाली आय को पूरी तरह टैक्स-फ्री कर दे, तो यह बेहद सराहनीय कदम होगा.
SCSS, PMVVY में निवेश की लिमिट बढ़ाई जाए
फिलहाल बुजुर्गों को फिक्स्ड इनकम का लाभ देने वाली दो प्रमुख योजनाएं हैं - सीनियर सिटिजन्स सेविंग्स स्कीम (SCSS) और प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (PMVVY). लेकिन इनमें निवेश की अधिकतम सीमा फिलहाल 15 लाख रुपये है. लेकिन कीमतों के मौजूदा स्तर को देखते हुए इतना कॉर्पस किसी बुजुर्ग के सम्मानजनक जीवन के लिए पर्याप्त नहीं है. लिहाजा सरकार को इस स्कीम में निवेश की सीमा बढ़ाने पर विचार करना चाहिए.
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टैक्स रिटर्न फाइल करने में छूट का दायरा बढ़े
मौजूदा नियमों के तहत 75 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को अगर सिर्फ पेंशन और ब्याज से ही आमदनी होती है और उन्हें ब्याज भी उसी बैंक से मिलता है, जिसमें उनकी पेंशन जमा होती है, तो उनके लिए टैक्स रिटर्न भरना जरूरी नहीं होता. सरकार को इस सुविधा के दायरे में विस्तार करने पर विचार करना चाहिए. यह सहूलियत 75 की बजाय 60 या 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को दी जा सकती है और इससे जुड़ी शर्तों को भी और आसान बनाया जा सकता है. तमाम बैंक खाते पैन और आधार की लिंकिंग के जरिए हरेक टैक्स पेयर के प्रोफाइल से जुड़े हुए हैं. लिहाजा सरकार के लिए ऐसा करना मुश्किल नहीं होगा.
1 फरवरी 2023 को पेश होने वाला बजट 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मौजूदा केंद्र सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा. यही वजह है कि तमाम टैक्सपेयर्स इस बार सरकार से कुछ न कुछ तोहफा मिलने की उम्मीद कर रहे हैं. लेकिन क्या वाकई उनकी उम्मीद पूरी होगी, ये तो बजट के दिन ही पता चल पाएगा.