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Buffett Indicator ने भारतीय शेयर मार्केट के बारे में दिए चिंताजनक संकेत, जानिए बाज़ार का अनुमान लगाने में कितना कारगर है ये इंडिकेटर

Buffett Indicator : दुनिया के दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट के बनाए इस इंडिकेटर का इस्तेमाल बाजार की चाल का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है.

Buffett Indicator : दुनिया के दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट के बनाए इस इंडिकेटर का इस्तेमाल बाजार की चाल का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है.

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Buffett Indicator indicates indian stock market Significantly Overvalued know how it beneficial for an investor to understand equity market

बफेट इंडिकेटर मार्केट कैप और जीडीपी रेशियो का अनुपात है. इसे फीसदी में व्यक्त किया जाता है. (Image- Reuters)

Buffett Indicator: कोरोना महामारी के दौरान दुनिया भर के बाजारों में भगदड़ की स्थिति आ गई थी और बाजार औंधे मुंह गिरे थे. इससे उबरने के बाद स्टॉक मार्केट नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए. हालांकि कुछ जानकार इस तेजी को लेकर सशंकित हैं कि मार्केट में जिस हिसाब से तेजी आई है, उसी हिसाब से करेक्शन देखने को मिल सकता है. स्टॉक मार्केट में निवेश से पहले बाजार के जानकार कुछ तरीकों का इस्तेमाल करते हैं जिससे बाजार की चाल का अनुमान लगाया जाता है. ऐसा ही एक तरीका बफेट इंडिकेटर है जिससे बाजार के ओवरवैल्यू, फेयरवैल्यू या अंडरवैल्यू होने का संकेत मिलता है.

बफेट इंडिकेटर बाजार की चाल को मापने का तरीका है. दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट ने करीब 20 साल पहले इसे प्रस्तावित किया था और कहा था कि यह किसी भी समय में बाजार की कीमत मापने का संभवत: सबसे बेहतर तरीका है. इस इंडिकेटर के हिसाब से भारतीय शेयर बाजार की तेजी डराने वाली है यानी इसमें तेज करेक्शन दिख सकता है.

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Buffett Indicator दे रहा खतरनाक संकेत

बफेट इंडिकेटर मार्केट कैप और जीडीपी रेशियो का अनुपात है. इसे फीसदी में व्यक्त किया जाता है. इस समय यह 118.24 फीसदी पर है जो ओवरवैल्यूड है. बफेट इंडिकेटर को एक और तरीके से व्यक्त किया जाता है. इसमें मार्केट कैप और जीडीपी व केंद्रीय बैंक के कुल एसेट्स का अनुपात निकाला जाता है. हालांकि इस तरीके से भी भारतीय शेयर मार्केट के लिए बफेट इंडिकेटर 102.86 फीसदी जो कि ओवरवैल्यूड है.

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इंडिकेटर अधिक होने का मतलब भाव महंगा

वॉरेन बफेट इंडिटेकर के अधिक होने का मतलब है भारतीय शेयरों की वैल्यू अधिक हो गई है और इसकी तुलना में जीडीपी ग्रोथ व कंपनियों की कमाई धीमी है. बफेट ने एक बिजनेस पत्रिका 'फॉर्च्यून' में 10 सितंबर 2001 को लिए एक आर्टिकल में जब इसका जिक्र किया था तो कहा था कि यह बाजार की चाल को मापने का सबसे बेहतर तरीका है. बफेट के मुताबिक अगर मार्केट कैप और जीडीपी का फीसदी रेशियो 70-80% के बीच है तो शेयरों की खरीदारी का बेहतर मौका है लेकिन जब यही रेशियो 200 फीसदी से अधिक पहुंच जाता है तो ऐसे समय में शेयरों में निवेश करना आग से खेलने जैसा है.

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