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बाइटडांस लिमिटेड TikTok India के भारतीय ऑपरेशंस को बेचने के लिए प्रतिद्वंद्वी कंपनी ग्लेंस से बातचीत कर रही है. बाइटडांस शॉर्ट वीडियो शेयरिंग ऐप टिकटॉक को बचाने के लिए यह कोशिश कर रही है क्योंकि इस पर अभी भारत में अनिश्चितकालीन प्रतिबंध लगा हुआ है. टिकटॉक इंडिया के एसेट्स के लिए जापान के सॉफ्टेबैंक ग्रुप कॉरपोरेशन कांग्लोमेरेट ने बातचीत शुरू कर दिया है.
सॉफ्टबैंक की ग्लेंस के पैरेंट कंपनी InMobi Pte और टिकटॉक के पैरेंट कंपनी बाइटडांस में हिस्सेदारी है. सॉफ्टबैंक और बाइटडांस ने इस मामले में भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया है. ग्लेंस के प्रवक्ता ने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
भारत और चीन की अथॉरिटी से लेनी होगी मंजूरी
सॉफ्टबैंक , बाइटडांस और ग्लेंस के बीच बातचीत जारी है और अगर सौदे पर अंतिम मुहर लगती है तो इसे इंडियन अथॉरिटी से भी अप्रूव कराना होगा. भारत ने चीन के साथ गहराते सीमा विवाद के दौरान हजारों चाइनीज ऐप्स प्रतिबंधित कर दिए थे, जिसमें से टिकटॉक भी एक था. सॉफ्टबैंक टिकटॉक इंडिया के एसेट्स को उबारने की कोशिश कर रही है और इसके लिए वह किसी स्थानीय सहयोगी की तलाश कर रही है.
मामले के जानकार शख्स ने बताया कि अगर बातचीत जारी रहती है तो भारत सरकार टिकटॉक को भारतीय यूजर का डेटा और टेक्नोलॉजी भारतीय सीमा में ही रखने का आदेश दे सकती है. इसका कारण यह है कि भारत और चीन के बीच तनाव लगातार बना हुआ है और भारत चीन की तकनीकी कंपनियों को भारत में आने की मंजूरी नहीं देगा. इसके अलावा तकनीक के निर्यात पर चीन के नए नियमों के कारण भी इस सौदे में दिक्कत आ सकती है क्योंकि टिकटॉक की बिक्री पर इसे चीन के अथॉरिटी की भी मंजूरी लेनी होगी.
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पिछले महीने बाइटडांस ने कई लोगों को निकाला जॉब से
टिकटॉक ऐप पर भारत में 20 करोड़ से अधिक यूजर्स थे. पिछले साल 2020 में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के दौरान भारत सरकार ने भारतीय सुरक्षा के लिए खतरा समझे जाने वाले टिकटॉक समेत कई चाइनीज ऐप्स को प्रतिबंधित करने का फैसला किया था. टिकटॉक के सबसे अधिक यूजर्स भारत में थे. पिछले महीने जनवरी 2021 में बाइटडांस ने अपने भारतीय कारोबार को बंद करने की घोषणा की थी और सैकड़ों लोगो को नौकरी से निकाल दिया था. इसमें से अधिकतर लोगों को प्रतिद्वंद्वी कंपनियों में रोजगार मिल गया.
टिकटॉक बैन होने के बाद ग्लेंस की बढ़ी प्रसिद्धि
ग्लेंस डिजिटल एक्सपेरिएंस एक मोबाइल कंटेट प्लेटफॉर्म है जिसे हार्वर्ड बिजनस स्कूल के एलुमनी नवीन तिवारी ने शुरू किया है. वह इनमोबी के फाउंडर हैं जो देश का पहला यूनीकॉर्न है. टिकटॉक पर बैन लगने के बाद ग्लेंस का 20 महीने पुराना शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म Roposo तेजी से पॉपुलर हो गया. दिसंबर में गूगल और अरबपति पीटर थील के मिथ्रिल कैपिटल से फंडिंग पाने के बाद यूनीकॉर्न बन गया. यूनीकॉर्न ऐसा निजी स्टार्टअप है जिसका वैल्यूएशन 100 करोड़ डॉलर से अधिक हो. टिकटॉक पर बैन लगने के बाद दर्जनों शॉर्ट वीडियो ऐप भारत में शुरू हुए.
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