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The latest numbers on ECLGS, as released by the finance ministry, comprise disbursements by all 12 public sector banks (PSBs), 22 private sector banks and 21 non-banking financial companies (NBFCs).
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Cabinet Decisions: आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत देश के सूक्ष्म, लघु एवं मंझोले उद्योगों (MSMEs) के लिए किए गए एलानों पर आज केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मुहर लगा दी. मोदी मंत्रिमंडल ने फंड ऑफ फंड्स के जरिए अच्छा प्रदर्शन करने वाले और विस्तार करने की इच्छा रखने वाले MSME को 50,000 करोड़ रुपये के इक्विटी इन्फ्यूजन को मंजूरी दे दी है. कैबिनेट मीटिंग में MSME, कुटीर व गृह उद्योगों के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के कोलेट्रल फ्री ऑटोमेटिक लोन को मंजूरी दे दी गई है. इस कर्ज की समयसीमा 4 साल की होगी. इस लोन को लेने वालों को पहले वर्ष मूलधन नहीं चुकाना होगा. 31 अक्टूबर 2020 तक इस स्कीम का फायदा लिया जा सकता है.
इसका लाभ 100 करोड़ तक के टर्नओवर और 25 करोड़ रुपये तक के बकाया वाली बॉरोअर्स यूनिट ले सकेंगी. इस एलान से 45 लाख यूनिट्स को फायदा होगा. इसके अलावा जो MSME, कुटीर उद्योग इस वक्त संकट का सामना रहे हैं, उनके लिए 20,000 करोड़ रुपये के डिस्ट्रेस्ड असेट फंड को भी मंजूरी दे दी गई है. इससे लगभग 2 लाख से ज्यादा MSME, कुटीर उद्योग को फायदा मिलने वाला है. सरकार की ओर से कहा गया है कि 20000 करोड़ के डिस्ट्रेस्ड असेट फंड पर ब्याज कम से कम रखने की कोशिश की जाएगी.
नौकरियां पैदा होंगी
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इन घोषणाओं से MSME क्षेत्र में निवेश आएगा और नौकरियां पैदा होंगी. संकट में फंसे MSME को इक्विटी सहायता देने को घोषणा हुई है, जिसके तहत 20 हजार करोड़ रु की सहायता के प्रावधान पर मुहर लग गई है. इससे 2 लाख संकट में फंसे MSME को फायदा होगा. 50 हजार करोड़ रु के इक्विटी निवेश का प्रस्ताव भी पहली बार हुआ है, जिससे MSME उद्योगों को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने का मौका मिलेगा.
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50,000 करोड़ रु का इक्विटी इन्फ्यूजन
मोदी मंत्रिमंडल ने फंड ऑफ फंड्स के जरिए अच्छा प्रदर्शन करने वाले और विस्तार करने की इच्छा रखने वाले MSME को 50,000 करोड़ रुपये के इक्विटी इन्फ्यूजन को भी मंजूरी दे दी है. इससे अच्छा काम करने वाले MSME को आकार और क्षमता बढ़ाने का अवसर मिलेगा. इसके लिए 10000 करोड़ रुपये का फंड ऑफ फंड्स सेटअप किया गया है.
परिभाषा में बदलाव को भी मंजूरी
कैबिनेट मीटिंग के बाद MSME मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि देश की GDP में MSME का योगदान 29 फीसदी है. इस वक्त देश में 6 करोड़ MSME हैं. उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने MSME की परिभाषा में बदलाव पर भी मुहर लगा दी है. इसके तहत अब 1 करोड़ ​तक का निवेश करने वाली और 5 करोड़ तक का कारोबार करने वाली मैन्युफैक्चरिंग व सर्विसेज यूनिट अब माइक्रो यूनिट कहलाएगी. 10 करोड़ तक तक निवेश और 50 करोड़ तक का कारोबार करने वाली अब स्मॉल और 50 करोड़ तक निवेश व 250 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली यूनिट मीडियम यूनिट कहलाएगी. गडकरी ने आगे कहा कि MSME जितना एक्सपोर्ट करेंगे, वो उनके सालाना टर्नओवर में शामिल नहीं किया जाएगा.