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GST करदाताओं को राहत: B2B लेनदेन पर अनिवार्य ई-इनवॉइसिंग एक माह के लिए टली, लेकिन लगेगा जुर्माना

GST कानून के तहत 500 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए एक अक्टूबर से बी2बी लेनदेन पर ई-इनवॉइस बनाना अनिवार्य किया गया था.

GST कानून के तहत 500 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए एक अक्टूबर से बी2बी लेनदेन पर ई-इनवॉइस बनाना अनिवार्य किया गया था.

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CBIC gives One time relaxation in implementation of E-Invoice Provisions for the month of October 2020 to GST Taxpayers, central board of indirect taxes and customs

The total GSTR-3B Returns filed in October was 80 lakh.

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमाशुल्क बोर्ड (CBIC) ने बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) लेनदेन पर 1 अक्टूबर से इलेक्ट्रानिक बिल (ई-इनवॉइस) बनाने के मामले में एक​बारगी राहत दी है. वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) कानून के तहत 500 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए एक अक्टूबर से बी2बी लेनदेन पर ई-इनवॉइस बनाना अनिवार्य किया गया था.

CBIC ने एक बयान में कहा है कि इस संबंध में पहली अधिसूचना जारी करने के नौ महीने बाद भी कुछ कारोबार अभी तक इसके लिए तैयार नहीं हुए. इसलिए ई-इनवॉइस प्रणाली को लागू करने के शुरुआती चरण में आखिरी मौका देते हुए यह निर्णय किया गया है कि ऐसे करदाताओं द्वारा अक्टूबर 2020 के दौरान निर्धारित तौर तरीके का पालन करे बिना भी जारी किए जाने वाले इनवॉयस को मान्यता दी जानी चाहिए और नियमों का पालन नहीं करने के चलते उन पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए.

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हालांकि करदाताओं को जुर्माने से एक शर्त पर छूट मिल सकती है, वह यह कि बी2बी सौदों की अक्टूबर महीने में की गयी बिक्री के लिए एक माह के भीतर ई-इनवॉयस बनाने होंगे. इसके लिये इनवॉइस रेफ्रेंरेंस पोर्टल (आईआरपी) से उसका रेफरेंस नंबर प्राप्त करना होगा.

उदाहरण से समझें

CBIC ने उदाहरण देते हुये कहा है कि माना कि एक व्यक्ति ने 3 अक्टूबर 2020 को बिना इनवॉइस रेफ्रेंरेंस नंबर (आईआरएन) के बिल जारी किया लेकिन इस बिल का ब्योरा इनवॉइस रेफ्रेंरस पोर्टल (आईआरपी) पर 2 नवंबर 2020 को अथवा उससे पहले डाल दिया और आईआरएन ले लिया, तो ऐसी स्थिति में जुर्माना नहीं लिया जायेगा. यह भी कहा गया है कि एक नवंबर 2020 के बाद इस तरह की राहत नहीं दी जायेगी और बिना ई-इनवॉइस के बिल जारी होने पर उसे केन्द्रीय जीएसटी नियमन 2017 के नियम 48 (4) का उल्लंघन माना जायेगा और इस उल्लंघन के लिये सीजीएसटी कानून के नियमों को लागू किया जायेगा.

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नियमों में कब क्या हुआ बदलाव

CBIC ने बयान में बताया कि सरकार ने दिसंबर 2019 में फैसला किया था कि ऐसे जीएसटी करदाता जिनका किसी गुजरे वित्त वर्ष में सालाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से अधिक रहा है, उन्हें 1 अप्रैल 2020 से सीजीएसटी नियमान 2017 के नियम 48(4) के तहत उल्लिखित तरीके के अनुरूप सभी बी2बी सप्लाई के लिए ई-इनवॉइस जारी करना होगा. आगे चलकर सीजीएसटी नियमान 2017 के नियम 48(5) के तहत यह फैसला किया गया कि निर्दिष्ट करदाताओं द्वारा किसी भी अन्य तरीके से जारी किया गया बी2बी इनवॉइस या एक्सपोर्ट इनवॉइस मान्य नहीं होगा. इसके बाद मार्च 2020 में ई-इनवॉइस को0 लागू करने की आखिरी तारीख को बढ़ाकर 1 अक्टूबर 2020 कर दिया गया. फिर कोविड19 के कारण करदाताओं को हो रही परेशानियों को ध्यान में रखते हुए जुलाई 2020 में यह तय किया गया कि जिन करदाताओं को सालाना टर्नओवर 500 करोड़ रुपये और इससे ज्यादा है, केवल उन्हें ही 1 अक्टूबर 2020 से ई-इनवॉइस जारी करना होगा.

इसकी डेडलाइन भी आगे बढ़ी

सरकार ने व्यवसाय-से-उपभोक्ता (बी2सी) को दिये जाने वाले बिलों पर डायनेमिक क्यूआर कोड प्रिंट करने की आवश्यकता को दो महीने के लिये यानी एक दिसंबर तक टाल दिया है. क्विक रिस्पॉन्स कोड (क्यूआर कोड) डिजिटल ई-चालान में विवरण को सत्यापित करने में मदद करता है. CBIC ने ट्वीट किया है, ‘‘बी2सी के चालान पर डायनेमिक क्यूआर कोड की आवश्यकता को एक दिसंबर 2020 तक के लिये टाल दिया गया है.’’

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