/financial-express-hindi/media/post_banners/nYKm3EF2l6eB5GJhkGsR.jpg)
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने रिलायंस द्वारा फ्यूचर ग्रुप के रिटेल, होलसेल, लॉजिस्टिक्स और वेयर हाउसिंग कारोबार का अधिग्रहण करने की मंजूरी दे दी है.
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने रिलायंस (Reliance) द्वारा फ्यूचर ग्रुप (Future Group) के रिटेल, होलसेल, लॉजिस्टिक्स और वेयर हाउसिंग कारोबार का अधिग्रहण करने की मंजूरी दे दी है. यह 24,713 करोड़ की डील रिलायंस इंडस्ट्रीज के तेजी से बढ़ते रिटेल कारोबार को और बढ़ावा देने में मदद करेगी जिसका एलान अगस्त में किया गया था. शुक्रवार को नियामक ने एक ट्वीट में कहा कि उसने रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड, रिलायंस रिटेल और फैशन लाइफस्टाइल लिमिटेड द्वारा फ्यूचर ग्रुप के रिटेल, होलसेल, लॉजिस्टिक्स और वेयर हाउसिंग कारोबार का अधिग्रहण करने की मंजूरी दे दी है.
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग से मंजूरी
एक निश्चित सीमा के बाहर के समझौतों को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की मंजूरी की जरूरत होती है, जिससे अलग-अलग क्षेत्रों में गलत कारोबारी गतिविधियों पर नजर रखने में मदद मिलती है. CCI को सब्मिट किए गए नोटिस के मुताबिक, कम से कम सात टार्गेट इकाइयां हैं. ये फ्यूचर एंटरप्राइजेज, फ्यूचर कंज्यूमर लिमिटेड, फ्यूचर लाइफस्टाइल फैशन लिमिटेड, फ्यूचर रिटेल लिमिटेड, फ्यूचर मार्केट नेटवर्क्स लिमिटेड, फ्यूचर सप्लाई चैन सोल्यूशंस लिमिटेड और फ्यूचरबाजार इंडिया लिमिटेड और उनकी सब्सिडरी हैं.
SBI ने अपनी रिपोर्ट में सुधारा जीडीपी ग्रोथ का आकलन, इन दो बातों पर निर्भर करेगी इकोनॉमी
अमेजन ने किया डील का विरोध
नोटिस के मुताबिक, ट्रांसफर करने वाली कंपनियों में कई लिस्टेड और अनलिस्टेड कंपनियां शामिल हैं जो मुख्य तौर पर रिटेल, होलसेल, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग कारोबार में लगी हैं. ये कारोबार पूरे भारत में संचालित होते हैं और इनमें कई सेक्टर्स जैसे फूड और ग्रॉसरी, अपैरल, फुटवियर और एक्सेसरीज, दूसरे मर्चेंडाइज आदि में रिटेल ऑपरेशंस शामिल है. इस बीच बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ने फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस के बीच डील का विरोध किया है.
अमेजन ने पिछले साल फ्यूचर ग्रुप की अनलिस्टेड कंपनियों में से एक में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी जिसके साथ लिस्टेड फ्यूचर रिटेल लिमिटेड में खरीदारी करने का अधिकार था. अमेजन ने दावा किया है कि उसका अनलिस्टेड फ्यूचर कूपंस लिमिटेड के साथ कॉन्ट्रैक्ट लोगों और कंपनियों के साथ ट्रांजैक्शन को रोकता है जिसमें रिलायंस भी शामिल है.