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RBI की एमपीसी बैठक अगले हफ्ते, 8 अप्रैल को नीतियों का होगा ऐलान

RBI MPC in FY 2023: अगले वित्त वर्ष में आरबीआई के मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की छह बैठक होगी और पहली बैठक अगले हफ्ते शुरू होगी.

RBI MPC in FY 2023: अगले वित्त वर्ष में आरबीआई के मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की छह बैठक होगी और पहली बैठक अगले हफ्ते शुरू होगी.

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central bank Reserve Bank MPC to meet 6 times next fiscal rbi first meeting scheduled for April 6-8

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास की बैठक में समिति अगले वित्त वर्ष की पहली बैठक 6 अप्रैल से शुरू करेगी.

RBI MPC in FY 2023: अगले वित्त वर्ष 2022-23 में केंद्रीय बैंक आरबीआई (RBI) के मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की छह बैठक होगी और पहली बैठक अगले हफ्ते शुरू होगी. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास की बैठक में समिति अगले वित्त वर्ष की पहली बैठक 6 अप्रैल से शुरू करेगी और 8 अप्रैल यानी अगले हफ्ते शुक्रवार तक जारी रहेगी. एमपीसी घरेलू और आर्थिक स्थितियों के आधार पर दो महीने की मौद्रिक नीतियों का ऐलान करती है. इस समिति का नेतृत्व आरबीआई गवर्नर करते हैं. इसके अलावा समिति में केंद्रीय बैंक को दो प्रतिनिधि और तीन बाहरी सदस्य होते हैं. केंद्र सरकार ने आरबीआई को 4 फीसदी पर इंफ्लेशन तय रखने का टास्क दिया है. इसमें 2 फीसदी ऊपर और नीचे यानी 2-6 फीसदी इंफ्लेशन का दायरा आरबीआई का है.

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अगले वित्त वर्ष के एमपीसी बैठक का पूरा शेड्यूल जारी

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आरबीआई द्वारा आज बुधवार (30 मार्च) को जारी शेड्यूल के मुताबिक अगले वित्त वर्ष की पहली एमपीसी बैठक 6-8 अप्रैल, दूसरी बैठक 6-8 जून, तीसरी 2-4 अगस्त, चौथी 28-30 सितंबर और पांचवी बैठक 5-7 सितंबर 2022 को आयोजित होगी. अगले वित्त वर्ष की आखिरी एमपीसी बैठक अगले साल 6-8 फरवरी 2023 को होगी.

लगातार दस बार से दरें हैं स्थिर

आरबीआई ने करीब दो साल पहले वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के चलते मार्च में 0.75 फीसदी (75 बीपीएस) और मई में 0.40 फीसदी (40 बीपीएस) की कटौती की थी और उसके बाद रेपो रेट 4 फीसदी के ऐतिहासिक निचले स्तर पर लुढ़क गया. इसके बाद से अभी तक आरबीआई ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. लगातार दस बार से दरें स्थिर हैं. रेपो रेट 4 फीसदी पर हैं और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है.

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क्या होता है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट

रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI द्वारा बैंकों को कर्ज दिया जाता है. बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं. रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे. जबकि रिवर्स रेपो रेट इसके उलट होता है. रिवर्स रेपो रेट वह दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा पर RBI से ब्याज मिलता है. रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजार में लिक्विडिटी कंट्रोल किया जाता है.

Rbi Shaktikanta Das Rbi Monetary Policy Review