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Chip Shortage: चिप की किल्लत ने बढ़ाई समस्या, आईटी-हार्डवेयर के लिए बढ़ सकती है पीएलआई स्कीम की मियाद

Chip Shortage: दुनिया भर में चिप की किल्लत हो रही है और इसके चलते उद्योंगों को उत्पादन में दिक्कत हो रही है.

Chip Shortage: दुनिया भर में चिप की किल्लत हो रही है और इसके चलते उद्योंगों को उत्पादन में दिक्कत हो रही है.

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FE Online
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Chip Shortage Production-linked incentive scheme for IT hardware likely to be extended by a year

कुछ कंपनियों ने सप्लाई चेन में आने वाली दिक्कतों और वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर की किल्लत का हवाला देते हुए उत्पादन में देरी की बात कही है. (Image- Pixabay)

Chip Shortage: दुनिया भर में चिप की किल्लत हो रही है और इसके चलते उद्योंगों को उत्पादन में दिक्कत हो रही है. इसे देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि स्मार्टफोन के बाद अब सरकार आईटी हार्डवेयर के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव (PLI) स्कीम को कम से कम एक साल के लिए आगे बढ़ा सकती है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कुछ कंपनियों ने सप्लाई चेन में आने वाली दिक्कतों और वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर की किल्लत का हवाला देते हुए उत्पादन में देरी की बात कही है और कहा है कि इसके चलते पीएलआई स्कीम के तहत पहले साल (वित्त वर्ष 2022) में बढ़े हुए उत्पादन व बिक्री के लक्ष्य चूक सकते हैं. पीएलआई स्कीम के तहत मैन्यूफैक्चरर्स को आधार वर्ष के मुकाबले उत्पादन में बढ़ोतरी बिक्री लक्ष्य को हर साल हासिल करने पर कैश इंसेटिव दिया जाने का प्रावधान है.

आईटी हार्डवेयर के तहत लैपटॉप, टैबलेट्स, ऑल-इन-वन पर्सनल कंप्यूटर्स (PCs) व सर्वर आते हैं और इनके लिए आधार वर्ष FY20 है और पीएलआई स्कीम की अवधि चार साल है. यह योजना अभी वित्त वर्ष 2022 से शुरू हुई है और अगर एक साल की अवधि बढ़ाई जाती है तो यह योजना वित्त वर्ष 2025 की बजाय FY26 तक जारी रहेगी. पीएलआई स्कीम के तहत चुनी गई आईटी हार्डवेयर कंपनी Optiemus Electronics के एमडी ए गुजराज के मुताबिक चिप की किल्लत के चलते पीएलआई स्कीम की अवधि को बढ़ाया जाना चाहिए.

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इंसेटिव और पूरा टेन्योर बढ़ाए जाने की मांग

  • स्कीम की अवधि बढ़ाए जाने के अलावा आईटी हार्डवेयर इंडस्ट्री स्कीम के तहत मिलने वाले फायदों को भी बढ़ाने की भी मांग कर रही है. इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि इस सेक्टर के तहत पीएलआई चार साल की अवधि के लिए औसतन 2-2.5 फीसदी है जोकि बहुत कम है और चीन या वियतनाम से अपने यूनिट्स को भारत में रीलोकेट करने के लिए पर्याप्त नहीं है. इसकी तुलना में मोबाइल फोन इंडस्ट्री जो अगस्त 2020 में ऑपरेशनल हुई हैं, उनके लिए पीएलआई पांच साल की अवधि के लिए 4.5 फीसदी है. आईटी प्रॉडक्ट्स पर आयात शुल्क शून्य है तो कम इंसेटिव के चलते कंपनियां चीन से भारत शिफ्ट होने में हिचक रही हैं. इंडस्ट्री के लोगों का मानना है कि यह इंसेटिव 7-8 फीसदी होना चाहिए क्योंकि स्मार्टफोन के विपरीत आईटी प्रॉडक्ट्स के लिए शुरू से सब कुछ सेटअप करना होगा.

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  • सरकार पीएलआई स्कीम को एक साल बढ़ाने पर विचार कर रही है लेकिन कई इंडस्ट्री बॉडी का मानना है कि इसे 8-10 साल किया जाना बेहतर होगा क्योंकि पर्याप्त मैन्यूफैक्चरिंग इकोसिस्टम बनाने के लिए इतना पर्याप्त समय जरूरी है. एक इंडस्ट्री एग्जेक्यूटिव के मुताबिक मैन्यूफैक्चरिंग के लिए चार साल बहुत कम है. मशीन सेट अप करने, सप्लाई चेन शुरू करने इत्यादि में ही 8-9 महीने का समय लग जाता है. यह सॉफ्टवेयर की तरह नहीं है कि एक ही रात में काम शुरू हो जाएगा

    (Article: Kiran Rathee)