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15 दिसंबर को ट्रेडर्स मनाएंगे रिटेल डेमोक्रेसी डे, हर जिले में निेकलेगा 'रिटेल प्रजातंत्र मार्च'

देश में कुछ बड़ी एवं प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा भारत के ई-कॉमर्स एवं रिटेल व्यापार में आर्थिक आतंकवाद जैसी गतिविधियों को लगातार जारी रखने के खिलाफ यह दिवस घोषित किया गया है.

देश में कुछ बड़ी एवं प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा भारत के ई-कॉमर्स एवं रिटेल व्यापार में आर्थिक आतंकवाद जैसी गतिविधियों को लगातार जारी रखने के खिलाफ यह दिवस घोषित किया गया है.

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Confederation of All India Traders declared to observe upcoming 15th December as Retail Democracy Day, e-commerce, CAIT

देश के सभी राज्यों के अंतर्गत जिलों के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टरों को स्थानीय व्यापारी संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्बोधित एक ज्ञापन सौंपेंगे.

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने 15 दिसंबर को "रिटेल डेमोक्रेसी डे" के रूप में मनाये जाने की घोषणा की है. देश में कुछ बड़ी एवं प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा भारत के ई-कॉमर्स एवं रिटेल व्यापार में आर्थिक आतंकवाद जैसी गतिविधियों को लगातार जारी रखने के खिलाफ यह दिवस घोषित किया गया है. इस दिन देश के सभी राज्यों के अंतर्गत जिलों के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टरों को स्थानीय व्यापारी संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्बोधित एक ज्ञापन सौंपेंगे. ज्ञापन सौंपने से पहले प्रत्येक जिले में व्यापारियों द्वारा "रिटेल प्रजातंत्र मार्च" निकाला जाएगा.

ज्ञापन में पीएम मोदी से आग्रह किया गया है कि वह जल्द से जल्द एक ई-कॉमर्स पॉलिसी घोषित करें. इसमें सुदृढ़ एवं अधिकार संपन्न एक ई-कॉमर्स रेगुलेटरी अथॉरिटी के गठन, लोकल पर वोकल और आत्मनिर्भर भारत को अमलीजामा पहनाने के लिए देश भर में व्यापारियों एवं अधिकारियों की एक संयुक्त समिति केंद्रीय स्तर पर, राज्य स्तर पर एवं जिला स्तर पर गठित की जाए. इन समितियों में सरकारी अधिकारी एवं व्यापारियों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए.

कुछ ई-कॉमर्स कंपनियां लगातार तोड़ रहीं नियम

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कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने एक संयुक्त बयान में कहा कि कुछ बड़ी विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपने मनमाने रवैये को चालू रखा है और सरकार की ई-कॉमर्स पालिसी के प्रावधानों का लगातार घोर उल्लंघन किया है. इनमें विशेष रूप से लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, भारी डिस्काउंट देना, पोर्टल पर बिकने वाले सामान की इन्वेंटरी पर नियंत्रण रखना, माल बेचने पर हुए नुकसान की भरपाई करना, विभिन्न ब्रांड कंपनियों से समझौता कर उनके उत्पाद एकल रूप से अपने पोर्टल पर बेचना आदि शामिल हैं. ये सभी स्पष्ट रूप से सरकार की एफडीआई पॉलिसी के प्रेस नोट 2 में बिल्कुल प्रतिबंधित हैं. लेकिन उसके बावजूद भी ये कंपनियां खुले रूप से ये माल बेच रही हैं, जिससे भारत के ई-कॉमर्स व्यापार में ही नहीं बल्कि रिटेल बाजार में असमान प्रतिस्पर्धा का वातावरण बना हुआ है. इसके चलते देश के छोटे व्यापारी जिनके साधन सीमित हैं, उनका व्यापार चलाना बेहद मुश्किल हो गया है.

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भारतीय रिटेल बाजार पर जमाना चाहती हैं कब्जा

भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा कि यदि यही स्थिति रही तो आने वाले समय में देश के करोड़ों व्यापारियों को अपने व्यापार से हाथ धोना पड़ेगा और व्यापारियों के कर्मचारियों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा. देश का रिटेल व्यापार वर्तमान में लगभग 950 अरब डॉलर वार्षिक का है. रिटेल व्यापार में लगभग 45 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है और देश में कुल खपत में रिटेल बाजार का हिस्सा 40 फीसदी है. इतने बड़े और विशाल भारतीय रिटेल बाजार पर कब्जा जमाने के लिए विश्व भर की कंपनियों की नजर है और इसी छिपे उद्देश्य को लेकर ई-कॉमर्स कंपनियां भारत में हर तरह का अनैतिक व्यापार करते हुए रिटेल बाजार पर अपना एकाधिकार स्थापित करना चाहती हैं.

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