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एसबीआई समेत वोडाफोन आइडिया को कर्ज देने वाले बैंकों ने दूरसंचार विभाग ( DoT) को सुझाव दिया है कि कंपनी के कर्ज को इक्विटी में बदला जा सकता है.
वित्तीय संकट से जूझ रही टेलीकॉम कंपनी Vodafone Idea Limited (VIL) के कर्जों को लेकर बैंकों ने समाधान पेश किया है. एसबीआई समेत वोडाफोन आइडिया को कर्ज देने वाले बैंकों ने दूरसंचार विभाग ( DoT) को सुझाव दिया है कि कंपनी के कर्ज को इक्विटी में बदला जा सकता है. पिछले महीने वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल और टाटा कम्यूनिकेशंस पर बकाए एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) को लेकर सुप्रीमकोर्ट ने एक फैसला सुनाया था. इसे लेकर टेलीकॉम कंपनियों पर वित्तीय दबाव बढ़ा जिसे लेकर डीओटी ने शुक्रवार को सीनियर बैंक ऑफिशियल्स को विमर्श के लिए बुलाया था. सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को 93520 करोड़ रुपये के बकाए एजीआर को चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया है.
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कर्ज को इक्विटी में बदलने का विकल्प: बैंक
सूत्रों के मुताबिक बैंकर्स ने डीओटी अधिकारियों को बताया कि कर्ज को इक्विटी बनाना एक विकल्प है लेकिन यह सस्टेमेबल नहीं है. इसके अलावा वोडाफोन आइडिया अभी तक अपने कर्जों को चुकाने में डिफॉल्ट नहीं हुई है तो बैंक उसके खिलाफ किसी प्रकार का कोई एक्शन नहीं ले सकते हैं. बैंक इससे पहले भी वित्तीय संकट से जूझ रही कंपनी के कर्जों को इक्विटी में बदल चुकी है. सूत्रों के मुताबिक बैंकों ने मौजूदी परिस्थितियों में प्रमोटर्स द्वारा कंपनी में निवेश को ही सबसे बेहतरीन विकल्प बताया है. ब्रिटिश कंपनी वोडाफोन की इस टेलीकॉम कंपनी में 45 फीसदी और आदिक्य बिरला ग्रुप की 27 फीसदी हिस्सेदारी है.
वोडाफोन आइडिया डूबी तो बैंकों को 1.8 लाख करोड़ का नुकसान
वोडाफोन आइडिया अगर डूबती है तो सरकारी व निजी बैंकों को 1.8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा. निजी सेक्टर के बैंकों की बात करें तो इससे सबसे अधिक प्रभावित येस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक होंगे. किसी भी प्रकार की अनिश्चितता के चलते निजी लेंडर्स ने अभी से ही प्रोविजिनिंग शुरू कर दी है. ऑफिशियल डेटा के मुताबिक वोडाफोन आइडिया पर 58254 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है जिसमें से कंपनी ने 7854.37 करोड़ रुपये चुका दिए हैं. कंपनी के ग्रॉस डेट की बात करें तो 31 मार्च 2021 तक लीज लाइबिलिटीज को छोड़कर यह 1,18,3010 करोड़ रुपये था. इसमें 96,270 करोड़ रुपये का डेफर्ड स्पेक्ट्रम पेमेंट ऑब्लिगेशंस और एजीआर देनदारी छोड़कर बैंकों व वित्तीय संस्थानों के 23,080 करोड़ रुपये शामिल हैं.
बिरला ने अपनी हिस्सेदारी सरकार को देने के लिखा था पत्र
बड़ी देनदारी के चलते वोडाफोन और आदित्य बिरला ग्रुप ने अतिरिक्त पूंजी के निवेश में असमर्थता जताई. आदित्य बिरला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिरला ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को पत्र लिखकर अपनी हिस्सेदारी सरकार को देने का प्रस्ताव रखा था. इसके बाद उन्होंने कंपनी के नॉन-एग्जेक्यूटिव चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया था. बिरला ने अपने पत्र में कैबिनेट सचिव को लिखा था कि निवेशक स्पेक्ट्रम पेमेंट्स पर पर्याप्त मोरेटोरियम, सर्विस लागत से ऊपर फ्लोर प्राइसिंग और एजीआर देनदारी पर स्थिति स्पष्ट नहीं होने के चलते कंपनी में निवेश नहीं करना चाहते हैं. इसके अलावा के चलते निवेशक कंपनी में निवेश नहीं करना चाहते हैं.