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दुनिया भर में कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के फैलने से पहले उद्योग पूरी तरह काम रहे थे और कामकाज तेजी से जारी था. महामारी ने पूरी तस्वीर को बदल दिया और सरकारों को मजबूर कर दिया कि वे लॉकडाउन को लागू करे, जिसमें ज्वैलरी इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण बाजार शामिल हैं. व्यापार पूरे तरीके से जारी था और उसके लिए ऑर्डर किए गए थे जिन्हें रातों-रात छोड़ दिया गया. उद्योगों के लिए बड़ा सवाल यह है कि क्या ये ऑर्डर बने रहेंगे या क्या इन पर लॉकडाउन के बाद विचार किया जाएगा.
बड़े स्तर पर ऑर्डर रद्द हुए
भारत में बाजार के मुताबिक, इंडस्ट्री इस मुद्दे पर बंटी हुई है क्योंकि कारोबारों को अपने रेवेन्यू में अप्रत्याशित रुकावट देखनी पड़ रही है. इसके साथ लॉकडाउन के दौरान खुदरा बिक्री अस्थायी तौर पर बंद हो गई है जिससे बड़े स्तर पर ऑर्डर रद्द किए जा रहे हैं. भारतीय बाजार में सप्लायर और खरीदार एक-दूसरे पर निर्भर हैं जिससे बुरी स्थिति हो गई है. सभी संरक्षकों के लिए बड़ी प्राथमिकता है कि वह पर्याप्त कैश फ्लो को सुनिश्चित करें. क्योंकि ज्वैलरी खरीदना आकांक्षा से जुड़ी जरूरत है, इसलिए यह इंडस्ट्री देश में पूरी तरह रुक गई है.
दुनिया के बड़े बाजार बंद
वैश्विक तौर पर देखें तो ज्वैलरी के लिए सबसे बड़े बाजार लॉकडाउन में हैं. पूरा यूरोप लॉकडाउन में है. अमेरिका आंशिक तौर पर लॉकडाउन में बना हुआ है. मिडिल ईस्ट और चीन सुस्ती में है क्योंकि ग्राहक अभी बाहर निकलर खरीदारी नहीं कर रहे हैं. वर्तमान में 80 फीसदी अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर रद्द हो चुके हैं और केवल 15 से 20 फीसदी की सप्लाई की जा रही है.
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आशावादी तौर पर देखें, तो यह पैटर्न जून के अंत तक जारी रहने की उम्मीद है और बिक्री में अगले दो महीनों में तेजी आएगी. ऐसी उम्मीद है कि ग्राहक अगस्त तक खरीदारी को दोबारा शुरू करेंगे जब वह कोरोना के डर से मुक्त हो जाएंगे.
भारत में शादियों में ही ज्वैलरी की बड़ी खरीदारी की जाती है, इसलिए साल के दूसरे भाग में बेहतर ग्रोथ की उम्मीद है. इंडस्ट्री चाहती है कि भारत साल के पहली छमाही में ही कोरोना को फैलने से रोक दे क्योंकि लग्जरी सामान खरीदने के लिए ग्राहकों को खुश होना जरूरी है. 2020 की दूसरी छमाही में सब पटरी पर वापस आ सकता है और इंडस्ट्री को खुद के वित्तीय और मानसिक तौर पर रिवाइव करने का समय दिया जाना चाहिए.
By: संजय कोठारी, ग्रुप वायस चेयरमैन, KGK ग्रुप