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कोरोना संकट: प्रॉपर्टी की कीमतों में क्या हो सकती है गिरावट, जानें डेवलपर्स की राय

पीयूष गोयल ने हाल ही में बिल्डरों को कम कीमतों पर प्रोजेक्ट्स को बेचने की सलाह दी.

पीयूष गोयल ने हाल ही में बिल्डरों को कम कीमतों पर प्रोजेक्ट्स को बेचने की सलाह दी.

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coronavirus crisis will prices in real estate sector decreases know what are developers and industry saying

पीयूष गोयल ने हाल ही में बिल्डरों को कम कीमतों पर प्रोजेक्ट्स को बेचने की सलाह दी.

coronavirus crisis will prices in real estate sector decreases know what are developers and industry saying पीयूष गोयल ने हाल ही में बिल्डरों को कम कीमतों पर प्रोजेक्ट्स को बेचने की सलाह दी.

क्या भारत में रियल एस्टेट सेक्टर में कीमतें बहुत ज्यादा है और इस संकट को पार करने के लिए और बिक्री को दोबारा सही दिशा में लाने के लिए कीमतों को वास्तविकता के साथ लागू करने की जरूरत है. यह सवाल फिर से आगे आया है क्योंकि केंद्रीय रेल और वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में बिल्डरों को कम कीमतों पर प्रोजेक्ट्स को बेचने की सलाह दी है जिससे उनकी अनसोल्ड इन्वेंट्री क्लियर हो सके.

गोयल ने डेवलपर्स को क्या सलाह दी ?

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोयल ने कहा है कि रियल एस्टेट डेवलपर अपने पास ज्यादा कीमत वाली प्रॉपर्टी पकड़ कर रखते हैं. इसलिए उनके पास उनके पास निर्माण करने और प्रोजेक्ट्स को कम और वास्तविक कीमतों पर बेचने और बाजार के सुधरने के लिए इंतजार नहीं करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. केवल इससे ही वे इस संकट को पार कर सकते हैं.

यह बात रोचक है कि बहुत से इंडस्ट्री के विशेषज्ञों और डेवलपर्स ने गोयल के सुझाव का स्वागत किया है. इसके साथ उन्होंने यह भी कहा है कि कीमतों में कटौती मौजूदा समय में संभव नहीं है क्योंकि बहुत से कारक अभी भी डेवलपर्स के काबू में नहीं है.

उदाहरण के लिए ANAROCK प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि जहां तक कम प्रॉपर्टी रेट तार्किक लगते हैं, यहां बहुत से कारक शामिल हैं जिसमें से कुछ डेवलपर्स के काबू से बाहर हैं. मुंबई जैसे कुछ शहरों में RR रेट्स और बाजार की कीमतों में बहुत कम अंतर है. सर्किल रेट से नीचे प्रॉपर्टी को बेचना कानूनी तौर पर संभव नहीं है. इसलिए सरकार को कीमतों को कम करने की जरूरत है जिससे डेवलपर कटौती कर सकें.

इसके साथ सेक्टर को मदद एक रूप से ज्यादा हो सकती है. उदाहरण के तौर पर वित्त मंत्री ने हाल ही में एलान किया था कि ऐसी योजना बनाई जा रही है कि घर खरीदारों को छूट दी जा सके और घर खरीदार की भावना को बढ़ावा मिले जिससे रियल एस्टेट सेक्टर आगे बढ़े. पुरी ने कहा कि वे वित्त मंत्री सीतारमण के एलान का इंतजार कर रहे हैं. इसके अलावा सरकार के सभी कदम

नौकरी खोने पर लगाम लाने और बढ़ावा देने के लिए हैं और रियल एस्टेट सेक्टर पर सकारात्मक असर होगा.

रियल एस्टेट सर्विसेज कंपनियों ने कहा कि जाहिर है कि बिल्डर उपलब्ध इन्वेंट्री की कीमतों को बढ़ाना चाहते हैं, चाहें वह रेडी टू मूव इन या निर्माणाधान प्रॉपर्टी. इन दोनों की कीमतों में अंतर है और यह मुख्य तौर पर बाजार पर निर्भर करता है.

Housing.com, Makaan.com और Proptiger.com के ग्रुप सीओओ मणि रंगाराजन ने कहा कि जहां खरीदारों ने रेडी टू मूव इन घरों को प्राथमिकता देने की प्रवृत्ति दिखाई है, मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त आपूर्ति नहीं है. पिछले कुछ सालों में अधिकतर टियर 1 शहरों में प्रॉपर्टी की कीमतों में ज्यादा बड़ोतरी नहीं हुई है और आगे भी होने की उम्मीद नहीं है. हालांकि, बिल्डर खरीदारों को खरीदने के लिए कुछ अतिरिक्त प्रोत्साहन पेश कर रहे हैं जैसे प्राइस प्रोटेक्शन स्कीम्स, पेमेंट्स प्लान और ऑफर जैसे स्टैम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज पर छूट.

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सरकार के दखल और समर्थन की जरूरत

इंडस्ट्री के लोगों का कहना है कि रियल एस्टेट सेक्टर को सरकार के दखल और समर्थन की बहुत जरूरत है.

रंगाराजन ने कहा कि आवासीय घरों की बिक्री में वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान टियर 1 शहरों में पिछले साल के मुकाबले 11 फीसदी की गिरावट हुई है. मांग के प्रोत्साहित करने की जरूरत है जिसके लिए सरकारी दखल चाहिए. इसमें वन टाइम लोन रिस्ट्रक्चरिंग, इनपुट टैक्स क्रेडिट, जीएसटी दरों में कटौती और कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी पर नियंत्रण शामिल हैं.

CASAGRAND के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर अरुण एमएन ने कहा कि रियल एस्टेट सेक्टर ने महामारी के दौरान बड़े नुकसान देखे हैं. निर्माण के मैटिरियल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ मजदूरों की कमी अभी भी सेक्टर के लिए मुश्किल बने हुए हैं. इसके अलावा सेक्टर के लिए जीएसटी में कटौती और होम लोन पर कम ब्याज दर जैसे कदमों से सेक्टर को तेजी से रिकवर करने में मदद मिल सकती है.

(स्टोरी: संजीव सिन्हा)

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