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चालू वित्त वर्ष 2020-21 में हर भारतीय की आय में 10 हजार रुपये तक की गिरावट आई है.
कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित करने के साथ ही सीधे-सीधे लोगों की जेब को भी प्रभावित किया है. चालू वित्त वर्ष 2020-21 में हर भारतीय की आय में 10 हजार रुपये तक की गिरावट आई है. वित्त वर्ष 2019-20 में पर कैपिटा ग्रास नेशनल इनकम (GNI) 1.07 लाख रुपये था जो चालू वित्त वर्ष 2020-21 में गिरकर महज 97,899 रुपये रह जाने का अनुमान है. यह अनुमान मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम एंप्लीमेंटेशन (MOSPI) ने अपने एडवांस एस्टीमेट में जताया है.
मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक स्थिर कीमतों के पर चालू वित्त वर्ष में पर कैपिटा जीएनआई में करीब 8.9 फीसदी तक की गिरावट आई है. इसके अलावा पर कैपिटा जीडीपी में भी 8.7 फीसदी तक की गिरावट हो सकती है.
FY21 की शुरुआत से ही प्रभावित हुई आय
बेरोजगारी में बढ़ोतरी, लॉकडाउन के कारण प्रमुख इंडस्ट्रीज के क्षमता से कम काम करने के कारण और डिमांड मे बड़ी गिरावट के कारण भारतीयों की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. वित्त वर्ष 2020-21 की शुरुआत से ही भारतीयों की आय पुरी तरह प्रभावित हुई है. लेबर इंसेटिव सेक्टर्स जैसे कि मैनुफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शंस, ट्रेड, होटल्स इत्यादि में पूरे वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान सिकुड़न रह सकती है.
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गिरावट से आय पर सीधा असर
सरकार के अनुमान के मुताबिक मैनफैक्चरिंग सेक्टर में चालू वित्त वर्ष के दौरान 9.4 फीसदी की दर से सिकुड़न रहेगी. माइनिंग सेक्टर में 12.4 फीसदी और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 12.6 फीसदी की दर से सिकुड़न रहेगी. एनएसओ के मुताबिक ट्रेड, होटल्स, ट्रांसपोर्ट, कम्युनिकेशन और ब्राडकॉस्टिंग से रिलेटेड सर्विसेज में 21.4 फीसदी की दर से सिकुड़न रहने का अनुमान है. इस गिरावट के कारण आम लोगों की आय पर चालू वित्त वर्ष में सीधा प्रभाव पड़ेगा.
इन सबके बीच सरकार ने अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी 7.7 फीसदी की दर से गिरावट रह सकती है. स्थिर भाव पर वित्त वर्ष 2020-21 में रियल जीडीपी 134.40 लाख करोड़ तक रह सकता है जो कि वित्त वर्ष 2019-20 के प्रोविजिनल जीडीपी एस्टीमेट 145.66 लाख करोड़ रुपये से कम है.
(Article: Samrat Sharma)
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