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Cotton Price India: देश में और इंटरनेशनल मार्केट में कॉटन की कीमतों में लगातार तेजी देखने को मिल रही है. (File)
Cotton Price Near Record High in India: देश में और इंटरनेशनल मार्केट में कॉटन की कीमतों में लगातार तेजी देखने को मिल रही है. हाल ही में कॉटन का भाव डोमेस्टिक मार्केट में 47000 रुपये प्रति गांठ को पार कर गया था और रिकॉर्ड हाई बनाया. वहीं कॉटन आईसीई जुलाई वायदा का भाव 11 साल की ऊंचाई 155.95 सेंट प्रति पाउंड के स्तर पर पहुंच गया है. पिछली बार 2011 में भाव ने 155.95 सेंट प्रति पाउंड के ऊपरी स्तर को टच किया था. बाजार में सप्लाई घटने और डिमांड में जोरदार तेजी के चलते कीमतों में तेजी आ रही है. एक्सपर्ट का कहना है कि कॉटन में तेजी के पीदे और भी कई फैक्टर हैं और यह अक्टूबर में सीजन के पहले 65000 रुपये से 70000 रुपये का भी भाव दिखा सकता है. फिलहाल इन सबके बीच आपके लिए कपड़ा खरीदना महंगा होगा.
शॉर्ट टर्म में तेजी बने रहने का अनुमान
ओरिगो ई-मंडी के असिस्टेंट जनरल मैनेजर तरुण सत्संगी के मुताबिक आने वाले दिनों में घरेलू बाजार में कॉटन में तेजी बनी रहने की संभावना है. शॉर्ट टर्म में यह 48 हजार रुपये से लेकर 50 हजार रुपये के स्तर तक पहुंच सकता है. वहीं इंटरनेशनल मार्केट में अगर यह 157 सेंट प्रति पाउंड को पार करता है तो 173 सेंट प्रति पाउंड की ओर बढ़ सकता है. डोमेस्टिक मार्केट में 44000 के नीचे आने पर ही इसमें शॉर्ट टर्म के लिए करेक्शन दिखेगा.
कॉटन में तेजी के पीछे कई फैक्टर
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि मार्केट में कॉटन की शॉर्टेज है, जिससे कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है. इस साल प्रोडक्शन कम रहने का अनुमान है. पिछली बुआईग् सीजन में वेदर ने भी यील्ड पर असर डाल है. दूसरी ओर कोविड 19 के बाद से ही डिमांड हाई बनी हुई है. 2 साल से जो लोग बाहर निकलकर शॉपिंग नहीं कर रहे थे, अब कपड़ों की मांग तेज हुई है. ग्लोबल बैलेंसशीट भी टाइट दिख रही है, प्रोडक्शन में जंप की उम्मीद नहीं है. चीन में कॉटन रिजर्व 4 साल के निचले स्तर पर है. टेक्सास के अंदर गर्मी की वजह से प्रोडक्शन घटा है. इन सभी वजहों से कॉटन में तेजी आई है. एक्सपोर्ट डिमांड है, लेकिल माल ही नहीं है. ऐसे में अक्टूबर तक की बात करें तो घरेलू बाजार में यह 65000 से 7000 रुपये का भाव दिखा सकता है. जबकि इंटरनेशनल मार्केट में 170 से 180 सेंट तक पहुंच सकता है.
प्राइस ट्रेंड में बदलाव की उम्मीद नहीं
सरकार ने 30 सितंबर 2022 तक ड्यूटी फ्री कॉटन इंपोर्ट नीति का एलान किया था. वहीं सेस भी हटाने का एलान किया था. तरुण सत्संगी के अनुसार सप्लाई की स्थिति में मामूली सुधार की उम्मीद और ड्यूटी व सेस हटाने की वजह से शॉर्ट टर्म में कीमतों पर असर पड़ेगा. लेकिन ग्लोबल लेवल पर सप्लाई की स्थिति टाइट होने से प्राइस ट्रेंड में कोई बदलाव नहीं होगा.
CAI ने उत्पादन अनुमान में की कटौती
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) ने मार्च की रिपोर्ट में 2021-22 सीजन के लिए कपास की फसल के अनुमान में संशोधित करते हुए कटौती कर दी है. सीएआई ने कपास की फसल के अनुमान को 8 लाख गांठ घटाकर 335.13 लाख गांठ (1 गांठ = 170 किलोग्राम) कर दिया है. सीएआई ने इसके पहले 343.13 लाख गांठ का अनुमान जारी किया था. 2021-22 में देश में 353 लाख गांठ कपास की फसल हुई थी. पिछले तीन महीने में सीएआई ने उत्पादन अनुमान को 36 मिलियन गांठ के अपने मूल अनुमान में से संशोधित करते हुए 23 लाख गांठ की कटौती की है.
अमेरिकी कृषि विभाग के मुताबिक 1 मई 2022 तक फसल वर्ष 2022-23 के लिए कपास की बुआई 3 फीसदी बढ़कर कुल 15 फीसदी पूरी हो चुकी है, जबकि उसके पिछले हफ्ते 12 फीसदी बुआई हुई थी. वहीं पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 16 फीसदी था और पांच साल की औसत बुआई 15 फीसदी रही है.