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Favipiravir is an off patent, oral antiviral drug that has been shown to hasten clinical recovery in COVID -19 patients with mild to moderate symptoms.
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दवा कंपनी ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स (Glenmark) ने कहा है कि उसकी एंटीवायरल दवा फेविपिराविर का जेनेरिक वर्जन ‘फैबिफ्लू’ कोविड-19 के आपातकालीन इलाज के लिए बाजार में उपलब्ध अन्य मंजूरी प्राप्त दवाओं की तुलना में अधिक किफायती और कारगर है. कंपनी ने भारत के दवा महा नियंत्रक (डीसीजीआई) के एक नोटिस के जवाब में यह कहा. डीसीजीआई ने कंपनी से उसकी इस दवा की कीमत और गुणों के बारे में एक सांसद द्वारा उठाए गए सवालों और चिंताओं पर स्पष्टीकरण मांगा था.
डीसीजीआई को उक्त सांसद से शिकायत प्राप्त हुई थी कि अन्य बीमारियों से ग्रसित कोविड-19 संक्रमित मरीजों पर फैबिफ्लू के इस्तेमाल को लेकर कंपनी ने झूठा दावा किया है और दवा का दाम भी ऊंचा है. डीसीजीआई ने रविवार को ग्लेनमार्क से इस पर स्पष्टीकरण मांगा था.
नहीं किया है कोई झूठा दावा
ग्लेनमार्क ने बंबई शेयर बाजार को भेजी जानकारी में कहा है, ‘‘कोविड-19 के इलाज में आपातकालीन स्थिति में इस्तेमाल के लिए मंजूरी प्राप्त अन्य दवाओं के मुकाबले फैबिफ्लू कहीं ज्यादा सस्ती और प्रभावी इलाज का विकल्प उपलब्ध कराती है.’’ कंपनी ने कहा कि उसने इस तरह का कोई झूठा दावा नहीं किया है कि उसकी फैबिफ्लू दवा कोविड-19 के साथ ही दूसरी बीमारियों से ग्रसित मरीजों पर भी प्रभावी है. दवा का तीसरे चरण का चिकित्सकीय परीक्षण इन्हीं परिस्थितियों के मूल्यांकन पर केन्द्रित था.
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पहले ही घटा चुकी है दाम
कंपनी ने कहा है कि भारत में उसकी दवा का दाम अन्य देशों के मुकाबले, जहां फेविपिराविर को मंजूरी प्राप्त है, काफी कम है. ग्लेनमार्क ने दावा किया है कि जहां भारत में उसकी दवा का दाम 75 रुपये प्रति गोली है, वहीं रूस में यह 600 रुपये प्रति गोली, जापान में 378 रुपये, बांग्लादेश में 350 रुपये और चीन में 215 रुपये प्रति गोली है.
डीसीजीआई वी जी सोमानी को भेजे पत्र में कंपनी ने कहा है कि उसने भारत में दवा का दाम पहले ही 103 रुपये से घटाकर 75 रुपये प्रति टेबलेट कर दिया है. दवा के दाम में यह कमी उसके बेहतर परिणाम और बड़े पैमाने पर काम शुरू करने के बल पर हो पाया है. दवा के लिए तमाम सामग्री और फॉर्म्युलेशन कंपनी के भारत स्थित खुद के कारखाने में ही मैन्युफैक्चर होते हैं.