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कोरोनावायरस (Coronavirus) की वजह से पूरी दुनिया के बिजनेस नुकसान का सामना कर रहे हैं. इससे गूगल (Google) और फेसबुक (Facebook) जैसी कंपनियां भी अछूती नहीं हैं. पहली बार इन कंपनियों को रेवेन्यु को लेकर संघर्ष करना पड़ सकता है, जो कि गिर रहा है. 10 सालों तक जबर्दस्त ग्रोथ दर्ज करने के बाद कोरोना की वजह से डिजिटल एडवर्टाइजिंग की मांग प्रभावित हुई है. यह गूगल व फेसबुक के लिए मुश्किलें और बढ़ा सकता है. इस वक्त ज्यादातर कंज्यूमर घर पर हैं और बेरोजगारी बढ़ रही है. इसे देखते हुए एडवर्टाइजर कुछ मामलों में प्रमोशनल खर्च घटा रहे हैं, यहां तक कि कुछ मामलों में यह शून्य पर पहुंच चुका है.
इंटरैक्टिव एडवर्टाइजिंग ब्यूरो के मुताबिक, 10 वर्षों तक डिजिटल इंडस्ट्री ने दहाई अंकों में सालाना ग्रोथ दर्ज की. लेकिन 2019 के रेवेन्यु में इसे लगभग 125 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. मैग्ना रिसर्च का मानना है कि 2020 में डिजिटल एड सेल्स ग्रोथ कम रहकर 4 फीसदी रहेगी, हालांकि इस मुश्किल दौर में भी रेवेन्यु नहीं घटेगा. कुल मिलाकर एड सेल्स 3 फीसदी गिर सकती है. अमेरिका में डिजिटल एड्स मार्केट के 70 फीसदी पर गूगल और फेसबुक का कब्जा है.
अभी तक नहीं की है छंटनी, वेतन में कटौती
गूगल और फेसबुक ने अभी तक कर्मचारियों की छंटनी, वेतन में कटौती जैसा कोई कदम नहीं उठाया है. वहीं पब्लिशर्स और अन्य इंडस्ट्रीज इसे अमल में ला चुके हैं. CNBC को प्राप्त हुए इंटर्नल कम्युनिकेशंस के मुताबिक, Google CEO सुंदर पिचई कर्मचारियों को कह चुके हैं कि कंपनी बाकी बचे हुए 2020 में नियुक्तियां नहीं करेगी. इसके अलावा गूगल 2020 के लिए अपने मार्केटिंग बजट में बड़ी कटौती पर विचार कर रही है. इस कम्युनिकेशन की गूगल ने पुष्टि कर दी है.
दूसरी ओर फेसबुक ने पिछले माह चेतावनी दी थी कि एडवर्टाइजिंग में आ रही कमी से इसका बिजनेस पहले ही बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. हालांकि फेसबुक ने इस बारे में डिटेल उपलब्ध नहीं कराई हैं. कंपनी का कहना है कि जो देश महामारी से बेहद बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, वहां मैसेजिंग ट्रैफिक 50 फीसदी बढ़ा है, जबकि वॉइस व वीडियो कॉलिंग डबल हो गई है. लेकिन इससे कमाई नहीं है और ऐसे क्षेत्रों में एड बिजनेस कमजोर हुआ है.
कितना होगा नुकसान, इस हफ्ते मिल सकते हैं संकेत
अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि टेक्नोलॉजी दिग्गजों को कोविड19 की वजह से कितना बड़ा झटका लगेगा. इस दिशा में इस सप्ताह कुछ संकेत मिलने की उम्मीद है क्योंकि गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फोबेट और फेसबुक पहली तिमाही के फाइनेंशियल रिजल्ट जारी करने वाली हैं. लेकिन इन परिणामों से केवल महामारी के असर का संकेत ही मिलेगा क्योंकि फरवरी के आखिर तक कोरोना वायरस ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और एड बजट को नुकसान पहुंचाना शुरू नहीं किया था.
यह भी एक वजह है कि फैक्टसेट का एनालिस्ट पोल अभी भी अल्फाबेट के रेवेन्यु में पिछले साल के मुकाबले 13 फीसदी और फेसबुक के रेवेन्यु में 16 फीसदी की बढ़ोत्तरी का अनुमान जता रहा है. असल परीक्षा तो अप्रैल-जून तिमाही में होगी. इस तिमाही के लिए एनालिस्ट्स का अनुमान है कि अल्फाबेट और फेसबुक दोनों का रेवेन्यु लगभग फ्लैट रहेगा.
जितनी तेजी से घटा, उतनी ही तेजी से बढ़ेगा डिजिटल एड खर्च
Edward Jones के एनालिस्ट David Heger के मुताबिक, चूंकि महामारी की वजह से ट्रैवलिंग रुकी हुई है, इसलिए जब तक कोविड19 का खतरा दूर नहीं होता, गूगल और फेसबुक की सेल्स में बड़ी गिरावट रहने की संभावना है. गूगल और फेसबुक के लिए अच्छी खबर यह है कि डिजिटल एड पर खर्च उतनी ही तेजी से फिर से बढ़ सकता है, जितनी तेजी से यह घटा है. इसकी वजह है कि इसे परंपरागत मीडिया की तरह एडवांस प्लानिंग की जरूरत नहीं होती. छोटी व बड़ी कंपनियों को अपने ब्रांड के प्रमोशन में मदद करने वाले Tony DiResta, वॉशिंगटन, D.C., अटॉर्नी का कहना है कि इसका मतलब है कि कंपनियां रिकवरी का पहला संकेत मिलते ही डिजिटल कैंपेन्स में तेजी ला सकती हैं.
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अभी भी मजबूत स्थिति में
कुछ एनालिस्ट का मानना है कि ग्लोबल इकोनॉमी में सुधार आने पर मौजूदा गिरावट के दौर से गुजरी फेसबुक और गूगल ज्यादा मजबूत स्थिति में रह सकती हैं. गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट के पास 120 अरब डॉलर और फेसबुक के पास 55 अरब डॉलर का कैश रिजर्व है. इसके इस्तेमाल से दोनों कंपनियां ऐसी अन्य आकर्षक सर्विसेज का अधिग्रहण कर सकती हैं, जिनमें क्षमता है और जो अपने दम पर मंदी के दौर में सर्वाइव नहीं कर सकती हैं.
Google पहले भी देख चुकी है ऐसे दिन
गूगल, पब्लिक कंपनी के रूप में ऐसे दौर से एक बार पहले भी गुजर चुकी है. 2009 की दूसरी तिमाही में आई महामंदी के दौरान कंपनी की रेवेन्यु ग्रोथ केवल 3 फीसदी रही थी. इसके चलते गूगल ने उस साल लगभग 400 कर्मचारियों को निकाला था. गूगल के 21 साल के इतिहास में केवल वही वक्त था, जब कंपनी ने छंटनी की. उसके बाद से अल्फाबेट ने लगभग 1 लाख कर्मचारियों को नौकरी दी है.