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क्रूड में अच्छी खासी तेजी आई है. जिससे इंटरनेशनल मार्केट में एनर्जी की कीमतें हाई हैं.
Oil & Gas Stocks: जियोपॉलिटिकल टेंशन के चलते क्रूड में अच्छी खासी तेजी आई है. इसके चलते इंटरनेशनल मार्केट में एनर्जी की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. अब सरकार ने डोमेसिटक लेवल पर नेचुरल गैस की कीमतों को दोगुना से अधिक कर दिया है. आयल मिनिस्ट्री के पेट्रोलियम प्लालिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के अनुसार, रेगुलेटेड फील्ड के लिए गैस की कीमत मौजूदा 2.9 डॉलर प्रति mmBtu के मुकाबले अब 6.1 डॉलर प्रति mmBtu होगी. फिलहाल गैस की कीमतें बढ़ने से ONGC and Reliance Industries को अपना मार्जिन बढ़ाने में मदद मिलेगी. वहीं GAIL पर निगेटिव असर हो सकता है. आगे CNG-PNG भी आगे और महंगे हो सकते हैं. दूसरी ओर एनर्जी की कीमतें बढ़ने से तेल कंपनियों ने जेट फ्यूल की कीमतों में 2 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है. इन सबका असर तेल और गैस कंपनियों के अलावा एविएशन सेक्टर पर भी होगा.
इन शेयरों में तेजी
आज के कारोबार में आयल एंड गैस शेयरों के अलावा एविएशन स्टॉक में अच्छा एक्शन देखने को मिल रहा है. ONGC, RIL, GAIL, OIl india, Indigo और Spice Jet में इंट्राडे के दौरान तेजी देखने को मिली है.
Oil & Gas सेक्टर: किस शेयर के लिए पॉजिटव, निगेटिव
ब्रोकरेज हाउस CLSA का कहना है कि गैस की कीमतों में इजाफा ONGC और Oil India के लिए बिग पॉजिटिव है. एनर्जी की कीमतें जिस तरह से इंटरनेशनल मार्केट में बढ़ रही हैं, इन रिफॉर्म को अभी हाल फिलहाल में वापस लेने की उम्मीद नहीं है. वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि यह हाइक IGL या MGL के लिए मैनेजेबल हो सकता है. हालांकि अक्टूबर 2022 की बढ़ोतरी से इनके लिए दूसरी छमाही के मार्जिन को लेकर कंसर्न है.
ब्रोकरेज हाउस मॉर्गन स्टैनले का कहना है कि गैस प्रोड्यूसर ONGC और Reliance Industries के लिए यह पॉजिटिव है. जबकि मिड टर्म में गैस मिडस्ट्रीम प्लेयर मसलन Petronet LNG और Gujarat Gas पर दबाव रह सकता है. जबकि ब्रोकरेज हाउस नोमुरा का कहना है कि इससे अपस्ट्रीम गैस प्रोड्यूसर्स को फायदा मिलेगा, जबकि गैस कंज्यूमर के लिए निगेटिव होगा. नोमुरा के अनुसार इसका GAIL पर निगेटिव असर होगा.
Aviation स्टॉक पर असर
Swastika Investmart Ltd. के रिसर्च हेड संतोष मीना का कहना है कि एयरलाइन स्टॉक पिछले 3 साल से अंडरपरफॉर्मर रहे हैं. कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन और ट्रैवल बैन के चलते इंडस्ट्री को अचछा खासा नुकसान हुआ है. अब रूस और यूक्रेन संकट के चलते तेल की कीमतों बढ़ी हें, जिससे जेट फ्यूल रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया. इसके चलते जेट फ्यूल यानी एयर टर्बाइन फ्यूल (ATF) की कीमतों में भी बढ़ोतरी हो रही है.
उनका कहना है कि किसी एयरलाइन की आपरेटिंग कास्ट का 35-40 फीसदी फ्यूल अकाउंट से आता है. इसी वजह से एयरलाइंस ने पिछले कुछ दिनों में जेट फ्यूल की बढ़ती लागत को यात्रियों पर डालने का फैसला किया है. इससे हवाई किराए में तेज बए़ोतरी होगी. कमर्शियल जर्नी अभी प्रीकोविड लेवल के 50 फीसदी तक ही आई है. वहीं रीवेंज टूरिज्म के कारण डिमांड बेहतर हो सकती है. टूरिज्म इंडस्ट्री फिर से पटरी पर आने की राह पर है. ओरआल एविएशन सेक्कर को शॉर्ट टर्म में उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा, लेकिन लॉन्ग टर्म आउटलुक बेहतर है.
फिलहाल 1 अप्रैल से तेल कंपनियों ने जेट फ्यूल की कीमतों में 2 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है. इसके बाद जेट फ्यूल की कीमत 1,12,924.83 रुपये प्रति किलोलीटर के रिकॉर्ड पर पहुंच गई हैं. पहले यह 1,10,066 रुपये प्रति किलोलीटर थी. ATF की कीमतों में इस साल 7वीं बार इजाफा हुआ है.
(Disclaimer: स्टॉक या सेक्टर के बारे में सलाह ब्रोकरेज हाउस या एक्सपर्ट के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)