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क्रूड तेजी से महंगा होने पर क्रैश कर सकता है बाजार? क्या रहा है पहले का इतिहास, निवेश के पहले अच्छे से समझ लें

Crude Oil Supply: ईरान टॉप 10 ग्‍लोबल ऑयल प्रोड्यूसर में से एक है. अगर ईरान इस इजरायल और हमास के जंग में और उलझता है, तो इससे तेल की सप्‍लाई बाधित हो सकती है.

Crude Oil Supply: ईरान टॉप 10 ग्‍लोबल ऑयल प्रोड्यूसर में से एक है. अगर ईरान इस इजरायल और हमास के जंग में और उलझता है, तो इससे तेल की सप्‍लाई बाधित हो सकती है.

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Sushil Tripathi
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Israel-Hamas War Impact

Crude Oil Surges: कच्चे तेल के बाजार में उथल पुथल से दुनियाभर के बाजारों की टेंशन बढ़ गई है. (Reuters)

Crude Volatility Impact on Investment: इजरायल-हमास जंग के बीच क्रूड की कीमतों में तेजी आने के पूरे आसार बन गए हैं. जंग के एलान के बाद इस हफ्ते क्रूड में तेजी देखने को भी मिल रही है. पिछले हफ्ते क्रूड 11 फीसदी कमजोर हुआ था, लेकिन इजरायल पर हमास के हमले और फिर इजरायल के पलटवार से क्रूड चढ़कर 88.50 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है. एक्सपर्ट मान रहे हैं कि अगर यह जंग लंबी चली और मिडिल ईस्ट के भी कुछ देशों पर असर हुआ तो क्रूड में तेजी बढ़ सकती है. फिलहाल जंग और कच्चे तेल के बाजार में उथल पुथल से दुनियाभर के बाजारों की टेंशन बढ़ गई है. जानते हें आखिर किस तरह से क्रूड की कीमतों में उतार चढ़ाव से अर्थव्यवस्था, बाजार और आपके निवेश पर असर पड़ सकता है.

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दरअसल, इजरायल-हमास के बीच जो लड़ाई चल रही है, उसमें एक और किरदार ईरान का नाम बार बार आ रहा है. ईरान इस जंग में हमास को समर्थन दे रहा है और साथ ही इजरायल को नसीहत. ऐसे में कुछ लोग चिंता जता रहे हें कि कहीं न कहीं ईरान भी इस लड़ाई में भागीदार हो सगकता है. ऐसा होता है तो ग्‍लोबल मार्केट में कच्‍चे तेल की सप्‍लाई पर असर पड़ना तय है. ईरान दुनिया का 5वां सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है. वहीं ईरान के शामिल होने का मतलब है कि अगर बगल के खाड़ी देशों पर भी इस जंग का असर होगा. एक बात तय है कि इस लड़ाई से मिडिल ईस्‍ट में अस्थिरता बढ़ेगी, जिससे कच्चे तेल के बाजार में उथल पुथल रहेगा.

सेंटीमेंट क्‍यों हो रहे हैं निगेटिव

फिसडम रिसर्च के अनुसार हमास के एक प्रमुख समर्थक ईरान ने हाल ही में हमास को उसके हमलों के लिए समर्थन दिया है, जैसा कि हमास के एक प्रवक्ता ने बीबीसी से बात करते हुए बताया. ईरान टॉप 10 ग्‍लोबल ऑयल प्रोड्यूसर में से एक है. अगर ईरान इस जंग में और उलझता है, तो इससे तेल की सप्‍लाई बाधित हो सकती है, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है. तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के व्यापक परिणाम हो सकते हैं, जिससे करंसी वैल्‍यू, बांड यील्‍ड और सरकार की वित्तीय स्थिति प्रभावित हो सकती है.

इन बातों को ध्‍यान में रखकर करें निवेश

  • फिसडम रिसर्च के अनुसार 2008 से, ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों और निफ्टी 50 टीआरआई के प्रदर्शन के बीच हल्का निगेटिव कोरिलेशन रहा है. उदाहरण के लिए, CY2016 और CY2021 में कच्चे तेल की कीमतों में 52 फीसदी की बढ़ोतरी के बावजूद, निफ्टी 50 TRI इंडेक्स ने 6.5% और 24.2% रिटर्न दिया.
  • कच्चे तेल की कीमत के स्तर में उतार-चढ़ाव के बावजूद, जिन निवेशकों ने खासतौर से साल 2012 के बाद से 3 साल से अधिक समय तक निवेश बनाए रखा, उन्होंने लगातार 9% सालाना से अधिक रिटर्न हासिल किया है.
  • उदाहरण के लिए, जब ब्रेंट क्रूड 2012 में 126 डॉलर प्रति बैरल के हाई लेवल पर पहुंच गया, तो निफ्टी 50 ने उस प्‍वॉइंट से 18.2% का कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) प्रदान किया.
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निवेश के लक्ष्‍य पर फोकस करना जरूरी

  • फिसडम रिसर्च के अनुसार बाजार क्रूड की कीमतों में उतार चढ़ाव की तुलना में घरेलू और ग्‍लोबल मैक्रोइकोनॉमिक इंडीकेटर्स से ज्‍यादा प्रभावित होते हैं. इकोनॉमिक फंडामेंटल्‍स, कॉर्पोरेट प्रदर्शन, ग्‍लोबल घटनाएं, मॉनेटरी पॉलिसी और जियो-पॉलिटिकल जैसे फैक्‍टर बाजार के मूवमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
  • जबकि ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतें शॉर्ट टर्म में बाजार में उतार-चढ़ाव का कारण बन सकती हैं और निवेशकों के रिटर्न को प्रभावित कर सकती हैं. लेकिन लंबी अवधि में निवेश का बुनियादी सिद्धांत बेहतर रिटर्न दिला सकता है. निवेशकों को अपने टारगेट और रिस्‍क लेने की क्षमता के आधार पर बाजार में निवेश पर फोकस करना चाहिए.
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