/financial-express-hindi/media/post_banners/lN7gstP1ooKo8yyFrePP.jpeg)
ब्रेंट क्रूड में 1 जनवरी 2022 से अबतक करीब 20 फीसदी तेजी आई है.
Brent Crude Prices: पिछले 2 महीने से शेयर बाजार में जिस तरह की हलचल देखने को मिल रही है, उसके पीछे एक बड़ी वजह इंटरनेशन मार्केट में कच्चे तेल यानी ब्रेंट क्रूड की कीमतों का तेजी से बढ़ना है. ब्रेंट क्रूड में 1 जनवरी 2022 से अबतक करीब 20 फीसदी तेजी आई है. जबकि बीते 1 साल में क्रूड 62 फीसदी महंगा होकर 7 से 8 साल के हाई पर पहुंच गया है. हाल ही में क्रूड ने 95 से 96 डॉलर प्रति बैरल का लेवल टच किया. जियो पॉलिटिकल टेंशन और पोस्ट पैनडेमिक अचानक डिमांड बढ़ने से क्रूड में जोरदार तेजी आई है. पैनडेमिक के बाद मांग 100 मिलियन बैरल प्रति दिन हो गई है. एक्सपर्ट का मानना है कि क्रूड को लेकर जो भी फैक्टर हैं, वे आगे डिस्काउंट होंगे. लेकिन नियर टर्म में अनिश्चितता बनी हुई है. शॉर्ट टर्म में क्रूड एक बार फिर 100 डॉलर प्रति बैरल की ओर बढ़ सकता है.
पूरी इकोनॉमी पर कैसे असर
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि क्रूड में जिस तरह की हलचल है, ओवरआल इकोनॉमी पर इसका असर पड़ रहा है. क्रूड पूरी इकोनॉमी को चलाती है, इसके महंगा होने से एनर्जी इंपोर्ट महंगा हो जाता है, जिससे घरेलू करंसी कमजोर होती है. दूसरी ओर इससे ईंधन महंगा होता है तो ढुलाई की कीमतें बढ़ती हैं, जिससे इनफ्लेशन बढ़ता है. मैक्रो लेवल पर तमाम इंपैक्ट के अलावा क्रूड में बहुत ज्यादा तेजी या बहुत ज्यादा गिरावट से सीधे सीधे 40 से 50 शेयरों पर असर पड़ता है.
किन सेक्टर पर निगेटिव असर
केडिया के अनुसार जो कंपनियां प्रोडक्शन में रॉ मटेरियल के रूप में क्रूड का इस्तेमाल करती हैं, उनकी लागत बढ़ेगी. बैटरी बनाने वाली कंपनियों, OMC, एविएशन, पेंट कंपनियों, टायर कंपनियों, सीमेंट कंपनियों, लॉजिस्टिक कंपनियों, स्टील कंपनियों और कंज्यूमर गुड्स बनाने वाली कंपनियों के स्टॉक पर इसका सीधा असर होगा. इनके शेयरों पर दबाव बढ़ सकता है.
ग्लोबल ग्रोथ पर भी असर
केडिया के अनुसार क्रूड की कीमतों में ज्यादा तेजी आने का मतलब है कि जो देश क्रूड का इंपोर्ट करते हैं, उनका इंपोर्ट बिल बढ़ेगा, जिससे बैलेंसशीट बिगड़ेगी. इन देशों का चालू खाता और राजकोषीय घाटा बढ़ेगा. इन देशों की करंसी कमजोर होंगी. इससे इन देश में महंगाई बढ़ने का खतरा भी बढ़ेगा. भारत और चीन जैसे देश दुनिया के सबसे बड़े क्रूड खरीदारों में हैं. इससे इन देशों की अर्थव्यवस्था पर असर हो सकता है. अगर क्रूड का भाव 100 डॉलर से पार जाता है तो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर काफी असर होगा. वहीं इससे सऊदी अरब, गल्फ कंट्रीज, रूस, नॉर्वे, नाइजीरिया और इक्वाडोर जैसे क्रूड बेचने वाले देशों को लाभ होगा.
कितना मजबूत हो सकता है क्रूड
एक्सपर्ट और एजेंसियां मान रही हैं कि आगे अगर जियोपॉलिटिकल टेंशन बढ़ा तो क्रूड में फिर तेजी आएगी. IIFL सिक्योरिटीज के VP (रिसर्च) अनुज गुप्ता का कहना है कि शॉर्ट टर्म में क्रूड 98-100 डॉलर प्रति बैरल का लेवल टच कर सकता है. जियो पॉलिटिकल टेंशन क्रूड को सपोर्ट करने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है. नियर टर्म में यह 90 डॉलर से 100 डॉलर की रेंज में रहेगा. उनका कहना है कि अभी सप्लाई में डिस्टर्बेंस है. ईरान पर यूएस के सैंक्शन से भी असर हुआ है.