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पानी से सस्ता हुआ क्रूड, सरकार क्यों नहीं घटा रही है पेट्रोल-डीजल के दाम? 3 प्वाइंट में समझें

कच्चे तेल का भाव रुपये के लिहाज से 1 लीटर बोतलबंद पानी से भी कम हो गया है.

कच्चे तेल का भाव रुपये के लिहाज से 1 लीटर बोतलबंद पानी से भी कम हो गया है.

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Sushil Tripathi
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A cut in output could provide some flooring for the falling crude oil prices.

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कच्चे तेल यानी क्रूड की कीमतें इस साल 60 फीसदी से ज्यादा गिरकर 25 डॉलर प्रति बैरल के आस पास बनी हुई है. प्रति लीटर और इसका रुपये में भाव देखें तो यह करीब 12 रुपये प्रति लीटर होगा. जबकि बोतलबंद एक लीटर पानी की कीमत बाजार में 15 रुपये के आस पास चल रही है. यानी कच्चा तेल अब पानी से भी सस्ता बिक रहा है. जनवरी में जो क्रूड 70 डॉलर से ज्यादा के भाव पर था, वह अब 25 डॉलर के आस पास ट्रेड कर रहा है. जबकि डबल्यूटीआई क्रूड 20 रुपये से भी नीचे चला गया है. सवाल यह एठ रहा है कि जब क्रूड की कीमतों में इतनी गिरावट आ चुकी है, सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम घटाकर कंज्यूमर को क्यों नहीं राहत दे रही है. पिछले 16 दिनों से पेट्रोल और डीजल के भाव में कोई चेंज नहीं किया गया है. जानते हैं इस पर एक्सपर्ट क्या कह रहे हैं.

16 दिन से पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर

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बुधवार को लगातार सोलहवां दिन है जब देशभर में पेट्रो और डीजल के दाम में कटौती नहीं की गई या बढ़ोत्तरी भी नहीं हुई. इसके पहले 16 मार्च को कीमतों में बदलाव हुआ था. देश की तेल कंपनियां केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर 3 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए गए एक्साइज ड्यूटी को एडजस्ट करने में लगी हैं. दिल्ली में पेट्रोल का दाम 69.59 रुपये लीटर है, जबकि मुंबई में यह 75.30 रुपये प्रति लीटर के भाव बिक रहा है.

अभी ये हैं पेट्रोल और डीजल के दाम

शहर           पेट्रोल/लीटर            डीजल/लीटर

दिल्ली         69.59 रुपये             62.29 रुपये

मुंबई           75.30 रुपये             65.21 रुपये

कोलकाता   72.29 रुपये             64.62 रुपये

चेन्नई            72.28 रुपये            65.71 रुपये

क्यों नहीं मिल रहा है कंज्यूमर को फायदा?

एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करंसी), अनुज गुप्ता का कहना है कि इसे 2 तरीके से समझ सकते हैं. एक तो सस्ते क्रूड से सरकार को इन्वेंट्री बढ़ाने का मौका मिल गया है. सरकार सस्ते क्रूड का फायदा उठाकर अच्छा खास स्टॉक जमा कर सकती है. दूसरी ओर देश में लॉकडाउन की स्थिति है, जिससे पेट्रोल और डीजल की खपत बहुत कम है. ऐसे में अगर सरकारी तेल कंपनियां कीमतें कम भी करती हैं तो इसका फायदा ज्यादा कंज्यूमर तक नहीं होगा. इस वजह से अभी तेल कंपनियां दाम नहीं घटा रही हैं. ये कंपनियां सरकार द्वारा बढ़ाए गए एक्साइज ड्यूटी को एडजस्ट करने में लगी हैं.

फिस्कल डेफिसिट की भरपाई!

केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतें कम होने से सरकार के पास अभी अपना फिस्कल डेफिसिट को कुछ कम करने का मौका है. भारत अपनी जरूरतों का करीब 82 फीसदी क्रूड इंपोर्ट करता है. क्रूड में गिरावट से भारत को डॉलर के रूप में कम विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ रही है. दूसरी ओर कच्चे तेल के दाम में गिरावट के बाद पेट्रोल-डीजल का दाम घटाने की बजाय उत्पाद शुल्क बढ़ाकर भी सरकार रेवेन्यू बढ़ाने के मूड में है. लेकिन इन दिनों देश में डिमांड कम होने से सरकार को उतना फायदा नहीं मिल पा रहा, जितना सामान्य परिस्थितियों में मिलता.

इन्वेंट्री बढ़ने का मतलब

केडिया का कहना है कि जिस तरह की परिस्थितियां बनी हैं, वैसी हमेशा नहीं रहेंगी. अमेरिका और चीन में लॉकडाउन पूरी तरह से खत्म होता हैं तो वहां अचानक से इंडस्ट्रियल एक्टिविटी तेजी से बढ़ेगी. दोनों ही देश क्रूड के बड़े कंज्यूमर देश हैं. बाकी दुनिया में भी क्रूड की डिमांड बढ़ेगी, जिससे क्रूड में फिर उछाल देखने को मिल सकता है. वैसे भी अमेरिका और रूस के अलावा ओपेक देश भी नहीं चाहेंगे कि क्रूड निचले स्तरों पर बना रहे. आगे अगर क्रूड की कीमतों में उछाल आता है तो सरकार बड़ी हुई इन्वेंट्री का फायदा अपना खर्च कम करने में कर सकती है. वहीं, तेल कंपनियां भी इसका फायदा ग्राहकों को दे सकती है.

अनुज गुप्ता का भी मानना है कि भारत सस्ते तेल के इस मौके को गंवाना नहीं चाहता है और इसलिए उसने कच्चे तेल को ज्यादा से ज्यादा स्टोर करने का फैसला किया है. इसका फायदा सरकार को अपनी बैलेंसशीट सुधारने में मिलेगा. इन्वेंट्री रही तो अचानक मांग बढ़ने पर भी सरकार एक दो महीनों का दबाव बिना खर्च बढ़ाए आसानी से झेल सकती है. हालांकि ग्राहकों को इसका फायदा बहुत ज्यादा मिलने की उम्मीद नहीं है.

साल 2014-2016 के बीच जमकर हुआ फायदा

पिछली बार साल 2014 से 2016 के बीच कच्चे तेल के दाम तेजी से गिर रहे थे तो सरकार को अपना खजाना भरने का भरपूर मौका मिला था. तब सरकार ने इसका फायदा आम लोगों को देने के बजाय एक्साइज ड्यूटी के रूप में पेट्रोल-डीजल के जरिए ज्यादा से ज्यादा टैक्स वसूल कर अपना खजाना भरने के रूप में उठाया. इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी फायदा हुआ. नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच केंद्र सरकार ने 9 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाया और केवल एक बार राहत दी. ऐसा करके साल 2014-15 और 2018-19 के बीच केंद्र सरकार ने तेल पर टैक्स के जरिए 10 लाख करोड़ रुपये कमाए.

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