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कच्चे तेल (Crude Oil) के सबसे बड़े उत्पादक देशों ने इसके उत्पादन में 1 करोड़ बैरल प्रतिदिन तक की कटौती करने पर सहमत हो गए हैं. इसमें मैक्सिको भी शामिल है, जो अंत तक उत्पादन में कटौती करने को तैयार नहीं था. फिलहाल ओपेक और कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है. इंटरनेशनल मार्केट में आज क्रूड 5 फीसदी से ज्यादा मजबूत होकर 34 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर पहुंच गया. माना जा रहा है कि क्रूड की कीमतों में आगे भी तेजी आएगी. अब सवाल यह है कि क्रूड की कीमतें वापस चढ़ने से भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर क्या असर होगा. पिछले 27 दिनों से पेट्रोल और डीजल के भाव में बदलाव नहीं हुआ है, तब क्रूड निचले स्तरों पर था.
मेक्सिको को ट्रम्प ने मनाया
बीते शुक्रवार तक इस फैसले से बाहर रहने की घोषणा कर चुके मेक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रेज मैन्युएल लोपेज ओब्राडोर ने इससे पहले कहा था कि उनका देश कच्चे तेल के उत्पादन में रोजाना 1 लाख बैरल तक की कटौती करने को तैयार है. इससे पहले अमेरिका और ओपेक के बाकी सदस्य देश मेक्सिको पर रोजाना चार लाख बैरल तक की कटौती का दबाव बना रहे थे, जिससे उसने साफ इनकार कर दिया था. ओब्राडोर ने कहा कि ट्रंप ने उन्हें इस कटौती के लिए मनाया है. ट्रंप ने इस बात पर सहमति दी है कि मेक्सिको की भरपाई के लिए अमेरिका अपने उत्पादन में 2,50,000 बैरल प्रतिदिन की कटौती करेगा.
27 दिन से पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर
सोमवार को लगातार 27वां दिन है जब देशभर में पेट्रोल और डीजल के दाम में कटौती नहीं की गई या बढ़ोत्तरी भी नहीं हुई. इसके पहले 16 मार्च को कीमतों में बदलाव हुआ था. देश की तेल कंपनियां केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर 3 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए गए एक्साइज ड्यूटी को एडजस्ट करने में लगी हैं. दिल्ली में पेट्रोल का दाम 69.59 रुपये लीटर है, जबकि मुंबई में यह 75.30 रुपये प्रति लीटर के भाव बिक रहा है.
अभी ये हैं पेट्रोल और डीजल के दाम
शहर पेट्रोल/लीटर डीजल/लीटर
दिल्ली 69.59 रुपये 62.29 रुपये
मुंबई 75.30 रुपये 65.21 रुपये
कोलकाता 72.29 रुपये 64.62 रुपये
चेन्नई 72.28 रुपये 65.71 रुपये
क्यों नहीं मिला कंज्यूमर को फायदा?
एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करंसी), अनुज गुप्ता का कहना है कि देश में लॉकडाउन की स्थिति है, जिससे पेट्रोल और डीजल की खपत बहुत कम है. ऐसे में अगर सरकारी तेल कंपनियां कीमतें कम भी करती तो इसका फायदा ज्यादा कंज्यूमर तक नहीं होता. इस वजह से क्रूड की कीमतों में बड़ी गिरावट के बाद भी तेल कंपनियां दाम नहीं घटा रही हैं. ये कंपनियां सरकार द्वारा बढ़ाए गए एक्साइज ड्यूटी को एडजस्ट करने में लगी हैं. एक और फायदा यह है कि सस्ते क्रूड से सरकार को इन्वेंट्री बढ़ाने का मौका मिल गया है. सरकार सस्ते क्रूड का फायदा उठाकर अच्छा खास स्टॉक जमा कर सकती है.
लॉकडाउन के कारण मांग घटी
बता दें, भारत समेत दुनियाभर में कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच कच्चे तेल की मांग घट गई है. वहीं पिछले दिनों ओपेक और रूस के बीच प्राइस वार छिड़ने से भी क्रूड की कीमतों में बड़ी गिरावट आई थी. क्रूड पिछले 1 साल में 51 फीसदी और इस साल अबतक 49 फीसदी सस्ता हो चुका है. रूस के साथ तेल के कीमतों पर तनातनी के बाद कच्चे तेल के प्रमुख उत्पादक सऊदी अरब ने उत्पादन में रोजाना 1 करोड़ बैरल तक की बढ़ोतरी की घोषणा कर दी थी. अब ओपेक और उसके अन्य सहयोगी देश मई और जून के दौरान उत्पादन में 1 करोड़ बैरल प्रतिदिन की कटौती पर सहमत हुए थे, जबकि जुलाई से दिसंबर के दौरान 80 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती की जाएगी.