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Crude Prices/Petrol & Diesel: कोरोना वायरस के बढ़ रहे मामलों के बीच एक बार फिर क्रूड की डिमांड को लेकर डर बन गया है.
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Crude Prices/Petrol & Diesel: कोरोना वायरस के बढ़ रहे मामलों के बीच एक बार फिर क्रूड की डिमांड को लेकर डर बन गया है. इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड की डिमांड में अचानक से बड़ी कमी आई है. बड़ी क्रूड उत्पादक कंपनियों को एक बार फिर डिमांड घटने का डर सता रहा है. ऐसे में ओपेक देशों की कुछ कंपनियों ने क्रूड पर डिस्काउंट देना भी शुरू कर दिया है. दूसरी ओर ओपेक और अमेरिका में उत्पादन ज्यादा है, लेकिन बहुत से डिमांड अभी होल्ड पर है. इस वजह से कीमतों में आगे बड़ी गिरावट की आशंका है.
क्रूड 15 जून के पहले स्तर पर
मंगलवार के कारोबार में ब्रेंट क्रूड में 5 फीसदी से ज्यादा और डबल्यूटीआई क्रूड में 7 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई. ब्रेंट क्रूड 40 डॉलर प्रति डॉलर के नीचे चला गया, जबकि डबल्यूटीआई क्रूड 36 डॉलर प्रति डॉलर के आस पास आ गया. यह क्रूड में 15 जून के बाद से सबसे निचला स्तर है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड में बुधवार को लगातार छठें दिन नरमी के साथ कारोबार होता दिखा. बता दें कि भारत बड़े पैमाने पर ब्रेंट क्रूड का आयात करता है. तेल की मांग नरम रहने और डॉलर में मजबूती से बीते 1 हफ्ते में डब्ल्यूटीआई के दाम में करीब 16 फीसदी की गिरावट आई है.
प्रमुख कंज्यूमर देश की ओर से डिमांड घटी
S&P ग्लोबल प्लैट्स की रिपोर्ट के अनुसार प्रमुख कंज्यूमर देश चीन में जून के दौरान क्रूड का इंपोर्ट 12.99 मिलियन बैरल प्रति दिन के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया था. क्रूड इंपोर्ट मार्च में 9.72 मिलिसन प्रति बैरल था. अब यह घटकर 12.13 मिलियन प्रति बैरल पर आ गया. रॉयटर्स के मुताबिक चीन का क्रूड इंपोर्ट घटकर 11.18 मिलियन प्रति बैरल रह गया है.
मौजूदा स्तर से 20% सस्ता हो सकता है क्रूड
एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करंसी), अनुज गुप्ता का कहना है कि मौजूदा गिरावट क्रूड की डिमांड में कमी आने की वजह से है. कोरोना वायरस के मामले जहां बढ़ रहे हैं, वहीं कुछ देशों में वापस इसके मामले आने लगे हैं. वेक्सीन को लेकर अभी कुछ फाइनल नहीं हो पाया है. जबतक वैक्सीन बाजार में नहीं आती, कोरोना के चलते अर्थव्यवस्था पर दबाव रहेगा. ऐसे में आगे भी क्रूड उत्पादक कंपनियों को डिमांड कमजोर रहने की आशंका बन गई है. इसी वजह से कई कंपनियों ने डिस्काउंट देना शुरू कर दिया है कि उनका प्रोडक्शन खप जाए. ऐसे में आगे क्रूड में फिर बड़ी गिरावट से इनकार नहीं किया जा सकता है. क्रूड
अक्टूबर तक 32 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ सकता है.
पेट्रोल-डीजल पर कितनी मिल सकती है छूट
उनका कहना है कि क्रूड सस्ता होने से तेल कंपनियों को कीमतों पर छूट मिलेगी. भारत में अपनी जरूरतों का 82 फीसदी क्रूड इंपोर्ट किया जाता है. पिछले कुछ महीनों से पेट्रोल के दाम लगातार बढ़े हैं या स्थिर रहे हैं. तेल कंपनियों पर दाम घटाने का दबाव है. ऐसे में ब्रेंट क्रूड की ओर से कंपनियों को राहत मिलती है तो वे कंज्यूमर्स को राहत दे सकती हैं. अगर क्रूड में 20 फीसदी की कमी आती है तो पेट्रोल और डीजल में 5 फीसदी कमी की जा सकती है. कह सकते हैं कि पेट्रोल और डीजल 2.5 से 3 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो सकता है.