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Crude/Petrol, Diesel: महंगे पेट्रोल और डीजल से परेशान हैं तो अभी और महंगाई झेलने के लिए तैयार हो जाएं.
Crude Prices Outlook: महंगे पेट्रोल और डीजल से परेशान हैं तो अभी और महंगाई झेलने के लिए तैयार हो जाएं. पेट्रोल और डीजल की कीमतें अभी थमने के कोई आसार नहीं नजर आ रहे हैं. असल में इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड की कीमतों में अब तेजी शुरू हो गई है. आगे एक्सपर्ट इसमें और तेजी का अनुमान जता रहे हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि मौजूदा दौर में ऐसे कुछ फैक्टर हावी हैं, जिससे साल 2021 के पहली तिमाही में क्रूड 58 से 60 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है. वहीं, रुपये पर भी दबाव बन रहा है. ऐसे में क्रूड महंगा होने से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और बढ़ोत्तरी संभव है.
2021 की पहली छमाही तक क्रूड की जोरदार डिमांड!
S&P ग्लोबल प्लाट्स ने अपनी एक एनालिसिस में कहा है कि साल 2021 में इंटरनेशनल माके्रट में क्रूड की डिमांड बढ़ेगी. हालांकि यह 2019 के स्तर को पार करे यो जरा मुश्किल है, लेकिन मौजूदा स्तर से डिमांड ज्यादा रहेगी. रिपोट्र के अनुसार पिछले दिनों कोरोना वायरस के चलते खासतौर से ट्रांसपोर्टेशन की ओर से तेल की डिमांड ठप हो गई थी, जो अब धीरे धीरे बढ़ रही है. रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 के पहले छमाही तक तेल की जोरदार डिमांड आएगी. यह 2021 में 6 मिलियन बैरल प्रति दिन के हिसाब से बढ़ सकती है. वहीं जिस तरह से कोरोना महामहारी के बराद अब अर्थव्यवस्थाओं में सुधार हो रहा है, कोरोना वेक्सीन आने की उम्मीद बढ़ी है, क्रूड की इंडस्ट्रियल डिमांड भी बढ़ेगी.
इन वजहों से क्रूड और होगा महंगा
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि साल 2021 की पहली तिमाही में क्रूड 58 डॉलर प्रति बैरल का भाव छू सकता है. ब्रेंट क्रूड अभी 50 डॉलर के पार चल रहा है. उनका कहना है कि अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ अब कोविड 19 वैक्सीन आने की उम्मीद से सेंटीमेंट बेहतर हो रहे हैं. आने वाले दिनों में इंडस्ट्रियल एक्टिविटी जोर पकड़ेगी. सभी देश अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का प्रयास करेंगे. इससे क्रूड की मांग बढ़नी है.
दूसरी ओर साल के अंत में डॉलर की डिमांड अब बढ़ रही है, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ेगा. रुपया कमजोर होने का मतलब है कि क्रूड महंगा होना. वहीं ओपेक देशों ने क्रूड प्रोडक्शन कट को 3 महीने आगे बढ़ाया है. ये देश क्रूड को मजबूती देने के लिए प्रोडक्शन कट लंबा जारी रख सकते हैं. ये फैक्टर्स क्रूउ के भाव को सपोर्ट कर रहे हैं.
अक्टूबर महीने में कच्चा तेल 35.79 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था. यह इसकी औसत कीमत रही. नवंबर आते-आते भाव चढ़ गए और 45.34 डॉलर प्रति बैरल पर बिकने लगा. अब दिसंबर में यह 50 डॉलर के पार चला गया है.
एक्साइज ड्यूटी में राहत के संकेत नहीं
पेट्रोल, डीजल के बढ़ते दाम से राहत देने के लिए एक्साइज ड्यूटी में कटौती की संभावनाएं कम हैं. अर्थव्यवस्था पर अभी दबाव है. वहीं पिछले दिनों सरकार ने लंबे चौड़े राहत पैकेज का एलान किया था. चालू खाते का घाटा लक्ष्य से ऊपर निकल सकता है. ऐसे में सरकार अपने खजाने पर और दबाव बढ़ाए, अभी ऐसा मुश्किल है.
पिछले 5 साल की तुलना करें तो पेट्रोल पर 2014 में एक्साइज ड्यूटी महज 9.48 रुपए प्रति लीटर थी, जो 2020 तक बढ़कर 32.9 रुपए प्रति लीटर हो चुकी है. वहीं, डीजल पर 2014 में महज 3.56 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगती थी, अब यह 31.83 रुपए प्रति लीटर हो चुकी है.
आम आदमी की जेब पर बढ़ेगा बोझ
केडिया के मुताबिक, आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है. अभी महाराष्ट्र के कुछ इलाकों मसलन परभनी में पेट्रोल के भाव 93 रुपये प्रति लीटर के आस पास है. अगर क्रूड इसी तरह से महंगा हुआ तो पेट्रोल और डीजल में भी बढ़ोत्तरी होगी. हालांकि यह कहना जल्दबाजी होगी कि पेट्रोल 100 रुपये पार कर जाएगा. लेकिन मौजूदा भाव से पेट्रोल और डीजल में 3 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ोत्तरी संभव है.