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भारी रेवेन्यू की उम्मीद में सरकार ने बजट 2022 में सभी प्रकार के क्रिप्टो या वर्चुअल डिजिटल एसेट के ट्रांसफर पर 1 फीसदी टीडीएस लगाने और क्रिप्टो लेन-देन में हुए मुनाफे पर फ्लैट 30 फीसदी टैक्स का ऐलान किया था. (Image- Pixabay)
Crypto TDS: क्रिप्टो को लेकर निवेशकों का रूझान तेजी से बढ़ रहा है. इसकी ट्रेडिंग से भारी रेवेन्यू की उम्मीद में सरकार ने बजट 2022 में सभी प्रकार के क्रिप्टो या वर्चुअल डिजिटल एसेट के ट्रांसफर पर 1 फीसदी टीडीएस लगाने और क्रिप्टो लेन-देन में हुए मुनाफे पर फ्लैट 30 फीसदी टैक्स का ऐलान किया था. मंगलवार (8 मार्च 2022) को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार क्रिप्टो में रेवेन्यू की संभावनाएं तलाश रही है.
वहीं दूसरी तरफ निवेशक व ट्रेडर्स समेत क्रिप्टो इंडस्ट्री के सभी स्टेकहोल्डर्स क्रिप्टो टैक्स व टीडीएस रेट में कटौती की मांग कर रहे हैं.
अब क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म WazirX के फाउंडर निश्चल शेट्टी ने एक कैलकुलेशन के जरिए यह दिखाया है कि क्रिप्टो ट्रेडिंग पर 1 फीसदी टीडीएस न सिर्फ निवेशकों के लिए घाटे का सौदा है बल्कि सरकार का टैक्स रेवेन्यू भी कम हो सकता है. शेट्टी के मुताबिक सरकार को टीडीएस के रूप में मिलने वाली राशि का बड़ा हिस्सा रिफंड करना होगा क्योंकि टर्नओवर मुनाफा नहीं होता है.
India saw about $100B in trading volume last year
— Nischal (Shardeum) ⚡️ (@NischalShetty) March 8, 2022
This trading would be from millions of people combined
1% TDS = $1Billion
But majority of this TDS would need to be refunded as Turnover is NOT profit
Calculation below:
यह रहा कैलकुलेशन
- शेट्टी ने कई ट्वीट के जरिए दिखाया कि कैसे 1 फीसदी टीडीएस सरकार के लिए कम रेवेन्यू वाला मॉडल साबित हो सकता है.
- पिछले साल भारत में 10 हजार करोड़ डॉलर (7.68 लाख करोड़ रुपये) की क्रिप्टो का लेन-देन हुआ था और इस पर एक फीसदी टीडीएस का मतलब 100 करोड़ डॉलर (7684.35 करोड रुपये). हालांकि इसमें से अधिकतम हिस्सा रिफंड होगा क्योंकि टर्नओवर मुनाफा नहीं होता है.
- शेट्टी के मुताबिक भारतीयों के पास करीब 300 करोड़ डॉलर (23,038.80 करोड़ रुपये) के क्रिप्टो एसेट्स हैं.
- अगर इस पर 10 फीसदी नेट प्रॉफिट हो रहा है तो 30 करोड़ डॉलर (2303.88 करोड़ रुपये) के मुनाफे पर 30 फीसदी की दर के हिसाब से 10 करोड़ डॉलर (767.96 करोड़ रुपये) का इनकम टैक्स चुकाना होगा. इसका मतलब हुआ कि सरकार को हर साल 90 करोड़ डॉलर (6911.64 करोड़ रुपये) टीडीएस में रिफंड करना होगा.
- हालांकि इस 90 करोड़ डॉलर के सरकार के पास रहने से निवेशक कम पैसों से ही ट्रेडिंग कर सकेंगे और फिर इससे उनका मुनाफा घटेगा और सरकार को मिलने वाला इनकम टैक्स कम हो सकता है.
0.1 फीसदी टीडीएस की वकालत
ऊपर कैलकुलेशन में दिखाया गया है कि एक फीसदी टीडीएस से ट्रेडिंग वॉल्यूम कम होगा, मुनाफा गिरेगा. अधिक टीडीएस रिफंड को प्रोसेस करना होगा, सरकार को हासिल मिलने वाले इनकम टैक्स का भारी नुकसान होगा. शेट्टी ने 1 फीसदी की बजाय 0.1 फीसदी टीडीएस की वकालत की है. इस स्थिति में निवेशकों के पास अधिक पूंजी रहेगी तो ट्रेडिंग बढ़ेगी और उनका मुनाफा बढ़ेगा तो सरकार को अधिक इनकम टैक्स प्राप्त होगा.