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टैक्स एडवाइजर से राय लेकर क्रिप्टो आय को आईटीआर में दिखाएं.
इनकम टैक्स के प्रावधानों के मुताबिक आय 2.5 लाख रुपये से अधिक होने या ऐसा कोई भुगतान पाने, जिस पर टीडीएस लगा हो, उसे इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करना अनिवार्य होता है. इसमें उसे एक वित्त वर्ष के दौरान हुई किसी भी स्रोत से हुए आय का खुलासा करना पड़ता है. हालांकि अधिकतर लोगों के मन में इस बात को लेकर उलझन है कि क्रिप्टोकरंसी से हुई आय पर को आईटीआर में कैसे दिखाया जाए, क्योंकि इसे लेकर नियमों में स्पष्टता नहीं है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने क्रिप्टोकरेंसी की होल्डिंग या ट्रेडिंग को प्रतिबंधित किया था लेकिन पिछले साल निवेशकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई थी. हालांकि इसके बाद भी अभी तक क्रिप्टोकरंसी से हुई आय की प्रकृति पर कंफ्यूजन बना हुआ है जिसके कारण इस पर टैक्स को लेकर स्पष्टता नहीं है.
शुरुआती अवस्था में है क्रिप्टोकरेंसी सेक्टर
Cashaa के सीईओ और फाउंडर कुमार गौरव के मुताबिक भारत में क्रिप्टोकरंसी सेक्टर अभी शुरुआती अवस्था में है, ऐसे में इसे लेकर अभी शर्तों और टैक्सेशन को लेकर बहुत कुछ किया जाना बाकी है. हालांकि क्रिप्टोकरंसी से हुए शॉर्ट या लांग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स लगाया जा सकता है.
प्रापर्टी के तौर पर भी दिखा सकते
एनए शाह एसोसिएट्स के गोपाल बोहरा के मुताबिक क्रिप्टोकरंसी से हुई आय पर टैक्स देनदारी इस बात पर निर्भर करेगी कि यह करेंसी है या प्रॉपर्टी. आमतौर पर क्रिप्टोकरंसी को गुड्स या सर्विसेज के लेन-देन में प्रयोग किया जाता है. भारत में अभी तक क्रिप्टोकरंसी को आरबीआई ने करंसी के तौर पर मान्यता नहीं दिया है और इनकम टैक्स लॉ के मुताबिक भी इसे करेंसी के तौर पर परिभाषित नहीं किया गया है. इसलिए इसे न तो भारतीय करंसी के तौर पर देखा जा सकता है और न ही विदेशी करंसी. ऐसे में इनकम टैक्स को लेकर इसे प्रॉपर्टी के तौर पर देखा जाएगा और इस पर प्रॉपर्टी की तरह से टैक्स देनदारी बनेगी.
बोहरा के मुताबिक क्रिप्टोकरंसी से होने वाली आय से हुए लाभ पर बिजनस प्रॉफिट मानकर टैक्स लगाया जा सकता है, अगर इसे ट्रेडिंग या माइनिंग के जरिए प्रॉफिट के इरादे से हासिल किया गया है और या तो कैपिटल गेन के तौर पर टैक्स लगाया जा सकता है, अगर इसे संपत्ति के तौर पर अधिगृहित किया गया है.
बोहरा के मुताबिक वर्तमान टैक्स लॉ के मुताबिक क्रिप्टोकरंसी पर टैक्स देनदारी को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है, ऐसे में टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से स्पष्टता की जरूरत है.
आईटी की निगाह क्रिप्टो आय पर
कॉइनडीसीएक्स के सीईओ और को-फाउंडर सुमित गुप्ता के मुताबिक क्रिप्टोकरंसी को किसी भी टैक्स ब्रेकेट में नहीं रखा गया है लेकिन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पैन के जरिए क्रिप्टोकरंसी से होने वाली आय की निगरानी कर सकता है. गुप्ता के मुताबिक क्रिप्टोकरंसी से होने वाली आय को इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज के तहत दिखाया जा सकता है.
वजीरएक्स के सीईओ निश्चल शेट्टी के मुताबिक क्रिप्टो ट्रेडिंग से होने वाली आय टैक्सेबल है और इसे आईटी रिटर्न्स में दिखाया जाना चाहिए. शेट्टी का सुझाव है कि क्रिप्टोकरंसी से होने वाली आय को अपने सीए जैसे किसी विशेषज्ञ की मदद से आईटीआर में दिखाया जाना चाहिए.
टैक्स एडवाइजर से राय लेकर दिखाएं क्रिप्टो आय
डीवीएस एडवाइजर्स एलएलपी के फाउंडर एंड मैनेजिंग पार्टनर दिवाकर विजयसारथी के मुताबिक क्रिप्टोकरंसी पर टैक्सेशन विवादित मुद्दा है और यह कानूनी समस्याएं खड़ी कर सकता है. क्रिप्टो गेन्स को बिजनस या प्रोफेशन से हुए लाभ के तहत आय के तौर पर दिखाया जा सकता है. हालांकि अगर किसी निवेशक ने क्रिप्टो में निवेश कम किया है और इसे लंबे समय समय तक अपने पास होल्ड कर रखा था तो उसे अन्य स्रोत से हुई आय के तौर पर दिखा सकता है. विजयसारथी के मुताबिक इसे कैपिटल गेन्स के तौर पर दिखाने से कानूनी विवाद झेलना पड़ सकता है क्योंकि कैपिटल एसेट के तहत 'प्रॉपर्टी' को परिभाषित नहीं किया गया है. विजयसारथी के मुताबिक इसे अन्य लिस्टेड सिक्योरिटीज के मुताबिक ट्रीट किया जाना चाहिए.
वर्तमान में नियमों में स्पष्टता न होने की वजह से कई संभावनाएं हैं. ऐसे में क्रिप्टो करेंसी से होने वाली आय को किस तरह दिखाया जाए, इसे लेकर अपने टैक्स एडवाइजर से राय ले लेनी चाहिए.
(Article: Amitava Chakrabarty)
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