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Crypto Tax India vs US: भारत और अमेरिका में क्रिप्टो कमाई पर टैक्स के तय हैं नियम, जानिए क्या है अंतर

Crypto Tax India vs US: भारत और अमेरिका में बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर टैक्स नियमों में काफी अंतर है और मूल रूप से इनकी प्रकृति ही अलग है.

Crypto Tax India vs US: भारत और अमेरिका में बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर टैक्स नियमों में काफी अंतर है और मूल रूप से इनकी प्रकृति ही अलग है.

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दुनिया भर में क्रिप्टो को लेकर अभी अनिश्चितता बनी हुई है. हालांकि भारत समेत कुछ देशों में इस पर टैक्स का प्रावधान कर दिया है. (Image- Pixabay)

Crypto Tax India vs US: दुनिया भर में क्रिप्टो को लेकर अभी अनिश्चितता बनी हुई है. हालांकि भारत समेत कुछ देशों में इस पर टैक्स का प्रावधान कर दिया है. केंद्रीय बजट 2022 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहली बार भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स प्रावधानों का ऐलान किया. वहीं अमेरिका में इंटरनल रेवेन्यू सर्विस (IRS) ने पहली बार 2014 में क्रिप्टो को लेकर टैक्स से जुडे प्रावधान तय किए. दोनों देशों में बिटक्वाइन (BitCoin) जैसी क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर टैक्स नियमों में काफी अंतर है और मूल रूप से इनकी प्रकृति ही अलग है जैसे कि क्रिप्टो को किस प्रकार का एसेट समझा जाए, इसे लेकर दोनों देशों में अलग-अलग प्रावधान हैं.

क्रिप्टो एसेट्स का वर्गीकरण

इस साल के बजट में भारत सरकार ने क्रिप्टो एसेट् को वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के तौर पर माना. हालांकि इन्हें एसेट्स माना गया है लेकिन वर्चुअल डिजिटल एसेट्स टैक्स के मामले में अन्य प्रकार के एसेट्स से अलग हैं. केंद्रीय बजट 2022 के मुताबिक वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से मुनाफे पर फ्लैट 30 फीसदी का टैक्स चुकाना होगा. वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी में क्रिप्टोकरेंसीज को कैपिटल एसेट्स माना जाता है. ऐसे में जब क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री पर मुनाफा होता है तो इस पर लांग टर्म क्रिप्टो एसेट्स या शॉर्ट टर्म क्रिप्टो एसेट्स के आधार पर टैक्स चुकाना होता है. अमेरिकी कानून के मुताबिक एक साल से कम की एसेट होल्डिंग शॉर्ट टर्म है.

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नुकसान एडजस्ट करने का प्रावधान

भारत में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर एक्विजिशन कॉस्ट को छोड़कर डिडक्शन का फायदा नहीं मिलता है और अगर नुकसान हुआ है तो इसे सेट ऑफ या कैरी फारवर्ड नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा अन्य प्रकार के कैपिटल एसेट्स (वर्चुअल डिजिटल एसेट्स को छोड़) की बिक्री पर नुकसान हुआ है तो कुछ शर्तों के साथ कैपिटल एसेट्स गेन के साथ सेट ऑफ किया जा सकता है और अगर नहीं कर पा रहे हैं तो इसे अगले आठ साल तक इसे कैपिटल गेन के साथ एडजस्ट कर सकते हैं. वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी इनकम टैक्स कानून के तहत क्रिप्टो एसेट्स में निवेश पर अगर नुकसान हआ है तो इसे आय के अन्य स्रोत से सेट ऑफ कर सकते हैं. अगर इस नुकसान को एडजस्ट नहीं कर पा रहे हैं तो इसे आगे निवेश से हुए मुनाफे से सेट ऑफ के लिए कैरी फारवर्ड भी कर सकेंगे.

गिफ्ट पर टैक्स

बजट 2022 में केंद्र सरकार ने एक सीमा से अधिक बिक्री वैल्यू के वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर पर 1 फीसदी टीडीएस का प्रावधान किया है. वहीं गिफ्ट में अगर क्रिप्टो मिलता है तो इस पर भी टैक्स चुकाना होगा, अगर इसकी फेयर मार्केट वैल्यू एक थ्रेसहोल्ड लिमिट के ऊपर होती है लेकिन रिश्तेदारों व खास मौके पर मिले गिफ्ट पर एग्जेम्प्शन मिलेगा. वहीं दूसरी तरफ अमेरिका की बात करें तो क्रिप्टो एसेट्स एसेट्स में पेमेंट पर कोई विदहोल्ड टैक्स नहीं है. इसके अलावा गिफ्ट मिलने पर कोई टैक्स नहीं देना होगा लेकिन अगर भविष्य में इसकी बिक्री करते हैं तो कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होगा. हालांकि इसके लिए जरूरी है कि जिस शख्स ने क्रिप्टो गिफ्ट में दिया है, उसकी जानकारी सरकार को दे, अगर इसकी वैल्यू एक लिमिट के ऊपर है.

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कारोबारी लेन-देन में प्रावधान

अगर किसी गुड्स या सर्विसेज के बदले में क्रिप्टो से भुगतान मिला है तो टैक्सपेयर को इस पर कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होगा यानी कि शुरुआती खरीद भाव और मौजूदा भाव के अंतर पर. वहीं जिसे पेमेंट मिला है, उसे आय मानते हुए रेगुलर टैक्स रेट्स के हिसाब से टैक्स देना होगा. वहीं दूसरी तरफ भारत में बजट 2022 में सरकार ने इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं किया है कि जब इसका इस्तेमाल करेंसी के तौर पर किया जाएगा तो कैसे टैक्स देनदारी बनेगी. यहां अभी 'ट्रांसफर' को लेकर स्पष्टता की जरूरत है.

क्रिप्टो के अन्य प्रयोग पर टैक्स प्रावधान

भारत में केंद्रीय बजट 2022 में स्टेकिंग, माइनिंग, लेंडिंग, बॉरोइंग, एयरड्रॉप्स, फोर्क्स, वॉलेट ट्रांसफर्स, पी2पी ट्रांसफर्स, गेमिंग, गिफ्टिंग, डोनेशंस इत्यादि से हुई आय को लेकर कोई प्रावधान नहीं तय किए हैं. वहीं अमेरिका में अगर आप माइनिंग, किसी गुड्स या सर्विसेज के प्रमोशन या पेमेंट के लिए क्रिप्टो पाते हैं तो इसे रेगुलर टैक्सेबल इनकम माना जाता है. इस पर जिस दिन इसे प्राप्त किया है, उस दिन के बाजार भाव पर अपने रेगुलर इनकम टैक्स रेट के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है.

(Article: Archit Gupta, Founder and CEO, Clear (formerly ClearTax))

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