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भारत में क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन को लेकर भले ही स्पष्ट नियम नहीं हैं.
Cryptocurrency Taxation in Budget 2022: भारत में क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन को लेकर भले ही स्पष्ट नियम नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद इसकी पॉपुलैरिटी लगातार बढ़ती जा रही है. क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एक विधेयक पेश किए जाने की उम्मीद थी, हालांकि इसे पेश नहीं किया गया. अब उम्मीद है कि सरकार बजट सत्र में एक विधेयक पेश कर सकती है. हालांकि, क्रिप्टो इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों, निवेशकों और ट्रेडर्स को आगामी बजट 2022 में क्रिप्टो अर्निंग पर एक प्रॉपर टैक्स पॉलिसी फ्रेमवर्क की उम्मीद है.
टैक्स एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि आगामी बजट में सरकार क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय के टैक्सेशन पर उलझन को दूर कर सकती है. वर्तमान में, क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर टैक्स को लेकर आयकर कानून में कोई विशेष प्रावधान नहीं है. क्लियरटैक्स के फाउंडर और CEO अर्चित गुप्ता कहते हैं, “क्रिप्टो से जुड़े टैक्स के नियमों को लेकर कई तरह की उलझनें हैं. मसलन इसके क्लासिफिकेशन, एप्लिकेबल टैक्स रेट्स, टीडीएस/टीसीएस और क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री पर जीएसटी जैसी चीजों पर इस बजट में फैसले लिए जा सकते हैं.”
इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद
वित्त मंत्रालय इस साल के बजट में पर्सनल इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव कर सकता है. कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि दो कर व्यवस्थाओं को लेकर अभी भी आम आदमी कंफ्यूज है. अर्चित गुप्ता को उम्मीद है कि सरकार हाईएस्ट टैक्स स्लैब को 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने पर विचार कर सकती है. या नई व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए कुछ कटौती की अनुमति दे सकती है. पिछले साल के बजट में सैलरीड क्लास को कोई बड़ी राहत नहीं दी गई थी.
स्टैंडर्ड डिडक्शन और वर्क फ्रॉम होम डिडक्शन
सैलरीड एंप्लाई आने वाले बजट 2022 में ‘वर्क फ्रॉम होम’ अलाउंस की उम्मीद कर रहे हैं. उन्हें महामारी के दौरान घर से ऑफिस का काम करने के लिए जो अतिरिक्त खर्च करना पड़ा, उस पर टैक्स राहत मिलने की उम्मीद है. इस तरह के खर्चों के लिए डिडक्शन की अनुमति देने से टेक-होम सैलरी बढ़ेगा और इसके साथ ही देश में वस्तुओं और सेवाओं की मांग पैदा होगी.
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80सी और धारा 80डी की लिमिट बढ़ाए जाने की उम्मीद
इस बजट में धारा 80सी और धारा 80डी की लिमिट बढ़ाए जाने की भी उम्मीद है. साथ ही, इस वित्तीय वर्ष के दौरान डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन ज्यादा होने के चलते भी इन लिमिट्स को बढ़ाए जाने की उम्मीद है. इक्विटी-लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) के लिए धारा 80 सी के तहत हायर डिडक्शन की अनुमति दी जा सकती है. या फिर भारत में म्यूचुअल फंड निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक अलग लिमिट व्यवस्था लाई जा सकती है. इसके अलावा, COVID-19 मरीजों और उनके परिवारों के लिए टैक्स में राहत प्रदान करने के लिए धारा 80D या 80DDB के तहत एक विशेष COVID एक्सपेंस संबंधी डिडक्शन की अनुमति दी जा सकती है.
एनबीएफसी स्टार्ट-अप सेक्टर को टैक्स में राहत की उम्मीद
Vivifi India Finance के CEO और फाउंडर अनिल पिनापाला कहते हैं, "आगामी केंद्रीय बजट में, हम चाहते हैं कि सरकार बैंकों और फिनटेक कंपनियों के बीच को-लेंडिंग की संभावना के लिए जगह बनाए. जिससे बदले में छोटे व्यवसायों को फायदा होगा. हम उम्मीद करते हैं कि इस बजट में आर्थिक सुधार में एनबीएफसी स्टार्ट-अप सेक्टर की भूमिका को ध्यान में रखते हुए इसके लिए कर व्यवस्था को उदार बनाया जाएगा.” आगामी केंद्रीय बजट में, हम सभी के लिए लोन लाने को लेकर काम कर रहे ऐसे स्टार्ट-अप के लिए सरकार की सहायता चाहते हैं.