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Debt Funds: निवेशक शॉर्ट मैच्योरिटी वाली स्कीम को तरजीह दे रहे हैं, जहां 1 दिन से 3 महीने में पैसा मैच्योर हो जाए.
Debt Funds Performance: लंबे समय बाद डेट फंड्स ने कमबैक किया है. दिसंबर 2022 से मार्च 2023 तक के बीच ऐसा कोई महीना नहीं था, जब डेट फंड्स में नेट इनफ्लो दर्ज किया गया हो. लेकिन अप्रैल में इन स्कीम ने कमाल किया. लंबे सूखे के बाद अप्रैल 2023 में डेट फंड में 1.07 लाख करोड़ रुपये का प्रभावशाली नेट इनफ्लो दर्ज किया गया. मुख्य रूप से लिक्विड फंड्स में भारी इनफ्लो देखा गया. इसके बाद मनी मार्केट फंड्स, अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स और ओवरनाइट फंड्स का योगदान रहा. कुल मिलाकर इस दौरान शॉर्ट ड्यूरेशन फंड स्टार परफॉर्मर साबित हुए. आखिर अचानक आए इस इनफ्लो के पीछे वजह क्या है और क्या यह इनफ्लो साइकिल आगे भी जारी रहेगा?
डेट फंड्स में भारी निवेश
अप्रैल 2023 में डेट फंड्स खासतौर से डेट बेस्ड स्कीम में भारी भरकम निवेश देखने को मिला. इन योजनाओं में अप्रैल में 1.06 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया है, जबकि मार्च में 56,884 करोड़ रुपये की निकासी देखने को मिला थी. डेट स्कीम में लिक्विड फंड्स ने लीड किया है. लिक्विड फंड्स में अप्रैल के दौरान 63,219 करोड़ का निवेश आया, जबकि मनी मार्केट फंड्स में 13,961 करोड़, अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स में 10,662 करोड़ और ओवरनाइट फंड्स में 6,107 करोड़ का निवेश आया.
दूसरी ओर इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश अप्रैल में 68 फीसदी घटकर 6,480 करोड़ रुपये रहा है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के जारी आंकड़ों के अनुसार, मुख्य रूप से स्मालकैप और मिडकैप कैटेगिरी की कंपनियों के जरिये यह निवेश आया है. कुल मिलाकर, 42 कंपनियों वाले म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में अप्रैल में 1.21 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया और एसेट अंडर मैनेजमेंट 41.61 लाख करोड़ पहुंच गया. यह मार्च 2023 में 39.42 लाख करोड़ था.
म्यूचुअल फंड की ओवरऑल प्रोग्रेस बेहतर
AMFI के अनुसार म्यूचुअल फंड द्वारा मैनेज्ड कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) अप्रैल 2023 में पहली बार 41.62 लाख करोड़ रुपये के स्तर को पार कर गया. इस मुकाम को हासिल करने में डेट फंडों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया. हालांकि, सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIPs) की वजह से मंथली फ्लो में कमी आई है. SIP में मार्च में 14,276 करोड़ रुपये की तुलना में अप्रैल में 13,728 करोड़ रुपये का निवेश आया. लेकिन म्यूचुअल फंड सेक्टर की ओवरऑल प्रोग्रेस प्रभावशाली बनी हुई है.
डेट फंड्स में इनफ्लो की वजह
तेजी मंदी के हेड ऑफ रिसर्च, अन्मोल दास का कहना है कि हाल के महंगाई के आंकड़ों की वजह से निवेशक नए उत्साह के साथ डेट फंड्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं. मार्च 2023 के 5.66 फसदी के आंकड़ों की तुलना में अप्रैल 2023 में भारत की रिटेल महंगाई दर 4.7 फीसदी के साथ 18 महीने के निचले स्तर पर आ गई है. यह आंकड़े उम्मीद की एक किरण दिखा रहे हैं. माना जा रहा है कि रेट हाइक साइकिल अपने अंतिम फेज में है. सेंटीमेंट में हुए इस बदलाव की वजह से निवेशकों के बीच वर्तमान डेट फंड्स पर मिल रहे हायर यील्ड को लॉक करने के लिए जबरदस्त उत्साह देखा गया.
2023 में घट रही है महंगाई
CPI: जनवरी में 6.52%, फरवरी में 6.44%, मार्च में 5.66%, अप्रैल में 4.70%
WPI: जनवरी में 4.73%, फरवरी में 3.85%, मार्च में 1.34%
बैकसीट पर एक्टिव इक्विटी फंड
अगर हम एक्टिव रूप से मैनेज्ड इक्विटी फंड सेगमेंट की बात करें तो फोकस्ड फंड्स को छोड़कर इसमें 6,480 करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो दर्ज किया गया. स्मॉल-कैप, मिड-कैप, फ्लेक्सीकैप या मल्टी-कैप, लार्ज & मिड-कैप और थीमैटिक फंड में भी उल्लेखनीय प्रवाह देखा गया. शेयर बाजार में मजबूत रैली के बावजूद SIP फ्लो मजबूत बना हुआ है. हालांकि मंथली बेसिस पर इसमें कुछ कमी आई है. डेट फंडों की तुलना में इक्विटी फंडों की चमक कम होने का एक कारण यह भी था कि न्यू फंड ऑफर (NFOs) की संख्या कम रही.
अन्मोल दास का कहना है कि अप्रैल 2023 एक्टिव डेट फंड्स के लिए दमदार वापसी का समय रहा. जबकि इस दौरान इक्विटी फंड प्रवाह ने उम्मीद बनाए रखी है. अगर आने वाले महीनों में SIP और NFO में तेजी आती है तो हम एक्टिव इक्विटी फंड्स को भी अच्छे इनफ्लो को आकर्षित करते हुए देख सकते हैं. हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में यह ट्रेंड और कैसे विकसित होगा. कैसे निवेश आउटलुक को शेप देगा और कैसे निवेशकों के लिए नए अवसर लेकर आएगा.