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LIC और बीपीसीएल का FY22 में विनिवेश की तैयारी, अपनी हिस्सेदारी बेचने पर सरकार का मुख्य फोकस

दीपम सचिव के मुताबिक सरकार कारोबार से खुद को दूर रखना चाहती है और इसके लिए रणनीतिक विनिवेश सरकार की प्राथमिकता में है. सरकार के पास सीमित रिसोर्सेज हैं जिसका इस्तेमाल वह सामाजिक और बुनियादे ढांचे के विकास में करना चाहती है.

दीपम सचिव के मुताबिक सरकार कारोबार से खुद को दूर रखना चाहती है और इसके लिए रणनीतिक विनिवेश सरकार की प्राथमिकता में है. सरकार के पास सीमित रिसोर्सेज हैं जिसका इस्तेमाल वह सामाजिक और बुनियादे ढांचे के विकास में करना चाहती है.

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Disinvestment BPCL LIC transactions by year-end strategic sales in focus says Dipam secretary Tuhin Pandey

दीपम सचिव के मुताबिक स्ट्रेटजिक सेक्टर पॉलिसी निजी सेक्टर को कारोबार विस्तार करने में मदद देगा और सरकार को भी सरकारी बैंकों जैसे पीएसयू में अधिक पूंजी निवेश की जरूरत खत्म होगी.

केंद्र सरकार विनिवेश को लेकर रणनीतिक तैयारी कर रही है. इसके तहत कोरोना महामारी के चलते उपजी चिंताओं के बावजूद रिफाइनरी व फ्यूल रिटेलर BPCL और इंश्योरेंस कंपनी LIC को चालू वित्त वर्ष 2021-22 के अंत तक विनिवेश किए जाने का लक्ष्य रखा गया है. यह जानकारी डिपार्टमेंट ऑफ विनिवेश एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (दीपम) के सचिव तुहिन कांता पांडे ने बुधवार को दी. इंडस्ट्री बॉडी फिक्की द्वारा आयोजित वर्चुअल कांफ्रेंस में पांडे ने कहा कि सरकार कारोबार से खुद को दूर रखना चाहती है और इसके लिए रणनीतिक विनिवेश सरकार की प्राथमिकता में है. दीपम सचिव के मुताबिक सरकार के पास सीमित रिसोर्सेज हैं जिसका इस्तेमाल वह सामाजिक और बुनियादे ढांचे के विकास में करना चाहती है.

ऑफिशियल्स को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में एलआईसी आईपीओ, बीपीसीएल, आईडीबीआई बैंक और एयर इंडिया का विनिवेश हो जाएगा. हालांकि कोरोना महामारी और बिडर्स के फीकी प्रतिक्रिया के चलते बीपीसीएल और एयर इंडिया के विनिवेश को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. दीपम सचिव ने बताया कि विनिवेश के जरिए चालू वित्त वर्ष में कितनी रकम जुटेगी, इसे लेकर सरकार ने कुछ तय नहीं किया और ट्रांजैक्शंस पूरा होने के बाद ही इसकी जानकारी दी सकेगी.

दुनिया के सबसे बड़े आईपीओ में एक होगा एलआईसी

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  • दीपम सचिव के मुताबिक एलआईसी का आईपीओ अब तक देश का सबसे बड़ा आईपीओ साबित होगा और यह दुनिया के सबसे बड़े आईपीओ में एक होगा. इसका आईपीओ चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही जनवरी-मार्च 2022 में लाने की तैयारी की जा रही है. इस आईपीओ के जरिए एलआईसी नए शेयर इशू करेगी और इसमें सरकार की 10 फीसदी हिस्सेदारी भी ऑफलोड की जाएगी. एक अनुमान के मुताबिक लिस्टिंग के समय एलआईसी की मार्केट वैल्यू 8-11.5 लाख करोड़ रुपये की हो सकती है जिसका मतलब हुआ कि सरकार को अपने 10 फीसदी हिस्से की बिक्री से 80 हजार-1 लाख करोड़ रुपये तक मिल सकते हैं.
  • नवंबर 2020 में वेदांता, अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट और थिंक गैस ने बीपीसीएल को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी. बीपीसीएल में सरकार की 52.98 फीसदी हिस्सेदारी है जिसकी मार्केट वैल्यू करीब 52 हजार करोड़ रुपये है.
  • सरकार एयर इंडिया में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी को बेच रही है जोकि 2007 में इंडियन एयरलाइंस के अधिग्रहण के बाद से ही घाटे में चल रही है. दिसंबर 2020 में टाटा ग्रुप ने इसके लिए बोली लगाई थी.
  • दीपम जल्द ही आईडीबीआई बैंक में सरकार की 45.48 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री के लिए एक्सप्रेशंस ऑफ इंटेरेस्ट मंगवा सकती है. इस बैंक में सरकार की हिस्सेदारी की मार्केट वैल्यू करीब 18400 करोड़ रुपये है.

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निजीकरण के लिए सरकार की ये है योजना

वित्त वर्ष 2022 के बजट में स्ट्रेटजिक सेक्टर्स पॉलिसी का ऐलान किया गया था. इसके तहत भेल, सेल और अन्य माइनिंग पीएसयू समेत सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया व इंडियन ओवरसीज बैंक जैसे बैंकों के प्राइवेटाईजेशन का खाका खींचा गया. 17 वर्षों के बाद निजीकरण की इस कोशिश से केंद्र सरकार नॉन-डेट रिसीट्स को विकास कार्यक्रमों पर खर्च करेगी. स्ट्रेटजिक सेक्टर पॉलिसी के तहत सरकार एटॉमिक एनर्जी, स्पेस एंड डिफेंस, ट्रांसपोर्ट एंड टेलीकम्यूनिकेशंस, पॉवर, पेट्रोलियम, कोल एंड अन्य मिनरल्स और बैंकिंग, इंश्योरेंस व फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर की कम से कम एक पीएसयू अपने नियंत्रण में रखेगी और शेष को या तो प्राइवेट कर दिया जाएगा या उनका विलय कर दिया जाएगा. गैर-रणनीतिक सेक्टर की सभी सीपीएसई (सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज) को निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा.

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निजी सेक्टर के साथ-साथ सरकार के लिए भी फायदेमंद निजीकरण

दीपम सचिव के मुताबिक अब विनिवेश पर जोर दिया जाएगा. दीपम सचिव के मुताबिक यह निजी सेक्टर को कारोबार विस्तार करने में मदद देगा और सरकार को भी सरकारी बैंकों जैसे पीएसयू में अधिक पूंजी निवेश की जरूरत खत्म होगी. वित्त वर्ष 2015 से वित्त वर्ष 2020 तक केंद्र सरकार ने फंसे कर्ज से जूझ रहे सरकारी बैंकों में 3.2 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया लेकिन उनकी बाजार पूंजी अभी भी घट रही है और यह स्थिति कोरोना महामारी आने से पहले भी थी.