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केंद्र की टाटा कम्युनिकेशंस में 26.12 फीसदी हिस्सेदारी है. (Image: Reuters)
Tata Communications Stake sale: केंद्र सरकार की ओर से टाटा कम्युनिकेशंस में हिस्सेदारी बेचने के फैसले के बाद कंपनी के शेयरों में मंगलवार 16 मार्च को 7 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई. सरकार ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए टाटा कम्युनिकेशंस में स्टेक घटा रही है. केंद्र सरकार ने टाटा कम्युनिकेशंस के करीब 2.85 इक्विटी शेयरों की बिक्री कर रही है जो कंपनी की कुल जारी और पेड अप इक्विटी शेयर कैपिटल का 10 फीसदी है. इसके अलावा केंद्र सरकार ने करीब 1.74 करोड़ इक्विटी शेयरों की अतिरिक्त बिक्री भी कर रही है जो कंपनी के कुल जारी और पेड अप इक्विटी शेयर कैपिटल का 6.12 फीसदी है. इस तरह, सरकार टाटा कम्युनिकेशंस में अपनी 16.12 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री कर रही है. ओएफएस के लिए फ्लोर प्राइस 1,161 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है.
सरकार द्वारा कम्युनिकेशंस में 16.12 फीसदी की बिक्री किए जाने के चलते 16 मार्च को इसके भाव में 7 फीसदी तक की गिरावट आई है. एनएसई और बीएसई पर टाटा कम्युनिकेशंस के शेयर दोपहर 1:30 बजे 1235 रुपये के आस-पास ट्रेड हो रहे हैं. डिपार्टमेंट ऑफ इंवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट पर दी गई जानकारी के मुताबिक सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अब तक 21,302.92 करोड़ रुपये विनिवेश के जरिए जुटाए हैं.
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सरकार के पास 26.12% हिस्सेदारी
केंद्र सरकार द्वारा ओएफएस के लिए जारी नोटिस के मुताबिक, भारत के राष्ट्रपति टाटा कम्युनिकेशंस (पहले इसे वीएसएनएल कहा जाता था) के प्रमोटर्स में एक हैं जो दूरसंचार मंत्रालय के तहत डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस के प्रतिनिधि हैं. सरकार के प्रस्ताव के तहत वह कंपनी में अपनी 16.12 फीसदी हिस्सेदारी की ऑफर फॉर सेल के तहत बिक्री करेगी. प्रमोटर के तौर पर राष्ट्रपति की कंपनी में 26.12 फीसदी हिस्सेदारी है. कंपनी में प्रमोटर्स की कुल 74.99 फीसदी हिस्सेदारी है. कंपनी में टाटा सन्स की 14.07 फीसदी और पैनाटोन फिनवेस्ट लिमिटेड की 34.8 फीसदी हिस्सेदारी है.
16 और 17 मार्च को हो रही है बिक्री
केंद्र सरकार द्वारा सूचना के मुताबिक 16 मार्च को 10 फीसदी हिस्सेदारी को ओएफएस के तहत सरकार बिक्री कर रही है और यह ऑफर सिर्फ नॉन-रिटेल इंवेस्टर्स के लिए है. कल यानी 17 मार्च को सरकार 6.12 फीसदी को ओएफएस के तहत बिक्री करेगी और यह ऑफर रिटेल इंवेस्टर्स और नॉन-रिटेल इंवेस्टर्स के लिए खुला रहेगा. सरकार ने न्यूनतम 25 फीसदी हिस्सेदारी म्यूचुअल फंड्स और इंश्योरेंस कंपनियों के लिए आरक्षित रखा है और 10 फीसदी रिटेल इंवेस्टर्स के लिए.