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The scheme was launched in June 2020 to provide collateral-free working capital credit up to Rs 10,000 of one year to around 50 lakh street vendors. (Image-PTI)
Diwali 2020: कोरोना महामारी और इकोनॉमिक स्लोडाउन के बीच इस बार दिवाली और धनतेरस पर बाजारों में रौनक देखने को मिली है. पटाखा मार्केट छोड़ दें तो पिछले साल के मुकाबले इसमें हल्की फुल्की ही कमी आई है. बता दें कि इस साल आशंकाएं जताई जा रही थी कि बाजार को बहुत नुकसान होगा. इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि कोरोना महामारी के कारण बाजार पिछले कुछ समय से सूने पड़े हुए थे और सोने-चांदी के भाव में लगातार तेजी का माहौल बना रहा. इस साल की बात करें तो आटो मार्केट गुलजार रहा. सोने और चांदी के अलावा बर्तन मार्केट में भी अच्छी खरीददारी रही.
चीनी प्रोडक्ट भी बिके
इस बार फेस्टिव सीजन में चीन के उत्पाद को लेकर लोगों में बहिष्कार का भाव जरूर दिखा, लेकिन उनकी भी अच्छी खासी बिक्री हुई. फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के नेशनल जनरल सेक्रेटरी वीके बंसल का मानना है कि इस साल बाजार में चीन के उत्पाद मौजूद थे और बिके भी. चीन से करीब 50 हजार करोड़ का माल फेस्टिव सीजन नवरात्रि से क्रिसमस के लिए आता है. लेकिन पिछले साल के मुकाबले फर्क रहा. बहिष्कार का इसी तरह से ट्रेंड रहा तो अगली दिवाली तक चीन को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
पटाखा व्यापारियों को नुकसान
इस साल कोरोना और पर्यावरण के नुकसान को देखते हुए आंशिक या पूर्ण प्रतिबंध के कारण पटाखा कारोबारियों को बहुत नुकसान हुआ है. जामा मस्जिद के पटाखा व्यापारी और महेश्वरी पटाखे के मालिक महेश्वर के मुताबिक केवल दिल्ली-एनसीआर में करीब 500 करोड़ के नुकसान का अंदेशा है. कर्नाटक के शिमोगा में इस बार कोरोना वायरस की वजह से पटाखा व्यापारियों को नुकसान हो रहा है. पटाखा व्यापारियों का कहना है कि इस वर्ष सिर्फ 25-30% ही व्यापार हुआ है.
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गाड़ियों की बिक्री बढ़ी
पिछले साल फेस्टिव सीजन से तुलना करें तो इस बार धनतेरस पर गाड़ियों की बिक्री भी बढ़ी है. टोयोटा किर्लोस्कर की बात करें तो पिछले साल धनतेरस के मुकाबले इस बार उसकी बिक्री 12 फीसदी बढ़ी है.
गहनों और बर्तनों की बिक्री में बदला ट्रेंड
इस बार फेस्टिव सीजन में आशंकाएं थीं कि कोराना महामारी और इकोनॉमिक स्लोडाउन का बुरा प्रभाव पड़ेगा. कोरोना महामारी का अधिक प्रभाव तो नहीं पड़ा क्योंकि लोगों ने सुरक्षा के साथ खरीदारी जारी रखी लेकिन इकोनॉमिक स्लोडाउन का प्रभाव जरूर दिखा. इसकी वजह से लोगों की खरीदारी में नया ट्रेंड दिखा. गहनों की बात करें तो लोगों ने हल्के गहने अधिक पसंद किए, जैसे कि 10 ग्राम के हार की बजाय, 8 ग्राम के हार लेना. इसी प्रकार बर्तनों की बात करें तो इस बार लोगों ने स्टोरेज वाले बर्तन अधिक पसंद किए. स्टोरेज वाले बर्तन का मतलब ऐसे बर्तन से है जिससे कुछ समय के लिए राशन स्टोर किया जा सके. बंसल के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले इस बार बाजार में 70 फीसदी तक कारोबार हुआ.
सोने-चांदी के बाजार रहे गुलजार
इंडियन बूलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के मुताबिक पिछले साल धनतेरस पर 30 टन गोल्ड की बिक्री हुई थी. उम्मीद के विपरीत इस बार इसकी बिक्री बढ़ी है. फेस्टिव सीजन के पहले आशंकाए जताई जा रही थी कि इस बार गोल्ड की बिक्री कम हो सकती है. पीसी ज्वैलर्स के एमडी बलराम गर्ग ने भी फेस्टिव सीजन से पहले आशंका जताई थी कि इस बार 75-80 फीसदी तक का कारोबार हो सकता है लेकिन त्यौहार के दौरान ग्राहकों ने भरपूर खरीदारी की.
पिछले साल धनतेरस के मुकाबले इस बार भाव
नवंबर में सोने के भाव पिछले साल धनतेरस के मुकाबले बढ़कर 50,520 रुपये प्रति दस ग्राम और चांदी 63,044 रुपये प्रति किलो के भाव पर पहुंच गए. पिछले साल धनतेरस पर सोना 28,923 रुपये प्रति दस ग्राम और चांदी 46,491 रुपए प्रति किलो के भाव पर था.
व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने रविवार को कहा कि दिवाली सीजन के दौरान देशभर में विक्रेताओं ने 72 हजार करोड़ का सामान बेचा. कैट के मुताबिक, ऐसा चीनी सामान का पूरी तरह बॉयकॉट करने की वजह से हुआ. कैट ने दावा किया कि इससे चीन को सीधे तौर पर लगभग 40 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.