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How to earn in falling market : निवेशक अगर समझदारी से काम लें तो बाजार की गिरावट में भी कमाई कर सकते हैं या अपने नुकसान को कम से कम कर सकते हैं. (Representational Image)
How to earn or contain losses in a falling share market : शेयर बाजार में तेजी के दौरान अक्सर ये सुनने को मिलता है कि आज निवेशकों ने बाजार से इतने लाख करोड़ रुपये कमा लिए. वहीं, अगर बाजार गिर रहा हो, तो कहा जाता है कि आज निवेशकों ने इतने लाख करोड़ रुपये गंवा दिए. आम तौर पर ये आंकड़े मार्केट कैपिटलाइजेशन (Market Capitalisation) के बढ़ने या घटने से जुड़े होते हैं. यह बात सही है कि तेजी के दौरान बाजार में कमाई ज्यादा होती है और गिरावट के दौर में नुकसान उठाने वालों की संख्या बढ़ जाति है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि बाजार में तेजी के दौरान सारे निवेशक मुनाफा कमा रहे होते हैं और गिरावट के दौरान सबको नुकसान ही होता है. दरअसल, बाजार के हर दौर में मुनाफा कमाने वाले निवेशक भी मौजूद होते हैं और घाटा उठाने वाले भी. यहां हम जानने की कोशिश करेंगे कि बाजार में गिरावट के दौरान मुनाफा कमाने या घाटे को कम से कम करने के लिए क्या किया जा सकता है.
शॉर्ट सेलिंग
शॉर्ट सेलिंग (Short Selling) गिरते बाजार में मुनाफा कमाने की सबसे जानी-मानी तरकीब है. शेयर बाजार में कारोबार करने वाला ट्रेडर ऐसा तब करता है, जब उसे लगता है कि वो जिस शेयर का सौदा करने जा रहा है, उसकी कीमतें अभी और गिरने वाली हैं. ऐसे में वो ट्रेडर किसी ऑनलाइन ब्रोकरेज से शेयर उधार लेकर उन्हें मार्केट प्राइस पर बेच देता है और बाद में कीमत गिरने पर उन्हें खरीदकर ब्रोकर को लौटा देता है. यानी वो उधार के शेयर को पहले ऊंची कीमत पर बेचता है और फिर कम कीमत होने पर उन्हें लौटा मुनाफा कमाता है. गिरते बाजार में मुनाफा कमाने की यह एक काफी प्रचलित तरकीब है, लेकिन यह बात जरूर ध्यान में रखें कि शॉर्ट सेलिंग करना काफी जोखिम भरा काम है, जिसमें बाजार के माहिर खिलाड़ी ही सफल हो सकते हैं. नए निवेशक अगर इससे दूर रहें तो ही बेहतर है.
पुट ऑप्शन
गिरते बाजार में मुनाफा कमाने का एक तरीका पुट ऑप्शन (Put Options) खरीदना भी है. पुट ऑप्शन एक फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट है, जो आपको निश्चित समय सीमा के भीतर किसी खास शेयर को पहले से तय कीमत और संख्या में बेचने का अधिकार देता है. पुट ऑप्शन खरीदने वाले के लिए ऐसा करना जरूरी नहीं होता, लेकिन अगर वो अपने अधिकार का इस्तेमाल करके शेयर की बिक्री करना चाहे, तो पुट ऑप्शन बेचने वाले के लिए उसे पहले से तय कीमत और संख्या में खरीदना जरूरी होता है. ट्रेडर पुट ऑप्शन तभी खरीदते हैं, जब उन्हें किसी शेयर में गिरावट का पूरा भरोसा होता है. जबकि पुट ऑप्शन बेचने वाले को उस शेयर में तेजी आने की उम्मीद होती है. पुट ऑप्शन गिरावट के दौरान मुनाफा कमाने का मौका देता है, लेकिन ऑप्शन्स की ट्रेडिंग काफी जटिल होती है और इसमें जोखिम भी ज्यादा रहता है. लिहाजा जिन्हें पूरी समझ न हो, उन्हें इस कारोबार में उतरने से परहेज करना चाहिए.
डिफेंसिव स्टॉक
ऐसे सेक्टर्स या कंपनियों के शेयरों को डिफेंसिव स्टॉक्स (Defensive Stocks) कहते हैं, जिनमें आसानी से गिरावट नहीं आती. मिसाल के तौर पर हेल्थकेयर सेक्टर, बिजली, गैस जैसी जरूरी चीजें मुहैया कराने वाली यूटीलिटी कंपनियों या कंज्यूमर्स के लिए रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजें बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में आम तौर पर कम गिरावट आती है. इन कंपनियों के शेयरों में किया गया निवेश बाजार में गिरावट से उतना प्रभावित नहीं होता, जितना दूसरे कई सेक्टर. हालांकि इन शेयरों में निवेश गिरावट के दौर में मुनाफे की गारंटी तो नहीं दे सकता, लेकिन आपके निवेश को स्थिरता देकर नुकसान को कम जरूर कर सकता है.
डिविडेंड इनवेस्टिंग
गिरते हुए बाजार में उन कंपनियों में निवेश करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है, जो ऊंचा डिविडेंड यानी लाभांश देने के लिए जानी जाती हैं. शेयर की कीमतों में बढ़ोतरी की बजाय डिविडेंड को ज्यादा अहमियत देने वाली निवेश की इस रणनीति को ही डिविडेंड इनवेस्टिंग (Dividend Investing) कहते हैं. मार्केट में गिरावट के दौरान शेयरों की कीमतें भले ही कम हो जाएं, लगातार अच्छा डिविडेंड देने वाली कंपनियों में किए गए निवेश पर बेहतर रिटर्न की उम्मीद बनी रहती है. ऐसी कंपनियों का चुनाव करने के लिए पिछले परफॉर्मेंस के साथ ही साथ उसके फंडामेंटल का मजबूत होना बेहद जरूरी है. यह भी ध्यान रखना चाहिए कि डिविडेंड मिलने की कोई गारंटी नहीं होती. लाभांश देना या नहीं देना कंपनी के फैसले पर निर्भर होता है.
कॉस्ट एवरेजिंग
छोटे निवेशकों के लिए लंबी अवधि के दौरान शेयर बाजार से बेहतर रिटर्न हासिल करने का सबसे अच्छा तरीका कॉस्ट एवरेजिंग (Cost Averaging) करना है. इस अप्रोच में निवेशक सही कंपनी का चुनाव करने के बाद उसमें पैसे लगाने के लिए सही टाइमिंग का इंतजार नहीं करते. बल्कि रेगुलर इंटरवल पर पहले से तय रकम का नियमित रूप से निवेश करते रहते हैं. ऐसा करने पर लंबी अवधि के दौरान एवरेजिंग का लाभ मिलता है. अगर यह निवेश सीधे किसी शेयर में करने की बजाय किसी अच्छे इक्विटी म्यूचुअल फंड में सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान यानी SIP के जरिए किया जाए तो एवरेजिंग के साथ ही साथ डायवर्सिफिकेशन का फायदा भी मिल सकता है.
अपने रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से करें फैसला
इन तमाम बातों पर अमल करते समय यह बात भी ध्यान में रखनी होगी कि गिरते बाजार में मुनाफा कमाना आसान नहीं होता. इसके लिए निवेश और ट्रेंडिंग से जुड़े फैसले करते समय काफी सावधानी बरतनी होती है. साथ ही रिस्क मैनेजमेंट यानी जोखिम कम करने पर भी ध्यान देना भी जरूरी है. बाजार गिर रहा हो या तेजी पर हो, मुनाफा कमाने की कोई गारंटी नहीं होती. लेकिन सही रणनीति पर काम करने से सफलता की गुंजाइश बढ़ जाती है. यह भी जरूरी है कि निवेशक न सिर्फ अपने स्तर पर पूरी रिसर्च करें, बल्कि जरूरत पड़ने पर फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह भी लें. हमेशा याद रखें कि बाजार में निवेश जोखिम भरा होता है, इसलिए कोई भी फैसला सोच-समझकर और अपने रिस्क प्रोफाइल को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए.