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GST E-Invoice Rule: 10 करोड़ से अधिक है टर्नओवर? इस दिन से बी2बी सौदों में ई-इनवॉयस जेनेरेट करना हो जाएगा जरूरी

GST E-Invoice Rule: जल्द ही 10 करोड़ रुपये या इससे अधिक के सालाना टर्नओवर वाले जीएसटी रजिस्टर्ड कारोबारियों को बी2बी सौदों के लिए ई-इनवॉयस जेनेरेट करना अनिवार्य हो जाएगा.

GST E-Invoice Rule: जल्द ही 10 करोड़ रुपये या इससे अधिक के सालाना टर्नओवर वाले जीएसटी रजिस्टर्ड कारोबारियों को बी2बी सौदों के लिए ई-इनवॉयस जेनेरेट करना अनिवार्य हो जाएगा.

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FE Hindi Desk
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E-invoice to be mandatory for B2B deals for business with turnover of Rs 10 crore from this day

GST E-Invoice Rule: जल्द ही 10 करोड़ रुपये या इससे अधिक के सालाना टर्नओवर वाले जीएसटी रजिस्टर्ड कारोबारियों को बी2बी सौदों के लिए ई-इनवॉयस जेनेरेट करना अनिवार्य हो जाएगा. वित्त मंत्रालय ने आज 2 अगस्त को इसकी जानकारी दी है. यह नियम 1 अक्टूबर से प्रभावी हो जाएगा. अभी यह सीमा 20 करोड़ रुपये है यानी कि अभी 20 करोड़ रुपये या इससे अधिक के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को बी2बी सौदों के लिए ई-इनवॉयस जेनेरट करना होता है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (सीबीआईसी) ने इससे जुड़ी एक अधिसूचना एक तारीख को जारी की है. इसमें ऐसे सौदों में ई-इनवॉयस जारी करने के लिए थ्रेसहोल्ड की सीमा 20 करोड़ रुपये से कम करके 10 करोड़ रुपये की गई है. यह नियम 1 अक्टूबर को प्रभावी होगा.

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चरणबद्ध तरीके से लागू हो रहा ई-इनवॉयसिंग

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जीएसटी काउंसिल ने ई-इनवॉयस को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का फैसला किया था. इस काउंसिल में केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री होते हैं. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) कानून के तहत 1 अक्टूबर 2020 से 500 करोड़ रुपये से अधिक के सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों को बी2बी ट्रांजैक्शंस के लिए ई-इनवॉयस जेनेरेट करना अनिवार्य किया गया था.

इसके बाद 1 जनवरी 2021 से टर्नओवर की इस सीमा को घटाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया गया. इसके बाद 1 अप्रैल 2021 से इसे 50 करोड़ रुपये और फिर 1 अप्रैल 2022 को 20 करोड़ रुपये कर दिया गया और अब इसे 10 करोड़ रुपये किया गया है. सीबीआईसी की योजना ई-इनवॉयस जेनेरेट करने की थ्रेसहोल्ड को और कम करके 5 करोड़ रुपये करने की है.

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सभी कैटेगरी के लिए हो सकता है अनिवार्य

डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एमएस मणि का कहना है कि जीएसटी काउंसिल के इस फैसले से जीएसटी का टैक्स बेस बढ़ेगा और बेहतर कंप्लॉयंस के लिए टैक्स अथॉरिटीज को अधिक डेटा मिलेगा. मणि का मानना है कि जिस तरह से ई-इनवॉयस के लिए थ्रेसहोल्ड को कम किया जा रहा है, जल्द ही यह सभी कैटेगरी के जीएसटी टैक्सपेयर्स के लिए अनिवार्य हो सकता है.
(Input: PTI)

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