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Fitch Ratings का मानना है कि पिछले साल 2020 की तुलना में इस बार की कोरोना लहर से आर्थिक गतिविधियों को कम झटका लगेगा.
कोरोना की दूसरी लहर अधिक खतरनाक साबित हो रही है और रिकॉर्ड संख्या में नए केसेज सामने आ रहे हैं और लोगों की मौत हो रही है. इसके चलते देश के अधिकतर हिस्सों में लॉकडाउन/रिस्ट्रिक्शंस लगाए गए हैं. इसके बावजूद वैश्विक रेटिंग एजेंसी Fitch Ratings का मानना है कि पिछले साल 2020 की तुलना में इस बार की कोरोना लहर से आर्थिक गतिविधियों को कम झटका लगेगा. हालांकि फिच के मुताबिक अप्रैल और मई में आर्थिक गतिविधियों में गिरावट के चलते रिकवरी में देरी हो सकती है.
वहीं दूसरी तरफ फिच रेटिंग्स का मानना है कि भारत में वैक्सीनेशन की धीमी गति के चलते कोरोना की अगली लहर आने की आशंका बनी हुई है. आंकड़ों के मुताबिक 5 मई तक महज 9.4 फीसदी लोगों को ही वैक्सीन की कम से कम एक डोज लग सकी है.
फाइनेंसियल सेक्टर को सहारा दे सकता है RBI
फिच रेटिंग्स के मुताबिक कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते वित्तीय संस्थानों को दिक्कतें आ सकती है लेकिन अनुमान है कि केंद्रीय बैंक RBI वित्तीय सेक्टर को सहारा देने के लिए अतिरिक्त उपाय कर सकता है. फिच रेटिंग्स के मुताबिक फाइनेंसियल सेक्टर को सहारा देने के लिए आरबीआई अतिरिक्त फैसले ले सकता है जैसे कि क्रेडिट गारंटी स्कीम्स या ब्लैंकेट मोरेटोरियम. फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2022 में जीडीपी में 12.8 फीसदी की रिकवरी का अनुमान लगाया है.
वित्तीय संस्थानों को 12-24 महीनों के लिए राहत
आरबीआई गवर्नर द्वारा 5 मई को किए गए एलान से वित्तीय संस्थानों को 12-24 महीनों के लिए राहत मिलेगी लेकिन एसेट-क्वालिटी प्राब्लम्स की पहचान और उनके समाधान को लेकर चिंताएं बढ़ेंगी. आरबीआई ने इंडिविजुअल्स, छोटे कारोबारियों और एमएसएमईज के लिए रीस्ट्रक्चरिंग स्कीम को दोबारा लांच किया है जो वित्तीय संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है. पिछले साल 2020 में जिन्होंने रीस्ट्रक्चरिंग का फायदा नहीं लिया था, वे इस बार इसका फायदा उठा सकते हैं. इसके अलावा मोरेटोरियम को दो साल तक बढ़ाने की सुविधा मिलेगी. सितंबर 2021 तक उपलब्ध इस योजना के तहत कर्जदारों को लोन चुकाने के लिए अधिक समय मिलेगा और वित्तीय संस्थानों को लंबे समय तक क्रेडिट कॉस्ट्स स्प्रेड करने की सहूलियत मिलेगी.
धीमी वैक्सीनेशन से बढ़ी अगली लहर की आशंका
कोरोना की दूसरी लहर में हर दिन 4 लाख से अधिक नए केसेज आ रहे हैं. रिकॉर्ड केसेज के चलते देश के कई हिस्सों में अस्पताल में बेड, मेडिकल ऑक्सीजन, दवाइयों और वैक्सीन की किल्लत हो रही है. फिच रेटिंग्स के मुताबिक भारत में वैक्सीनेशन की धीमी गति के चलते कोरोना की अगली लहर भी आने की आशंका है. 5 मई तक देश में महज 9.4 फीसदी लोगों को ही वैक्सीन की कम से कम एक डोज लग सकी है.
फिच रेटिंग्स के मुताबिक देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन/रिस्ट्रिक्शंस लगाया गया है लेकिन कंपनियों और इंडिविजु्ल्स ने खुद को इसके मुताबिक ढाल लिया है (कुशन इफेक्ट्स) जिसके चलते उन पर इसका इस बार अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा. हालांकि वैश्विक रेटिंग एजेंसी के मुताबिक अगर लॉकडाउन का दायरा बढ़ाया जाता है या देश भर में लॉकडाउन लगाया जाता है तो आर्थिक गतिविधियां लंबे समय तक प्रभावित रह सकती हैं.