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Investor Vs Election: स्टॉक मार्केट से म्यूचुअल फंड तक, क्या वाकई चुनाव के नतीजे रिटर्न पर डालते हैं असर

Election Impact on Investment: बाजार की रिटर्न हिस्ट्री देखें तो निवेशकों को राजनीतिक अनिश्चितता के सेंटीमेंट से प्रभावित होने की बजाय अपने रिस्क लेने की क्षमता और लक्ष्य के आधार पर निवेश का फैसला लेना चाहिए.

Election Impact on Investment: बाजार की रिटर्न हिस्ट्री देखें तो निवेशकों को राजनीतिक अनिश्चितता के सेंटीमेंट से प्रभावित होने की बजाय अपने रिस्क लेने की क्षमता और लक्ष्य के आधार पर निवेश का फैसला लेना चाहिए.

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Sushil Tripathi
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Election Year

Stock Market Sentiments: बाजार में एक राजनीतिक अनिश्चितता का सेंटीमेंट अब अगले कुछ महीनों तक दिखेगा. (Reuters)

Election Result Impact on Capital Market: मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ समेत 5 राज्यों में चुनावी बिगुल बजने के साथ ही अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के पहले सेमीफाइनल शुरू हो चुका है. राज्यों के आने वाले नतीजों से जनता का क्या मूड है, मोटे तौर पर अनुमान लगाया जा सकता है, हालांकि यह आम चुनावों के लिए क्लीयर संकेत नहीं हो सकता है. ऐसे में बाजार में एक राजनीतिक अअनिश्चितता का सेंटीमेंट अब अगले कुछ महीनों में दिखेगा. वैसे आम तौर पर यह माना जाता है कि चुनावी साल में शेयर बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव रहता है. निवेशक चुनाव के नतीजों के अनुमान से प्रभावित होते हैं. हालांकि बाजार की रिटर्न हिस्ट्री देखें तो निवेशकों को ऐसे किसी सेंटीमेंट से प्रभावित होने की बजाय अपने रिस्क लेने की क्षमता और लक्ष्य के आधार पर ही निवेश का फैसला लेना चाहिए. फिसडम रिसर्च ने इस बारे में एक डिटेल रिपोर्ट जारी की है.

नतीजे जो भी हों, लंबी अवधि में रिटर्न मिलता ही है

फिसडम रिसर्च के अनुसार पिछले कुछ सालों में चुनाव परिणाम और उसके पहले व बाद में बाजार के रिटर्न पर नजर डालें तो यह साफ होता है कि शॉर्ट टर्म वोलेटिलिटी के बाद भी लंबी अवधि में बाजार का रिटर्न हाई रहता है. चुनाव के बाद अगले 3 साल से 5 साल में बाजार ने लगातार 12 फीसदी से अधिक रिटर्न दिया है, जो इसकी फ्लेक्सिबिलिटी और ग्रोथ पोटेंशियल को दिखाता है. बाजार से सबसे अधिक रिटर्न 2004 और 2009 के बीच देखा गया, जब न तो बीजेपी और न ही कांग्रेस के पास बहुमत था.

इलेक्शन का बाजार पर असर: पहले और बाद में

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म्‍यूचुअल फंड प्रभाव और इंस्‍टीट्यूशनल फ्लो

हिस्‍टोरिकल डाटा से पता चलता है कि फॉरेन पोर्टफोलियो इन्‍वेस्‍टमेंट (FPI) फ्लो आम चुनावों से पहले और उसके बाद की अवधि में पॉजिटिव रिस्‍पांस प्रदर्शित करता है. म्‍यूचुअल फंड मार्केट पर असर की बात करें तो लंबी अवधि के एसआईपी निवेशकों को लगातार बेनेफिट मिल रहा है. यहां तक ​​कि कमजोर प्रदर्शन करने वाले फंडों ने भी ज्यादातर मामलों में 9 फीसदी से अधिक का रिटर्न दिया. कोर इक्विटी सेगमेंट में टॉप परफॉर्म करने वाले फंड ने 20% सालाना से अधिक का रिटर्न दिया है.

इलेक्शन का म्यूचुअल फंड पर असर

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(Source: ACE MF, Fisdom Research)

किन बातों का बाजार पर ज्‍यादा असर

इन सभी डाटा से साफ है कि चुनाव रिजल्‍ट की तुलना में घरेलू और ग्‍लोबल मैक्रोइकोनॉमिक इंडीकेटर्स बाजारों पर अधिक महत्वपूर्ण और स्थायी प्रभाव डालते हैं. इकोनॉमिक फंडामेंटल्‍स, कॉर्पोरेट प्रदर्शन, ग्‍लोबल घटनाएं, मॉनेटरी पॉलिसी और जियो-पॉलिटिकल जैसे फैक्‍टर बाजार के मूवमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

हालांकि चुनाव के रिजल्‍ट शॉर्ट टर्म के लिए बाजार में अस्थिरता और सेंटीमेंट में उतार-चढ़ाव ला सकते हैं, लेकिन निवेशकों को अपने टारगेट और रिस्‍क लेने की क्षमता के आधार पर बाजार में निवेश पर फोकस करना चाहिए.

अलग अलग कंडीशन में क्‍या करें

सत्‍ताधारी पार्टी की जीत: जब सत्‍ताधारी पार्टी जीत जाती है तो आम तौर पर निवेशकों को निरंतरता और स्‍टेबिलिटी का सेंटीमेंट मिलता है. बाजार भी तक पॉजिटिव रिएक्‍शन देते हैं. ऐसे में साइक्लिक स्‍टॉक में एक्सपोजर वाले इक्विटी म्‍यूचुअल फंड बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. वहीं इंडस्ट्रियल, कैपिटल गुड्स, बैंक, आईटी, कंज्‍यूमर और ऑटो शेयरों में तेजी आ सकती है.

गठबंधन सरकार: वहीं हंग पार्लियामेंट या गठबंधन सरकार के चलते राजनीतिक अनिश्चितता से बाजार में घबराहट हो सकती है. नई सरकार की नीतियां स्पष्ट होने तक निवेशक सतर्क रह सकते हैं. इस दौरान ग्रोथ स्टॉक और हल्के साइक्लिक स्टॉक में एक्सपोजर वाले इक्विटी म्‍यूचुअल फंड पर फोकस कर सकते हैं. एफएमसीजी, हेल्थकेयर, आईटी, यूटिलिटीज से जुड़े शेयर बेहर विकल्‍प होंगे.

राजनीतिक नेतृत्व में बदलाव: वहीं राजनीतिक नेतृत्व में बदलाव होने पर शुरू में बाजार में अस्थिरता हो सकती है, क्योंकि निवेशक नई नीतियों और नेतृत्व शैली में बदलाव के संभावित प्रभाव का आकलन करते हैं. ऐसे में डिफेंसिव शेयर में एक्‍सपोजर वाले म्‍यूचुअल फंड बेहतर साबित हो सकते हैं. वहीं फोकस एरिया एफएमसीजी, हेल्थकेयर, आईटी, यूटिलिटीज सेक्‍टर हो सता है.

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